पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२८२

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. . . ( २६३ ) ६१२. बादेराय कवि-डलमऊ जिला रायबरेली के भाट और कवि । जन्म १८२५ ई० यह लखनऊ के दीवान दयाकृष्ण के दरबार में थे। टिo.-चादे राय कायस्थ थे, न कि भाट। इन्होंने सं० १९१४ में एक रामायण की रचना की थी। १८२५ ई० (सं० १८८२ ) इनका प्रारम्भिक रचनाकाल हो सकता है। -सर्वेक्षण ५९६ ६१३. संकर कवि त्रिपाठी-बिसौं जिला सीतापुर के। जन्म १८३४ ई०। . . अपने पुत्र कवि सालिक के साथ मिलकर इन्होंने कवित्त छंदों में एक रामायण लिखी थी। यह संभवतः वही शृङ्गारी शंकर हैं, जिनका उल्लेख शिव सिंह ने बिना तिथि दिए हुए किया है। . टि-संभावना को प्रमाणित करनेवाले कोई सून सुलभ नहीं हैं। ६१४. लोने सिद्ध-बाछल तितौली जिला खीरी के । जन्म १८३५ ई०।। - इन्होंने भागवत पुराण के दशम स्कंध का भाषानुवाद (राग कल्पद्रुम) किया था। टिक-इनके गाँव का नाम बाछल मितौली है। १८३५ ई० (सं०. १८९२) में इन्होंने 'राम स्वर्गारोहण' नाम अन्थ लिखा था । अतः यही संवत् इनका जन्म काल नहीं हो सकता । -सर्वेक्षण ८११ ६१५. सीतल राय-बौंडी, जिला बहराइच के भाट । जन्म १८३७ ई०।। यह एकौना जिला बहराइच के राजा गुमान सिंह जनवार के दरबार ६१६. परमेस सतावाँ जिला रायबरेली के भाट । जन्म १८३९ ई.।। सुन्दरी तिलक { १ देखिए, सं० २२२ । ६१७. बंसीधर बाजपेयी-चिंताखेरा, जिला रायबरेली के । जन्म १८४४ ई० । __खूब लिखने वाले। कई प्रथों के लेखक । इनक वेदान्त सम्बन्धी दोहे प्रसिद्ध हैं। ६१८. भवानी परसाद पाठक---उपनाम भावन कवि ; मौरावा, जिला उन्नाव . केजन्म १८४४ ई० यह 'काव्य शिरोमणि' या 'काव्य कल्पद्रुम' नामक प्रसिद्ध काव्य ग्रंथ के रचयिता हैं । इसमें काव्य, अलंकार, नायक-नायिका, दूती, भाव और षटकातु आदि सभी का वर्णन है।