पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२५४

यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।

(२३५)

गार्सो द तासी भाग १, पृष्ठ १०४ पर, वार्ड भाग २ पृष्ठ ४८० के सहारे उल्लिखित बलभद्र चरित्र के रचयिता।

टि०—नृपति सिंह का शासनकाल सं० १९०६-२७ है। अत: १८४४ ई० (सं० १९०१) कवि का उपस्थितिकाल है, न कि जन्मकाल।

—सर्वेक्षण ५४५


५१२. गदाधर भट्ट—बाँदा वाले। जन्म १८५५ ई०।

रागकल्पद्रुम। इनके प्रपितामह प्रसिद्ध मोहन भट्ट (सं० ५०२) थे, जिनके पुत्र पद्माकर (सं० ५०६) थे, जिनके दो पुत्र मिही लाल (१, सं० ६२३) और अम्बा प्रसाद हुए। पहले के पुत्र हैं—वंशीधर, गदाधर, चन्द्रधर और लक्ष्मीधर। अन्तिम (अम्बा प्रसाद) के एक पुत्र था—विद्याधर। ये सभी कवि थे; लेकिन गदाधर इनमें सर्वोत्तम थे। यह दतिया नरेश विजय सिंह के पुत्र राजा भवानी सिंह के दरबारी कवि थे।

टि०—गदाधर भट्ट का जन्म सं० १८६० के लगभग हुआ था। १८५५ ई० (सं० १९१२) इनका उपस्थितिकाल है। इनकी मृत्यु सं० १९५५ के आस-पास हुई।

—सर्वेक्षण १५५


५१३. पहलाद—बुन्देलखण्डी, चरखारी के भाँट। १८१० ई० में उपस्थित।

यह चरखारी के राजा जगत सिंह के दरबारी कवि थे।

टि०—जगत सिंह का शासनकाल सं० १७८८-१८१५ है। यही पहलाद का रचनाकाल है। १८१०ई० (सं० १८६७) में पहलाद का जीवित भी रहना संभव नहीं। यह समय अशुद्ध है।

—सर्वेक्षण ४८५


५१४. विक्रम साहि—चरखारी, बुंदेल खंड के राजा विक्रम साहि, उपनाम विजय बहादुर बुंदेला। जन्म १७८५ ई०; मृत्यु १८२८ ई०।

राग कल्पद्रुम। (१) विक्रम विरदावली, (२) विक्रम सतसई नामक दो प्रशंसित ग्रंथों के रचयिता। शिव सिंह टेहरी के एक और राजा विजय बहादुर बुंदेला का उल्लेख करते हैं, जिनका वे कोई विवरण नहीं देते; केवल जन्म तिथि १८२३ देते हैं, जो वही है, जिसको वे गलती से चरखारी के विजय को देते हैं। टेहरी और चरखारी दोनों बुंदेलखंड में हैं।

टि०—दोनों एक ही कवि हैं। विक्रमसाहि सं० १८३९ (१७८२ ई०) में गद्दीपर बैठे थे। अतः १७८५ ई० इनका जन्मकाल नहीं हो सकता।
५१५. बैताल कवि—बंदीजन और कवि। १८२० ई० में उपस्थित।