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( २३१ ) एक प्रति की शीघ्रता से असंख्य प्रतियाँ करने का कौशल दिखलाया, उससे विद्वानों के लिए एक नया पाठक-समुदाय मिल गया, एक ऐसा समुदाय जो अभी तक अमसूण ग्राम गीतों से ही संतुष्ट होता आया था और जो भारतीय वीरता के प्रारम्भिक दिनों में राजपूत चारणों द्वारा सफलतापूर्वक संबोधित हुआ करता था। किसी राष्ट्र के चरित्र बनाने अथवा बिगाड़ने का यह कैसा अचूक अवसर है ? यहाँ एक बार फिर तुलसीदास की पवित्रात्मा अपने देश- वासियों की रक्षा के लिए आगे आ खड़ी होती है। बंगाल' के विपरीत हिन्दुस्तान के पास, सौभाग्य से आदर्श की यह प्रतिमा थी, जहाँ वे पीछे मुड़कर जा सकते थे । तुलसी की सर्वप्रियता ने तुलसी साहित्य की माँग की और बनारस के पंडितों ने अपनी चारित्रिक क्षिप्रता के साथ उसे पूरा भी किया। रामायण के साथी महाभारत नामक महाकाव्य का गोकुलनाथ कृत महान भाषानुवाद महाराज बनारस के लिए १८२९ ई० में पूर्ण होकर प्रकाशित हुआ! एक मात्र यह कृति इस युग को महत्त्वपूर्ण बनाने के लिए पर्याप्त है; लेकिन इस पवित्र पुरी से आगे प्रकाशित होने वाली अन्य अनेक महान कृतियों का यह एक प्रारम्भिक उदाहरण मात्र है.। बाद की पीढ़ी के अन्य लेखक, जिनमें से सबसे बड़ों में से सौभाग्य से एक आज भी जीवित है, जो अधिक विस्तृत और उदार दृष्टिकोण बाले थे तथा पौराणिक सृष्टि- विज्ञान के क्षितिज के भीतर ही बन्द नहीं थे, आगे आए; और राजा शिव प्रसाद तथा हरिश्चन्द जैसे लोगों ने हिन्दुस्तान के शिक्षित समाज का जो कल्याण किया है, उसको नाम जोख नहीं की जा सकती। ___ अवध के तालुकेदारों ने भी काव्य को प्रोत्साहन देने की अपनी प्रतिष्ठा को पूर्ववत बनाए रखा। विद्वन्मोद तरंगिणी के रूप में अवध एक सुन्दर काव्य संग्रह प्रस्तुत करने का गर्व कर सकता है, यद्यपि इस क्षेत्र में भी बनारस ने इसको पूर्णरूपेण आच्छादित कर लिया है, (क्योंकि क्या सुन्दरी तिलक अपने दंग का सर्वाधिक प्रिय ग्रन्थ नहीं हैं ?--जो कि उचित ही है।) ये काव्य संग्रह, जिनमें से सत्रहवीं शती के अन्त में संकलित कालिदास हजारा सबसे पुराना महत्त्वपूर्ण संग्रह है, उन्नीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में प्रचुर संख्या में १. यह कहना अनावश्यक है कि मैं बाद में ईश्वरचंद विद्यासागर द्वारा प्रारम्भ किए गए बँगला साहित्य के पुनरुत्थान की ओर संकेत नहीं कर रहा हूँ, बल्कि भारतचंद्र और उनके अनुयायियों की अश्लीलता की ओर, जो उस समय तक इतनी अधिक सर्वप्रिय थी। २. हिन्दी-भाषा-भाषी प्रदेश ! -अनुवादक ३. राजा शिव प्रसाद । -अनुवादक