पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/७५

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सुदै का उद्वाहिके चालुक्य और अंगदेश के राजा पा की जीतने की अपेक्षा ४. व्याह । विवाह ! ५ अग्नि की एक जिह्वा (ले०) । ६. बढकर दिखाया गया है। जहाँ गुण से दोपो को नुच्छा परिवार या घर का प्रधान व्यक्ति (को०)। दिखाई जाय। उ०-बैठत जल, पैठन पुइमि ह्व निमि प्रन उद्वहु-वि० १ ले जानेवाला । २ निरतर चालू रहनेवाला उद्यत । जगत प्रकाशकता तद रवि में हानि न होत । यहाँ (०]। जल में बैठ जाने और रात में प्रकाशरहित रहने की अपेक्षा उद्वहन—संज्ञा पुं॰ [सं०] १ ऊपर खिचना । उठना । २ विवाह । सूर्य में जगत् को प्रकाशित करने के गुण की अधिकता दिखाई ३ ऊपर उठाना या उठा ले जाना। (को०)। ४ चढना । सवार गई है। ३ जहां दोप से दोषो की तुच्छता दिखाई जाय । होना (को०) । ५ युक्त होना । सपन्न होना (को०)। ६ रक्षण। उ०--निरखत वोनत हुँतत नहि नहि अवित पिय पास । से मलिना (को०)। भो इन सवसो अधिक दुख, सौतिन के उपहास । ४ जहां दोष उद्वहा–सद्या स्त्री॰ [सं०] कन्या । पुत्री । से गुणो की तुच्छता दिखाई जाय । उ०--गिरि हरि लोटत उद्वात'-सुज्ञा पुं० [स० उद्वान्न १ वमन । के। जतु लो पूर्ण पतालहिं कीन्ह । परग्यो गौरव सिंधु को मुनि उद्वात–वि० उगला हुग्रा । के किया हुआ । वमिन । इक अजुलि पीन्ह । यहाँ समुद्र में विप्ण और पर्वत के लोटने उद्वान–सा पुं० [सं०] १ अग्निस्यान । चूल्हों । २. वमन (को०]। और पाताल को पूर्ण करने के गुणो की अपेक्षा उसके अगस्त्य उद्बाप-संज्ञा पु० [सं०] १ खेती फसल । मुनि द्वारा पिए जाने के दोप की उद्रेक है। विशेप-चद्रगुप्त के समय में राज्य का यह नियम था कि यदि उद्रेका संज्ञा स्त्री० [सं०] बकायन । महानिद (को०] । कृपक खेती न करे तो उनको राज्यकर इकट्ठा करनेवाले उद्रेचक---वि० [सं०] बहुत अधिक बढा देनेवाला । अत्यधिक वृद्धि समाहर्ता के करिदै बाध्य करते थे कि वे गरमी की फसल | करने वाला (को॰] । तैयार करें। उद्वत्सर--संज्ञा पुं० [सं०] साल 1 वर्ष [को॰] । २ दूर करना । हटाना । फेकना (को०)। ३ मुडन कराना उद्वपन--सज्ञा पुं० [स०] १. हिलाकर गिराना । उडेलना । २ दान | (को०) । ४ ऊपर उठाना या खीचना (को॰) । [को०] । उद्वीपन--संज्ञा पुं० [न०) (अग्नि को) बुहावने या शात करने की उद्वर्त'-.--सज्ञा पु०[स०] १. उबटन । १ उबटन लगाने का कार्य । ३.। क्रिया । बचा हुअा या अतिरिवत अश। ४ अतिशयता । प्राचुर्य । उद्वास—संज्ञा पुं॰ (म०) १ निकाल बाहर करना । २ भगा देना। अधिक्य । ५ विनाश काल । प्रलय काल (को०)। ३. त्याग 1 ४ मारने के लिये जाना । ५ वव । ६ छोड उद्वर्त-वि० अतिरिक्त । चैप । फालतू (को०] । देना [को०] । उद्वर्तक---वि० [१०] १ उबटन लगानेवाला। मानिन करनेवाला । उद्वसन-संज्ञा पुं० [सं०] [वि० उद्वासनीय, उद्वासक. उद्रातित. २ उठानेवाला ।। उद्वास्य] १ स्थान छुडाना । हटाना। भगाना । खदेडना । २ उद्वर्तन–मज्ञा पुं॰ [सं०] १ किसी वस्तु को शरीर में लगाने की उजाडना । बासस्थान नष्ट करना । ३. मारना । बव। ४. क्रिया | ब्यवहार । अम्यंग । जैसे-जैल लगाना, चदन लगाना, एक सस्कार । यज्ञ के पहले आसन बिछाने, यज्ञपात्रो को उबटन लगाना। २ उबटन । ३ उद्दडता । उजड्डपन (को॰) । साफ करके यथास्यान रखने और उनमै घृत ग्रादि डाल ४ ऐश्वर्य अभ्युदय (को०)। ५ तार खीचने का काम । रखने का काम । ५ प्रतिमा की प्रतिष्ठा के एक दिन पहले तारकशी (को०)। ६ चूर्ण करना । पीसना (को॰) । उमे रात भर अपधि मिने हुए जन में डान रखना। उद्बत--वि० [सं०] १ जिसकी मालिश की गई हो। जिसे उबटन उद्वाह-सज्ञा पुं० [म०] [वि० उद्वाहक, उद्वाहक, उद्वाहत, उद्वाही, लगाया गया हो । उठाया हुआ। । ३ बहिष्कृत ! निकाला | उद्वाह्य] १ विवाह । २ उठाना। मैं भानना (को॰) । हुग्रा । ४ सुगधित [को०] । उद्वाहन--मज्ञा पुं० [सं०] [वि॰ उद्वाहक, उद्वाहनीय, उद्वाही, उद्वर्धन--सज्ञा पुं॰ [सं०] १ बढाव । वृद्धि । २ धीमी या दवाई दुई उद्वांहित, उद्वाह्य] १ ऊरर ने जाना । ॐार चढाना। | हँसी (०)। उठाना।२ ले जाना। हटाना। ३. विवाह करना । ४ एक उद्वहुत--वि० [सं०] १. अाकर्षित । खींचा हुम्रा । २ नष्ट किया वार जोते हुए वैत को फिर से जोतना । एक वह जोते हुए । हुग्रा । उन्मूलित [को०] । खेन को दूसरी बांह जोतना। चासे नमाना। ५ व्यग्रता । उद्वस–सज्ञा पुं० [सं०] जनशून्य स्थान []] चिता । परेशानी (को०)। उद्वस- वि० १ नमाप्त । २ गते । गया हुआ । नुप्त । ३ जिससे शहद उद्वाहनी-संज्ञा स्त्री॰ (पु०) १. रस्सी। उपहनी या उपहन fसे घड़े । निकन लिया गया हो (कुत्ता) । ४ खाली । जुन्य [को०] । | में बांधकर कुए से पानी खीचा जाता है। २ को ये । उद्वह–संज्ञा पुं० [सं०] (सी० उद्वहा) १. पुत्र । बेटा । उद्वाहक्ष-सज्ञा पुं० [सं०] बे नक्षत्र जिनमें विवाह होते हैं, जैसे तीन यौ-रघूह । उत्तरा, रेवती, रोहिणी, मूल, स्वाती, मृगशिरा, मना, २. सात वायुमो में से एक जो तृतीय स्कंध पर है । ३ उदान अनुराधा मौर हस्त। घायु जिसका स्थान हैद में माना गया है । वि० दे० 'उदान' । उद्वाहिक-वि० [सं०] उद्बाई से संबधित । वैवाहिक (३०) ।