पृष्ठ:हिंदी साहित्य का प्रथम इतिहास.pdf/१८२

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१८५, राजे सिब्ब-उदयपुर मेवाड़ के राना। शासनकाल १६५४-१६८१ ई०। | औरंगजेब के प्रसिद्ध प्रतिद्वन्दी । ( देखिए, टाडे का राजस्थान, भाग १; पृष्ठ ३७४; कलकत्ता संस्करण भाग १, पृष्ठ. ३९६ ): एक अज्ञात कवि ने • इनके समय का इतिहास ‘राज प्रकाश' नाम से लिखा है । ( टाड, भाग १, पृष्ठ १४ भूमिका, कलकत्ता संस्करण, भाग १, पृष्ठ १३ भूमिका 1) : . , दि० सरोज से: “राज प्रकाश के स्थान पर राज विलास’ नाम है। जोः मान, कवीश्वर की रचना है, जिसका उल्लेख संख्या १८६' पर स्वयं ग्रियर्सन ने किया है। ।'-": :: :: : : :: :: :: :: :.-: सर्वेक्षण ७९७. १८६: मान कवीश्वर-राजपूताना के. वारण और कवि : १६६०.:: ई० ... में उपस्थित । .. :: ... ... ... . :: :: - मेवाड़ कैराना राजसिंह (सं० १८५ ) के आदेश से इन्होंने राजदेव विलास लिखा, जिसमें औरंगजेब और राज सिंह के युद्ध का वर्णन है । देखिए; टाड भाग १; पृष्ठ २१४, ३७४: और आगे, तथा ३९१; कलकत्ती संस्करण भाग.१, पृष्ठ २३१, ३९६.और आगे, तथा ४१४} :. १८७: सदासिने कवि-चारण और कवि--१६६० ई० में उपस्थित है " . यह औरंगजेब के शत्रु मेवाड़ के राना राजसिंह ( सं० १८५') के यहाँ थे और ‘राज रत्नाकर' नाम से अपने आश्रयदाता का जीवन चरित इन्होंने लिखा है। देखिए, टाड भाग १, पृष्ठ २१४, ३७४ और आगे; कलकत्ता संस्करया, भाग १, पृष्ठ २३१, ३९६ और आगे ।। १८८. जै सिङ्ख-उदयपुर मेवाड़ के राना । शासनकाल १६८१-१७०० ई० । | यह राना राजसिंह ( सं० १८५ ) के पुत्र और कवियों के आश्रयदाता थे। इन्होंने एक ग्रंथ बैदेव विलास लिखा है, जो उन राजाओं का जीवन चरित है, जिन्हें इन्होंने जीता था। देखिए, टॉड भाग १; पृष्ठ १४ भूमिका, २१४ और ३९१-३९४; कलकत्ता संस्करण, भाग १; पृष्ठ १३ भूमिका, २३१, ४१४-४१८ ! :: :: :: :: : :: :: : :: :.... .: : :

टि०-सरोज के अनुसार इन्होंने जयदेव विलास नाम.ग्रंध्र बनवाया,

स्वयं नहीं बनाया; इसमें इन्हीं के वंश के राजाओं के जीवन चरित हैं। इनके.. द्वारा पराजित राजाओं के नहीं है। ... . . ::--सर्वेक्षण २९६ १८९..रनछोर कवि---१६८० में उपस्थित । । | इनकी तिथि संदिग्ध है। यह मेवाड़ के एक घारण ग्रंथ (Bardic