पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/२०२

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उत्पन्न ( १ उपस्थित ) थे और जोगतत्व नामक ग्रंथ के रचयिता थे, ये दोनों भी संभवतः यही है। टिप्रियर्सन के १४० संख्यक सहाकवि देव ही, सं० १७५९ में २९ वर्ष की बय में इटावा छोड़ कुसमड़ा में आ. बसे थे। इसमड़ा मैनपुरी जिले में है, न कि कन्नौज में । कन्नौज कोई जिला नहीं, यह स्वयं फर्रुखाबाद जिले में है । समय भी अशुद्ध है। --सर्वेक्षण ३४१, ३६० . अन्य देवदत्तों (सर्वेक्षण ३६२, ३६५) से इनके अभिन्न होने के - संबंध में कुछ नहीं कहा जा सकता। ....२६२. सिरोसनि कवि-जन्म १६४६ ई० । हजारा । देखिए संख्या २६७ टिकशिशोमणि ने सं० १६८० में 'उर्वशी' नामक कोश ग्रंथ बनाया था। अतः १६४६ ई० से बहुत पहले इनका जन्म हुआ रहा होगा। यह उनका उपस्थिति काल है। यह शाहजहाँ (शासन काल सं० १६८५- -- १७१५) के माश्रित थे। -~-सर्वेक्षण ८९९ . २६३. बलदेव कवि-प्राचीन । जन्म १६४७ ई० । हजारा, सुंदरी तिलक। २६४. जगजीवन कवि-जन्म १६४८ ई० । ___. हजारा। २६५. तोख कवि-जन्म १६४८ ई० । कवि माला, हजारा, सुंदरी तिलक । टिकतोष ने सुधानिधि की रचना सं० १६९१ में की थी, भतः स्पष्ट • है कि १६४८ ई० इनका उपस्थिति काल है। -सर्वेक्षण ३३० . २६६. मुकुंद कवि-प्राचीन । जन्म १६४८ ई०। . हजारा । : टिo-मुकुंद ने रहीम को प्रशस्ति लिखी है, अतः यह सं० १६८४ के आस पास उपस्थित थे। १६४८ ई० इनका जन्मकाल नहीं हो सकता, यह इनका वृद्ध-काल हो सकता है। -सर्वेक्षण ६३६ २६७. रसिक सिरोमनि कवि-जन्म १६४८ ई० । . हजारा । देखिए सं० २६२ ।