पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/३३९

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

(३२०)

८९०. महिपति—मैथिल कवि। देखिए जर्नल आफ़ एशियाटिक सोसाइटी आफ़ बंगाल, जिल्द ५३, पृष्ठ ८४।
८९१. मानिकदास कवि—मथुरा के। इन्होंने 'मानिक बोध' नामक कृष्णलीला का ग्रंथ रचा।
८९२. मीरन कवि—श्रृंङ्गार-संग्रह में भी। एक सुप्रसिद्ध नखशिख के रचयिता।
८९३. मुनिलाल कवि

टि०—यह प्रसिद्ध कवि अलोथर वासी मून हैं। सरोज में (सर्वेक्षण ६४१) इन्हें सं० १८६० सें उ० कहा गया है।

—सर्वेक्षण ६९४

८९४. मुसाहिब—बिजावर के राजा। इन्होंने विनय पत्रिका (देखिए सं० १२८) और रसराज ( देखिए सं० १४६) की टीकाएँ लिखी हैं।

टि०—मुसाहिब बिजावर के राजा नहीं थे, बिजावर के राजा के मुसाहिब थे। इनका नाम पंडित लक्ष्मीप्रसाद था। इन्होंने सं० १९०९ में श्रृंङ्गार कुंडली की रचना की थी। इनका रचनाकाल सं० १९०४-५६ है।

—सर्वेक्षण ७१०

कुछ पता नहीं कि इन्होंने विनय पत्रिका और रसराज की टीकाएँ की थीं अथवा नहीं।

८९५. मून—असोथर, गाजीपुर के ब्राह्मण। अनेक ग्रंथों के रचयिता, जिनमें 'राम रावण का युद्ध' का उल्लेख किया जा सकता है।

टि०—सरोज में इन्हें 'सं० १८६० से उ०' लिखा गया है, फिर भी इन्हें अ-तिथि बना दिया गया है। यह ८९३ संख्यक मुनिलाल से अभिन्न हैं।

—सर्वेक्षण ६४१

८९६. रघुराम—गुजराती, अहमदाबाद वाले। 'माधव विलास' नामक ग्रंथ के रचयिता। (१ राग कल्पद्रुम, मिलाइए संख्या ६२९)।

टि०—रघुराम—गुजराती ने सं० १७५७ में 'समासार नाटक' नाम ग्रंथ रचा था।

—सर्वेक्षण ७८७


८९७. रघुलाल कवि—श्रृंगारी कवि।
८९८. रज्जब कवि—श्रृंगार संग्रह में भी। दोहों के सुप्रसिद्ध रचयिता।

टि०—रज्जव का जन्म सं० १६२४ में एवं देहावसान सं० १७४६ में

—सर्वेक्षण ७७७