पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२१८

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

- ३२९, मोहन कवि-१७२० ई० में उपस्थित । यह राजा जयसिंह सवाई (सं० ३२५ ) के दरबार में थे । देखिए सं० २८४ । ३३०. बुद्ध राव-हाड़ा । १७१०-१७४० ई० में उपस्थित । यह बूंदी के राजा थे और आमेर के राजा जयसिंह सवाई (से० ३२५) की बहन से व्याहे गये थे। बादशाह बहादुरशाह ने (१७०७-१७१२ ई०) अपने भाई आलम की प्रतिद्वंदिता के समय इनसे बड़ी सहायता पाई थी। सिंहासन प्राप्ति के लिए यह इनका परम कृतज्ञ था। बुद्ध ने सैयद बुरहाना के विद्रोह में भी १७२४ ई० में बादशाह को बचाया था और पुनः शक्तिशाली बनाया था। शाही सिंहासन प्राप्ति के इस संघर्ष में इनकी विशेष सेवाओं के लिए इन्हें रावराजा की उपाधि मिली थी। यह १७४० ई० के आस-पास अपने साले जयसिंह द्वारा हराए गए और गद्दी से उतार दिए गए। यह स्वयं कवि और कवियों के आश्रयदाता थे। देखिये, टाड भाग २, पृष्ठ ४८२ और आगे; कलकत्ता संस्करण भाग २, पृष्ठ ५२८ और आगे। ____ टि-राव बुद्ध सिंह का जन्म सं० १७४२ में एवं देवाहसान सं० १७९६ में हुमा । यह अपने बहनोई द्वारा सं० १७८७ में गद्दी से उतार दिये गए थे। राव राजा इनकी पुश्तैनी उपाधि थी। बहादुरशाह ने इन्हें महा राव राजा की उपाधि दी थी। -सर्वेक्षण ४९८ ३३१. भोज मिसर कवि-प्राचीन । १७२० ई० में उपस्थित । यह बुद्ध राव (सं० ३३० ) के दरबार में थे और 'मिसर शृङ्गार' नामक ग्रंथ के रचयिता थे। ३३२. गुरदत्त सिङ्घ-अमेठी (अवध ) के राजा, उपनाम भूपति कवि, १७२० ई० के आसपास उपस्थित । । सत्कविगिराविलास, सुन्दरी तिलक । यह स्वयं तो कवि थे ही, कवियों के बड़े आश्रयदाता भी थे। सुन्दरी तिलक में यह छितिपाल कहे गए हैं। गासों द तासी, भाग १, पृष्ठ १२१ एक भूपति या भूदेव का उल्लेख करता है, पर वे कायस्थ हैं और हिंदी पद्य में लिखित श्री भागवत नामक ग्रन्थ के रचयिता है । देखिए सं० ६०४। टि०-अमेठी नरेश गुरुदत्त सिंह, 'भूपति' का रचनाकाल सं० १७८८-९९ है। सुंदरी तिलक में छितिपाल की रचना है। छितिपाल इन गुरुदत्त से · भिन्न हैं। भारतेन्दु कालीन अमेठी नरेश राजा माधवसिंह (रचनाकाल सं०