पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/८१

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उन्मादक उन्हाँलाराम अाधुनिक पाश्चात्य चिकित्सको के अनुसार जीवन के झझट, उन्मीलना)—क्रि० स० [स० उन्मोलन] १ खोलना २ विकसित विश्राम के अभाव, मादक द्रव्यो के सेवन, कुत्सित भोजन, घोर करना । खिलाना [को०] । व्याधि, अधिक सतानोत्पत्ति, अधिक विपय भोग, सिर की चोट उन्मीलित–वि० [सं०] खुला हुँ । ग्रादि से उन्माद होता है । डाक्टरों ने उन्माद के दो विमाग उन्मोलित-सज्ञा पु० एक काव्यानकार जिसमें दो वस्तुओं के बीच किए हैं। एक तो वह मानसिक विपर्यय जो मस्तिष्क के अच्छी इतना अधिक सादृश्य वर्णन किया जाय कि केवल एक ही बात तरह वडकर पुष्ट हो जाने पर होता है, दूसरा वह जो मस्तिष्क के कारण उनमे भेद दिखाई पडे । उ०—-डीठि न परत, सयान- की वाढ के रुकने के कारण होता है। उन्माद प्रत्येक अवस्था दुति कनकु कनक से गात । भूषन कर करकस लगत परसि के मनुष्यों को हो सकता है, पर स्त्रियों को २५ अौर ३५ के पिछाने जात । विहारी र०, दो० ३३३ । यहाँ सोने के गहने वीच और पूरुप को ३५ अौर ५० के बीच अधिक होता है। और सोने के ऐसे शरीर के वीच केवल छूने से भेद मालूम २. रस के ३३ सुचारी भावो में से एक, जिममे वियोग आदि के होता है । कारण चित्त ठिकाने नहीं रहता। उन्मुक्त--वि० [सं०] खुला हुआ ! अच्छी तरह मुक्त । स्वच्छद । यौ- उन्नादग्रस्त । उन्मुख-वि० [सं०] [ी० उन्मुखी] १ ऊपर मुह किए। ऊपर उन्मादक–वि० [सं०] १ चित्तविभ्रम उत्पन्न करनेवाला । पागल ताकता हुा । २ उत्कठा से देखता हुआ । ३ उत्कठित । करनेवाला । २ नशा करनेवाला ।। उत्सुक । ४ उद्यत । तैयार । जैसे, गमनोन्मुख । प्रसवोन्मुख । उन्मादन-सज्ञा पुं॰ [स०] १ उन्मत्त करने का कार्य । मतवाला ५ शब्द करता हुम्रा 1 इवनित (को०)। ६ मुख से बाहर आता | करने की क्रिया । २ कामदेव के पाँच वाणो में से एक है। हुअा किये । उन्मादन–वि० उन्मत्त करनेवाला । उन्मुखर–वि० [सं०] बहुत मुखर 1 वहुत शोर मचानेवाला । अति- उनमादी--- वि० [स० उन्मादिन] [वि० ० उन्मादिन] जिसे । | वाचाल को]। | उन्माद हुँझा हो। उन्मत्त । पगल । बावला ।। उन्मुग्घ---वि० [स०] १ अत्यत असक्त । २ अतिशय मूर्ख । ३ उन्मान'--संज्ञा पुं॰ [सं०] १ नापने या तौलने का कार्य । २ । व्यग्र | व्याकुल [को०)। नाप । तौल । ३ द्रोण नाम की पुरानी तौल जो ३२ सेर की । उन्मुद्र–वि० [सं०] १ मुद्रारहित । जिसपर मुहर न लगी हो । होती थी। २ नियत्रणविहीन । ३. खिला हुआ को०] । उन्मान --सज्ञा पु० दे० 'अनुमान । उन्मार्ग---सज्ञा पुं॰ [सं०][वि० उन्मार्गी] १ कुमार्ग। वुरा रास्ता। उन्मुलक-[स०] उखाडनेवाला । समूल नष्ट करने वाला । ध्वस्त | करनेवाला । वरवाद करनेवाला । - २ वुरा ढग । वुरी चाल 1 निकृष्ट आचरण । | उन्मूलन-संज्ञा पुं॰ [सं०] [वि॰ उन्मूलक, उन्मूलनीय, उन्मूलित] उन्मार्ग-बि० [सं०] कुमार्ग पर चलनेवाली । बुरे चाल चलनेवाला १ जड़ से उखाडना । समूल नष्ट करना। ध्वस्त करना । [को॰] । मटियामेट करना । उन्मार्गी-- वि० [सं० उन्मागिन्] [स्त्री॰ उन्मागिनी,] कुमार्गी । बुरी राह पर चलनेवाला । बुरे चाल चलन का । उन्मूलनीय–वि० [सं०] १ उखाडने योग्य 1 २ नष्ट करने योग्य । उन्मार्जनसंज्ञा पुं० [सं०] १ रगडकर साफ करना। २ किसी... । उन्मूलित---वि० [सं०] १ उखाडा हुअा। २. नष्ट किया हुआ । दाग या धब्वे को मिटाना (को]। उन्मृष्ट-वि० [स०] १ रगडकर साफ किया हुआ । २ मिटाया उन्माजित--वि० [स०] १ रगडकर साफ किया हुआ । २ मलकर हुम्रा । ३ शुद्ध किया हुआ कि०] । और घोकर धब्बा मिटा हुआ । शुद्ध । साफ को०]। उन्मैदा -संज्ञा स्त्री० [सं०] स्थूलता । मोटोपन [को॰] । उन्मित--वि० [सं०] २ तौला हुआ। २ जिसकी माप की गई हो उन्मेष—संज्ञा पुं० [सं०] [वि० उन्मिषित] १. खुलना (अखि का) । | [को॰] । २ विकास । खिलना। उ०—-समस्त चराचर में सामान्य उन्मिति--संज्ञा स्त्री० [सं०] नापा हुअा । २ तोला है [को०)। हृदय की अनूभूति का जैसा तीन और पूर्ण उन्मेप करुणा मे उभिष--वि० [सं०] १ खिला हुआ। विकसित । २ खुना हुआ होता है वैसा किसी और भाव में नही ।-चितामणि, भाग (नेत्र) (को०] । | २, पृ० ५७ । ३. थोडा प्रकाश । यो रोशनी । उन्मिप-सज्ञा १० [सं०] १ खोलना (अबो का) । २ विकसित उन्ह५f-सर्व० [हिं॰] दे॰ 'उन' उ०——ता मधि पूरी ऐसी सोभा होना । खिलना। (जैसे, कमल के फूल का)। ३ उठना या । मानो मॅवर लपटात, उन्ह मधि उडि परे रग मंजीठे --पोद्दार, उगना । ४ चमकना । उद्दीप्त होना [को०] । | अभि० ग्र०, पृ० ३६४ । (ख) उन त देखें पायॐ दरस उन्मिपित-वि० [स०] १ खुला हुमा । २ फूला हुआ । विकसित ।। गोसाईं केर।—जायसी ग्र०, पृ० ८ ! उन्मीलन-सज्ञा १० [सं०] [वि॰ उन्मोलक, उन्मीलनीय, उन्मीलित] उन्हाँलागम संज्ञा पुं० [सं० उष्णकालीगम st० उण्हाल+सं० १ खुलना (नेत्र का) । २ विकसित होना 1 खिलना। - आगम] ग्रीष्म ऋतु । जेठ और असीढ़ ।--इ०। २-६