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विवाह से उत्पन्न सबसे छोटा बच्चा, जगत सेठ फतहचंद्र, अपने मामा सेठ द्वारा गोद ले लिया गया। उसके दो बड़े भाई नादिरशाही में दिल्ली में मार डाले गए, अतः परिवार मुर्शिदाबाद में बस गया। फतहचंद्र के पौत्र जगत सेठ महताब राय और उनके चचेरे भाई राजा डालचंद्र अँगरेजों को मदद करने और लार्ड क्लाइव से मिल जाने के कारण, नवाब कासिमअली खाँ [मोर कासिम] द्वारा बंदी बना लिए गए थे। राजा डालचंद्र बच निकले और बनारस आए, जहाँ उन्होंने अवध के नवाब वज़ीर की छत्र-छाया में अपने दिन बिताए।

राजा शिव प्रसाद बाबू गोपीचन्द के पुत्र और राजा डालचन्द के प्रपौत्र हैं। जब यह ग्यारह या बारह ही वर्ष के थे, इनके पिता का देहान्त हो गया। इनकी माता और पितामही बीबी रतनकुँअर ने (संख्या ३७६), जो अपने युग की परम विदुषी स्त्रियों में थीं, इनका पालन-पोषण किया। इनकी आंशिक शिक्षा बनारस कालेज में हुई, जो उस समय अँगरेजी स्कूल मात्र था। यह वस्तुतः ऐसे व्यक्ति के उदाहरण हैं, जिसने स्वयं आत्म-निर्णय एवं आत्म-शिक्षण किया हो। अत्यन्त विनम्रता के साथ, जो उनका गुण है, वह अपनी पितामही के सम्बन्ध में लिखते हैं, "जो कुछ भी थोड़ी बहुत जानकारी मुझे है, उसका अधिकांश मैंने उनसे पाया।" अपनी वाल्यावस्था में पहले यह उग्र यूरोपियन विरोधी विचार धारा के थे, अतः सत्रह वर्ष की ही उम्र में गवर्नर जनरल के अजमेर स्थित तत्कालीन एजेण्ट कर्नल सदरलैण्ड की कचहरी में जाने के लिये इन्होंने भरतपुर के स्वर्गीय महाराज के वकील का पद स्वीकार कर लिया था। यह कहते हैं——"महाराज की अधीनता में मेरा उस समय का मासिक व्यय प्रायः ५००० रु० था, लेकिन मैंने दरबार को एक दम भीतर तक सड़ा और दुनिया में सबसे अधिक गया गुजरा पाया। मैं निराश हो गया, त्यागपत्र दे दिया, वापस आ गया, और योगी बन जाना चाहा, किन्तु मेरे मित्रों ने मुझपर फ़ब्तियों कसनी शुरू की। उन्होंने मुझे बेवकूफ़ और सिड़ी कहा। वे कहते थे—'पतंग अच्छा चढ़ा था, लेकिन गोता खा गया' अथवा 'अन्धे के हाथ बटेर लग गई थी।' मैं इसे बर्दाश्त नहीं कर सका और मैंने किसी ऐसे की नौकरी करना निश्चित किया, जो महाराज भरतपुर से बड़ा हो। मैंने फिरोजपुर के सामने पड़े लार्ड हार्डिज के खेमे में नौकरी कर ली। मुदकी की लड़ाई समाप्त हो गई थी, सोबराँव को होने वाली थी। मेरे साथ जो व्यवहार हुआ, मेरी आँखें खुल गई और मैंने निश्चय किया कि अब किसी भी देशी की नौकरी नहीं करूँगा।" जब श्री एडवर्ड्स रक्षित पहाड़ी रियासतों के