पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/९२

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[को०]। पपाश्र्व भौगो उपपश्र्वि-सज्ञा पुं० [सं०] १ कधा । २ वगल । विपरीत पक्ष । उपबंध-सज्ञा पुं० [सं० उपवघ] १ सवघ । २ कामशास्त्र के ४ छोटी पसली [को०] । अनुसार एक अासन् । ३ अनुवध । प्रयोग (को०] । उपपीडन- सुज्ञा पुं० [स० उपपीडन] १ दबाना । २ कष्ट देना । उपवरहन-सा पुं० [सं० उपवर्हण] दे० 'उपवहंण' (को०) । चोट पहुंचाना । ३ पीडा । कष्ट । मानसिक व्यथा (को०] ।। उ०-१बरहन वर वरनि ने जाही, त्रग सुगध मनि मदिर उपोडित-वि० [सं० उपपीडित] १. दवाया हुआ । ३ कष्ट माही --मानस, १५३५६ । | पहुँचाया हुआ (को॰] । उपबह-सज्ञा पुं० [सं०] दे॰ 'उपवण' (को॰] । उपपुर----सज्ञा पुं॰ [सं०] [लो० उपपुरी] नगर का बाहरी भाग। उपवर्हण–सझा पुं० [सं०] १ तकिया । २ देवान । निपीड़न [को०)। उपनगर [को०] । उपवहु-वि० [सं०] थोडे । अल्पसंख्यक [को॰] । उपपुराण-सुज्ञा पुं० [स०] १६ मुख्य पुराणों के अतिरिक्त और छोटे उपवाह-सच्चा पुं० [सं०] पहुचा । हाय का कोहुनी से नीचे का मार्ग पुराण । विशेष-ये भी गिनती में १८ हैं । (१) सनत्कुमार, (२) उपवृहण-सज्ञा पुं० [सं०] परिवधित 1 वढाना (को०] ।। नारसिंह, (३) नारदीय, (४) शिव, (५) दुर्वासा, (६) कपिल, पवहित-वि० [सं०] अभिवधित । वढाया हुअा। २. युक्त । (९) मानव, (८) भौशनस, (६) वरुण, (१०) कालिक, । सयुक्त (को०)। (११) शाव, (१२) नदा, (१३) सौर, (१४) पराशर, उपवृही-वि० [सं० उप हिन्] न्यूनता या कमी को पूरा करने (१५) अादित्य, (१६) माहेश्वर, (१७) मार्गव और (१६) | वाला । पूरक क्वै०} । वाशिष्ठ ।। उपवैन --सज्ञा पु० [सं० उपवचन, उपवयन] उपवचन । उपपुरो--सुज्ञा स्त्री० [सं०] नगर का उपात । नगर की परिवेश । उपकयन । उपवावय । उ०---जिते बाल उपवन झूठे उचाई। परिसर (को०] । धरे नाम छत्री ने सस्त्र पचारे --पृ० ०, १२५४७३ । उपपुष्पिकासंज्ञा स्त्री॰ [सं०] १. जै माई 1 २. पुर। मह खोलकर उपभग-संज्ञा पुं॰ [सं० उपभङ्ग] १ भागना। पीछे हटना । २ साँस लेना की। छद का एक खड या टकहा [को०)। उपपौरिक---वि० [सं०] [० उपपौरिकी नगर के उपात से उपभोपा--संज्ञा स्त्री० [सं०] वोली । जनपदीय भापा । प्रातीय भाषा | रहनेवाला । उपपुर का निवासी को०] । के क्षेत्र के भतगत किसी छोटे भूभाग में बोली जानेवाली जन- उपप्रदर्शन--संज्ञा पुं० [सं०] सकेत करना । इगित करना । निर्देशन । भाषा (को॰] । वताना [को०] । | उपभूक्त-वि० [सं०] १ जिसका भोग किया गया हो । व्यवहार उपप्रदान--संज्ञा पु० [सं०] १ देना। सपना । २ घुसे। रिश्वत । ३. किया हुअ । काम में लाया हुआ । वर्खा हुआ । २ जूठा । भेट [को॰] । उच्छिष्ट । उपप्रधान--सज्ञा पुं० [सं०] प्रधान का सहायक । प्रधान का सहयोगी । यौ०—उपभुक्त घन = वह जिसने अपने धन का उपयोग उपप्रमुख---सज्ञा पुं० [स०] उपाध्यक्ष । किया हो । उपप्रश्नसंज्ञा पुं॰ [स०] किसी वडे और गंभीर प्रश्न के भीतर निकल उपभुक्ति--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ उपमोग । २. ग्रह की दैनिक गति अानेवाला छोटा प्रश्न । अप्रधान या अमुख्य प्रश्न [को०)।। [को॰] । उपक्षणे---सज्ञा पु० [सं०] उपेक्षा करना या परवाह न करना [को०] । उपभूषण---सका पु० [सं०] हलका या छोटा गहना । लघु अभूपण उपप--संज्ञा पुं० [सं०] १ निमत्रण । २. सूचनापत्र (को०)। [क]। उपप्लव-संज्ञा पुं० [सं०] [वि॰ उपप्लवित, उपप्लवी, उपप्लय] उपभत--वि० [सं०] १ पास लाया हुआ । २ उपलव्ध [को०)। उपप्लुत १ बाढ़ । २ उत्पात । हुलचल । हगामा । उपभेद---सज्ञा पुं॰ [सं०] प्रधान भेद या प्रकार के भीतर किए गए बलवा ! ३ कोई प्राकृतिक घटना जैसे ग्रहण, भूकप, आदि । लघु प्रकार | शाखाभेद को]। ४ अघी । तूफान । ५ 'भय ! खतरा। ६ विघ्न । बाघा ७ उपभोक्तव्य-वि० [सं०] उपभोग के योग्य । उपभोगक्षम [झौ०] । राहु । ८ शिव (को०)। ६ संदेह । विचिकित्सा (बौद्ध)। उपभोक्ता-वि० [वि० उपभोक्त] [वि० ख० उपभोक्तृ] उपभोग उपप्लवी--वि० [सं० उपप्लविन्] [स्त्री० उपप्लविनी] १. उपद्रव करनेवाला । व्यहार का सुख उठानेवाला। काम में मचानेवाला । हुलचल मचानेवाला । अाफत डानेवाला । २ लानेवाला ।। हुवानेवाला । तरावर करनेवाला । ३ जिसपर या जहाँ पर उपभोग - संज्ञा पुं० [सं०][वि० उपभोगी, उपभोग्य, उपभुक्त] फत ग्राई हो । ४ जिसपर ग्रहण लगा हो । किसी वस्तु के व्यवहार का सुख ! मजा लेना । २ व्यवहार । उपप्लुत--वि० [सं०] १ भयंकर रूप से आक्रात । २. ग्रस्त (राहू काम में लाना । वर्तना। सुख की सामग्री। विलास की | से) । ३ उत्पात से पूर्ण । ४ सींचा हुअा। जलप्लावित । ५५ वस्तु । ४. विषय 'मोग (को०)। ५ स्त्रीप्रसग (को०)। ७ अमू से मरी (अखें)। ६. रौंदा हुअा। मसला हुश्री को०)। फलप्राप्ति (को॰) । उपप्लुता—संज्ञा स्त्री० [सं०] एक प्रकार का रोग (को०]। उभीगी-वि० [सं० उपभोगिन्] उपभोग करनेवाला [ये] । उपभोग्य, उपभुक्त]१ काम में लक व्यवहार का सुख दि)। ६. रौदह है। जलप्लावित |