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बहुवचन

‘बहुवचन' बनाने के लिए कुछ नियम हैं, बहुत कम और बहुत सुरल | बहुवचन-प्रयोग को दो भागों में बाँट लीजिए-निर्विभक्ति और सविभक्तिक । ने, को श्रादि विभक्षियों के बिना अब बहुवचन हो, तो ‘निर्वि- भकिक और उन के साथ हो, तो ‘सविभक्तिक। | निविभक्तिक बहुवचन प्रायः ‘कत तथः ‘क’ कारकों में ही दिखाई अकारान्त पुवर्ग के शब्द निर्विभक्तिक बहुवचन में ज्यों के त्यों रहते ई, कुछ भी रूपान्तर नहीं होदा । क्रिया अथवा विशेषण से बहुत्व की प्रतीति होती हैं--- बालक पढ़ते हैं; कवियों ने बालक देखे ।। एक जगह कता और दूसरी जगह कर्मकार में बालक’ बहुवचन है ।

  • पढ़ते हैं तथा देखे' क्रिया से स्पष्टता है। इसी तरह इकारान्त, ईको-

रान्त, उकारान्त, ऊकारान्त, इकारान्त, ओकारान्त तथा औकारान्त पु’वर्गीय शब्द निर्विभकिक बहुवचन में तदवस्थ रहते हैं- कवि मस्ते रहते हैं ! इम ने कुछ कवि देखे कुछ विद्यार्थी आए हैं। हमने स विद्यार्थी बुलाए हैं। प्रभु जी करेंगे, ठीक । यशोदा ने हजार भानु देखे - चाकू अच्छे हैं। हम ले दस चाकू लिए हैं। धुरा के चौवे आए हैं । इसने चौबे देखे हैं जौं अच्छे हैं। राम ने जौ बुवाए हैं। इसी तरह पूवर्गीय संस्कृत ( तद्रूप ) शब्दः--- विधता जो भी करें, मंडूर है। पिता जी कुछ चिन्ता में हैं। राजा सब बुरे ही नहीं थे परन्तु हिन्दी के अपने या तद्भव अकारान्त पुवर्गीय शब्दों के अन्त्य

  • झी बदह 'ए' हों का गए--

लड़के पढ़ में हैं। इन ने लड़के देखे