पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/९४

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उपमित इपरंजन वीच उपमावावक शब्द का लोप करके बनता है । जैसे,— उपयुक्त--वि० [सं०] १ योग्य । ठीक 1 २ उचित । वाभिव। पुरुपसिंह, नव्यान्न, घनश्याम । मुनासिव । ३ सबद्ध (को०) । ४ सहकारी अधिकारी (को०)। उपमिता-वि० स्त्री० [स०] २० 'उपमित' । | ५ उपयोग में लाया हुअा (को॰) । उपमिति–संज्ञा स्त्री० [स०] उपमा या सादृश्य से होने वाला ज्ञान । उपयुक्तता--सज्ञा स्त्री॰ [स०] १ ठीक उतरने का भाव । यथार्थता । उपमित्र--सज्ञा स्त्री० पु० [सं०] वहिरग साथी । साधारण मित्र [को०] 1 २ योग्यता । ३ प्रचित्य । उपमेत सच्चा पुं० [सं०] साखू नाम का पेड । शालवृक्ष [को०] । उपयोग–सुझा पु० [सं०] [वि॰ उपयोगी, उपयुक्त १ काम् । उपमेय..-वि० [सं०] उपमा के योग्य । जिसकी उपमा दी जाय । व्यवहार [ इस्तेमाल । प्रयोग । प्रयोजन । २ योग्यता । ३ वर्ष । वर्णनीय ।। फायदा । लाभ।४ प्रयो हुन् । अविश्यकता । उपमेयर--सज्ञा पुं० वई वस्तु जिसकी उपमा दी जाय। वह वस्तु जो | यौ –उपयोगवाद । किसी दूसरी वस्तु के समान बतलाई गई हो। जैसे, 'मुखकमेल उपयोगवाद-सच्चा पुं० [सं० उपयोग+वाद] वह सिद्धात जिसके में मुख उपमेय है। अनुसार जीवन के सब कार्यों का उद्देश्य अधिक से अधिक उपमेयोपमा--सल्ला स्व० [स०] वह उपमा अलकार जिसमें उपमेय प्राणियो को अधिक से अधिक सुख पहुंचाना है । यह १९वीं की उपमा उपमान हो और उयमान की उपमेय । जैसे, शती के विचारक जॉन स्टुअर्ट मिल का सिद्धात है । पूरन मासी सी तु उजरी अरु तोस। उ जारी है पूरनमासी ।- (अ० यूटिलिटेरियनिज्म) 1 देव (शब्द॰) । उपयोगिता--सच्चा स्त्री॰ [स०] काम में ग्राने की योग्यता लाभका- उपयता-सा पुं० [सं० उपयतु] [स्त्री० उपयत्री] वर । पति 1 रिता । उ०—अर्थशास्त्र यह नहीं बतलाता कि कौन कार्य वह जो अपना विवाह करनेवाला हो । करना उचित है और कौन अनुचित । वह तो केवल इतना ही उपपत्र–सद्या पुं० [सं० उपयन्त्र] वैद्य या जर्राहो का एक यत्र जिससे बतलाता है कि जिस कार्य के करने से अधिक सतोष या देह मे चमकर रह जानेवाली काँटा आदि चीजें निकाली उपयोगिता प्राप्त हो-चाहे वह कार्य अच्छा हो या बुरा- जाती हैं। उसको ही करना चाहिए ।—प्रर्थ०, पृ० २६ । उपयना----क्रि० अ० [सं० उत् + पद् प्रा० उपज्ज, हि० उपयना] उपयोगितावाद—संज्ञा पुं॰ [सं०] अधिकाधिक लोगो के अधिकाधिक उत्पन्न होना । पैदा होना । उ०—सुनि हरि हिय गरव गूढ हित का सिद्धात । यह जान देंथम द्वारा प्रतिपादित हुआ उपयौ है !--गीता०, ६।११।। था। उ० --व्यक्तिवादी राज्य को उपयोगितावादी तर्क द्वारा उपयम-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ विवाह । २ संयम । ३ अाघार । भी उचित वताया गया था।--राजनीति विचार, पृ० ६६ ।। अलवन (को॰) । उपयोगितावादो----वि० [सं० उपयोगितावाविन्] १ उपयोगितावाद उपमन-सच्ची पु० [स०] १. विवाह । २ सयम । ३ वटा के सिद्धात को माननेवाला । २. उपयोगितावाद के सिद्धात हुमा कुश । ४. अग्नि के नीचे रखना (को०) । ५ अवलबने । का प्रवर्तक । सहारा (को॰) । उपयोगी--वि० [सं० उपयोगिन] [वि० सी० उपयोगिनी] १. उपयाचक-वि० [स० उप + याचक] १ मांगनेवाला । निवेदन काम देनेवाला । काम में आनेवाला । प्रयोजनीय । मसरफ करनेवाला। २ किसी युवती से विवाह की प्रार्थना करनेवाला। का । २ लाभकारी 1 फायदेमंद । उपकारी । ३ अनुकूल । मुवाफिक। विवाहार्थी (को०) ।। उपयोपसुज्ञा पुं० [सं०] अनद । सुख [को०] । उपपाचन–सा मुं० [स०] १ याचना करना ! प्रार्थना करना। उपरग –सुझा पु० [स० उपराग, उपरङ्ग] १ ग्रहण । २. मांगना ! मनौती को०) ।। निदा । परीवाद । ३ व्यसन । ४ ग्रहो की हलचल ( उ०—- उपयाचना–सच्चा स्त्री॰ [सं॰] दे० 'उपयाचन' [को०] । अखर अभगा सब उपरगा नाहिन लघा अाधारम् ।-राम० उपयाचित—वि० [सं०] माँगा हुआ 1 प्रायित । निवेदित [को०)। धमं॰, पृ॰ २३० । उपयाचित-सा पुं० १ प्रार्थना । निवेदन । २ देवता की बलि । उपजक–वि० [सं० उपञ्जक] [स्त्री० उपरजिका १ रंगने मनौती [को॰] । वाला 1 २ प्रभाव छ।लबाला । असर डालनेवाला । उपयान-सम्रा पु० [सं०] १ पास आना । प्राप्त करना प्राप्ति । उपरजक-संज्ञा पुं० साक्ष्य में वह वस्तु जिसका अाभास उसकी | उपलब्धि [को०)। पासवाली वस्तु पर पड़ता है। वह वस्तु जिसके प्रभाव से उपयापन-सक्षी पुं० [सं०] १. पास लाना । २ विवाह [को०] । उसके निकट की वस्तु अपने असली रूप से कुछ भिन्न दिखाई उपयाम---सपा पुं० [स०] १ यज्ञपात्र विशेष । २. सौमरस पडती है । उपाधि । जैसे, लाल कपडा जिसके कारण उसपर निकालते समय पढ़े जानेवाले सूत्र या वैदिक मंत्र । ३ रखा हुया स्फटिक लाल दिखाई पड़ता है। विवाह किये। उपरंजन-–-सज्ञा पुं० [स० उपरञ्जन] [वि॰ उपरजक, उपरजनीय, उपयायो—वि० [सं० उपयायिन्] १ समीप जानेवाला । २. किसी उपरजित, उपरज्य] १. रंगना।२ प्रभाव डालना । असर विशेष स्यिति या अवस्था को प्राप्त करनेवाला (को०] ।