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देखा नहीं है। लाल झा (सं० ३६३) 'गौरी परिणय' के रचयिता थे। इस शताब्दी के प्रारम्भ में भानुनाथ झा (से०६४१) ने 'प्रभावती हरण' लिखा। हर्षनाथ झा (सं० ६४२) 'उखा हरन' या (संस्कृत में) उषा हरण के रचयिता है। ये सभी कवि मैथिल ब्राह्मण थे। यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि इनकी कृतियाँ भाषा नाटक के अन्तर्गत नहीं आ सकतीं, क्योंकि पात्र या तो संस्कृत में अथवा प्राकृत में बातें करते हैं, केवल गीत मैथिली में हैं।

हरिश्चन्द्र द्वारा दी गई हिन्दी नाटकों की सूची निम्न प्रकार से है—


नाटक का नाम
नहुष नाटक
शकुन्तला
मुद्राराक्षस
सत्य हरिश्चन्द्र
विद्या सुन्दर
अन्धेर नगरी
विषस्य विषमौषधम्
सती प्रताप
चन्द्रावली
माधुरी
पाखण्ड विडम्बन
नवमल्लिका
दुर्लभ बधु
प्रेम जोगिनी
जैसा काम वैसा परिणाम
कर्पूर मंजरी
नील देवी
भारत दुर्दशा
धनंजय विजय
वैदिकी हिंसा
बूढ़े मुँह मुहासे, लोग चले तमासे
अदुत चरित्र या गृह चंडी


लेखक
गिरिधरदास
लक्ष्मण सिंह
हरिश्चंन्द्र

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गोकुल चन्द
श्रीमती