पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/८४

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उपक्व अपघात दु ख । २ क्लेशो का कारण (को०)। उ०---इस प्रकार दर्जा में वांटे जाते हैं, जिन्हें क्रम से बाहर खला, भीतरी समाहित, परिशुद्ध, पर्यवदात, निर्मल विगत उपलैश चित से शृ खुला और गर्मशृखला अयवा उपत्यका, छोटा हिमालय पूर्व भय की अनुस्मृति का ज्ञान प्राप्त किया ।--हिंदू० सम्यता और वडा हिमानय कहते हैं। हमारे पुरखे भी इस भेद को --२४० । पहचानते थे और इन शृखलाग्री को क्रम से उपगिरि, उपक्वण-सं० पुं० [सं०] वीणा बाद्य की ध्वनि (को॰] । वहिगिरि और अतरि कहते थे --मारत० नि०, पृ० ११० । उपक्वाण-संज्ञा पुं॰ [सं०] देखो ‘उपक्वण' [को०) । उपगिरि-क्रि० वि० [सं०] पर्वत के निकट को०] । उपक्षय-सज्ञा पुं० [स०] धीरे धीरे होनेवाला क्षय । क्रमश क्षीण , उपगीति--संज्ञा स्त्री० [स] श्राव ठ्द का एक भेद जिसके विपम पदों | होना [ये०] । मै १२ और सम पदों में १५ मात्राएँ होती हैं । अत में एक उपक्षेप-सज्ञा पुं० [स०] १ अभिनय के आरभ में नाटक के समस्त गुरु होता है । विपम गणो में जगण न होना चाहिए । इसका वृत्तात का संक्षेप मे कथन । २ अाक्षेप । ३ आरभ (को०) ।४ दूसरा नाम ‘गाहू' भी है । उ०—रामा रामा रामा अाठी जामा चच (को०) । ५ फेंकना । उल्लेख या चर्चा (को०) ।। जप मा। छाडी सारे काम पही अर्त मुवित्रामा !-छद०, उपक्षेपण--सज्ञा पुं० [सं०] १ फेंकने की क्रिया या 'भावे । २ प्रक्षेप या कटाक्ष करना । ३ सकेत । ४ उपेक्षा । ५ शूद्र का अन्न उपगुप्त—वि० [सं०] गुप्त किया है। 1 छिपाया हुअा [को॰] । पकाने के लिये ब्राह्मण के घर देना [को॰] । उपगुरु-सज्ञा पुं० [सं०] सहायक अध्यापक [को॰] । उपखड-सज्ञा पुं० [स० उपखण्ड] १ खड का लघु ख । २ किसी। | उपगरु.-क्रि० वि० अध्यापक के पास या ममीप (को०] । धारा अथवा उपधारा का छोटा भाग । उपगूढ'–वि० [स० उपगूढ़] १ दिया हुआ । २ अलिगित । मिला उपखान--दे० 'उपख्यान' । उ०--यह उपखान सच है भाई । | हुआ । ३ पकडा हुँ । गृहीत । ४ ददाया हुअा (को०] । नद० ग्रे ०, पृ० १२७ ।। उपगूढ---सा पु० ग्रालि गन (को०] । उपगता--सज्ञा पुं॰ [स० उपगन्ना] १ पहुँचनेवाला । २ स्वीकार उपगूहन–सचा पुं० [स०] १ आनिगेन । उ०-~-तरगो ने अपने हाथो करनेवाला । ३ जानकार । जाननेवाला १४ ज्ञान रखनेवाला में उपगूहन कर लिया ।