पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१८८

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.:. टि–बनवारी ने अमर सिंह के ऊपर वर्णित वीर कृत्य का वर्णनः एकः कवित्त में किया है । यह घटना ऐसी है, जिसका वर्णन कोई भी कवि कर सकता है । इसी एक कवित्त के सहारे बनवारी को अमर सिंह का दरबारी कवि नहीं कहा जा सकता है यह उनके समकालीन हो सकते हैं। . : : -सर्वेक्षण ५७० १९३, रघुनाथरायः कवि--१६३४ ई० में उपस्थितः । . :: :.. सुंदरीतिलक। यह जोधपुर के राजकुमार अमरसिंह ( सै० १९१ ) के दरबार में थे। देखिए टाड, भागः-२, पृष्ठ ४४; कलकत्ता : 'संस्करण, भाग २,

‘टि-सुंदरी तिञ्चक, में इन रधुनाथ राय की रचनाएँ नहीं हैं, रघुनाथ

.. वंडीजन बनारसी की रचनाएँ हैं। : : :: :: ::, ...... : १९४, सूजा-१६८१-ई० में उपस्थित :: :: :: .: मारवाड़ के जसवंतसिंह ( :१६६३८-१६८१ ): के दरबार का एक चारण । देखिए; टाड भाग २, पृष्ठ ५९; कलकत्ता संस्करण भाग २, पृष्ठ ६२ ।।: : | १९५: अजीत सिङ्घ---जोधपुर, मारवाड़ के महाराज अजीत सिंह राठौर | :१६८१-१७२४, में:जीवित 1::.;...::.:.:. ... • .: इस राजा ने राजरूपकाख्यातनाम का ग्रंथ लिखा था। इसमें ४६९ ई० से; जब नयनपाल ने कन्नौज को जीता; और वहाँ के राजा अजयपाल: को; मारा, जयचंद के समयः लककी घटनाओं का इतिहास है। दूसरे भाग में इतिहास महाराज जसवंत सिंह की मृत्यु, सं.० १६८१ ई०, तक पहुँच गया है; पुनः, तीसरे भाग में सूर्यवंश का इतिहास प्रारंभ से लेकर १७३४ ई. तक दिया गया हैं, देखिए:दाड, भाग २, पृष्ठ.२, ४, ५८ और आगे, ८९ टि और १०७ टि; कलकत्ता संस्करण भाग २; पृष्ठं २, ४, ६४ और आरो, ८९ टि०- और ११७ टि० :: : ... ... . . . , :::::: टि-अंजीत सिंह का जन्म सं० १७३५ में एवं देहावसान सं० १७८१ : - में हुआ। . .. . . . . . . . . : | " : : :: : : :: :...:--सर्वेक्षण ४७ ' , १९६.बिहारीलाल चौबे--ब्रज के, १६५० ई० में उपस्थितः। . . : | सत्कविगिर, बिलास, काव्यःनिर्णय; राग कल्पद्रुम । भारतवर्ष के अत्यंत . प्रसिद्ध कवियों में से एक। इनकी कीर्ति ‘इनकी : सतसई ( राग कल्पद्रुमः) पर निर्भर करती है, जिसकी प्रति.पंक्ति के लिए इन्होंने राजा जयसिंह से एक अशरफी: पाई थी। इस कठिन ग्रंथ. के लालित्य, सरसता और विचित्र