—श्यामा०, पृ० १४२ ।। (को॰) । उपग्रह-सच्चा पुं० [स०] १ गिरफ्तारी । २ कैद । ३ वधुप्रा । कैदी। उपगत-वि० [स०] १ प्राप्त । उपस्थित । सामने आया हुआ। २ । ४ अप्रधान ग्रह । छोटा ग्रह ।। ज्ञात। जाना हुआ । ३ स्वीकार किया हुअा। अगीकार । विशेष—ग्रहों की पुरानी गणना में राहु केतु ग्रादि उपग्रह माने किया हु। ४ जो हुआ हो । घटित (को०)। ५ मिला गए हैं। ५ फलित ज्योतिप में सूर्य जिसे नक्षत्र के ही उससे हुआ। प्राप्त (को०) । ६ गया हुआ (को०) । ७ दिवगत । मृत पाँचव (विद्युन्मुख), अाठवाँ (शून्य), चौदहवीं (सन्निपात) (को०) । अठारहवाँ (केतु), इक्कीसवाँ (उल्का), वॉईसव (कप), उपगति-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ प्राप्ति । स्वीकार । २ ज्ञान ३ पास । तेईसवाँ (बज्रक), और चौबीसवीं (निर्धात) नक्षत्र भी जाना । समीप गमन (को०) । उपग्रह कहलाता है। उपगम-सज्ञा पुं० [सं०] १ पाम जाना । २ परिचय । ज्ञान । ३ ६ वह छोटा ग्रह जो अपने बड़े ग्रह के चारों ओर घूमता है । प्राप्ति 1 ४ सभोग । ५ साथ । समागम । ६ अनुभूति । ७ जैसे,—पृथ्वी का उपग्रह चंद्रमा । ७. वहुपात्रिक ग्रह जिसे वचन । वादा । ६ स्वीकृति। ६ सपन्न करना (को०)। रॉकेट की सहायता से अतरिया में पहचाते हैं एव जो पृथ्वी की उपगमन- सझा पुं० [सं०] [वि० उपगतृ] १ पास जाना । २ अर्कषण शक्ति की सीमा के बाहर एक स्वतंत्र कक्षा में भ्रमण | स्वीकार । ३ ज्ञान । ४ जाना । गमन करना (को॰) । करने लगता है । ७ रार । पराजय (को०)। ६ कृपा 1 अनुग्रह उपगाती- सज्ञा पुं० [सं० उपगातृ] यज्ञ के ऋत्विजो में से एक, जो (को०) । ६ बढावा 1 प्रोत्साहन (को०)। १० कुश की राशि गाने मे उद्राता का साथ देता है। (को॰) । उपगामी-वि० [स० उपगामिन]जो उपगमन करे [को॰] । उपग्रहण-संज्ञा पुं० [सं०] १ हथेली में ली हुई चीज को गिरने या उपगार--संक्षा पुं० [सं० उपकार सहायता, प्रा० उवयार, भलाई टपकने से बचाने के लिये उसके नीचे दूसरी हथेली लगा देना। हित करना] दे॰ 'उपकार' उ०-दादू सतगुरु सहज मैं, | २ गिरफ्तार करना । कैद करना । ३ सस्कार पूर्वक अध्य- कीया वह उपगार, निरधन धनवत कर लिया, गुरु मिलिया यन । पढना । २ संभालने का कार्य (को॰) । दातार ।-दादू० पृ० २।। उपग्रहसधि–संज्ञा स्त्री० [सं० उपग्रह सन्धि] सर्वस्व देकर विजेता से उपगारी- वि० [सं० उपकारी, प्रा० उपार] दे० 'उपकारी की जानेवाली सघि [को॰] । (को०] । उपग्रह- सज्ञा पुं० [स०] १ उपहार । २ उपहार या भेट देना [को०]1 उपगिरि--संज्ञा पुं० [सं० ] बाह्री शृखला या उपत्यका | बाह्म उपग्राह्य-सज्ञा पुं० [स०] १. भेटे । उपहार। २ राजा अथवा किसी | गृ खला । महापुरुष को दिया जानेवाला उपहार । नजराना [वै] । विशेप--इस चौड़ाई में फैले पहाड़ पहाड़ियाँ नीचे से ऊपर तीन उपघात-सुज्ञा पुं० [स०] [वि० उपघातक, उपघाती] १. नाश करने