पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/७४

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उद्भेदन उद्रेक नमस्कार करने के बहाने से प्रिय को देखने के लिये नापिका उद्यापित–० ए० [सं० [उद्यापन किया हुआ । विधिवत् पूर्ण किया खिड़की पर गई पर छिपाने की चेष्टा करने पर भी मुसकाने हुआ कि । ग्रौर कटाक्ष द्वारा उसका गुप्त प्रेम प्रकट हो ही गया। ४ उद्याव—संज्ञा पुं॰ [सं०] मिलाना। मिश्रण करना । जोडना(को०)। मुत्र । उत्न । स्रोन (को०)। ५ उक। रोमांच (को०)। ६ उद्युक्त–वि० [सं०] १ उद्योग में रत । तत्पर । तैयार 1 मुस्तैद । तोड़ना । मुइन (को०)। उद्योग-सज्ञा १० [सं०][वि० उद्योगी, उद्युक्त] १ प्रयत्न । प्रयास । उद्भेदन- सपा पुं० [सं०] [वि॰ उभेदक, उद्भेदनीय, उभिन्न] १ | कोशिश 1 मिहनत । ३ उद्यम । कामधघ।। तोडना । फोइन।। २ फोड़कर निकलना । ऊपर माना। दे० यौ०—उद्योगधधा= उत्पादक का कार्य । उत्पादन का काम। ‘उद्भे द' । उद्योगपति = अनेक उद्योगों को स्वामी । कारखानों का मालिक । उद्भ्रम -सण पु० [सं०] १ चक्कर काटना। मूनभुलैया में पड़े । उद्योगशाला = उद्योग का स्थान । कारखाना । जाना । चकराना। ३. भ्रमण । पर्यटन ६ पश्चात्ताप । उद्योगी–वि० [सं० उद्योगिन] [स्त्री० उद्योगिनी] उद्योग करने ४ उद्वेग (को॰) । वाला । प्रत्यनवान् । मेहनती । उद्भ्रमण—सा पुं० [सं०] १ भ्रमण करना। घूमना । ३ उदित उद्योगीकरण- संज्ञा प ० [सं०] उद्योग के अभाव को दूर करने के लिये होना । उगना को०] । उद्योग की स्थापना करना । अाधुनिक हग के कल कारखाने उद्भ्रात'–वि० [सं० उदभ्रान्त] १ घूमता हुआ। चक्कर मार ता चालु करना। हुने।। २ भ्रातियुवत । भूलो हुा । ३ चकित भौचक्का । उद्योत--सज्ञा ५० [सं०] दे॰ 'उदद्योत' । उ० -ज्ञान उद्योत करि हृदय उदभ्रात'-सा पुं० तनवार के ३२ हाथो में से एक जिसमे ऊँचा हाथ | गुरु वचन धरि जोग से ग्राम के खेत अावे ।-गुलाल० बानी, करके तनवार चारो और घुमाते हैं । इससे दूसर के किए हुए पृ० १०६ । । वार को रोकते या व्यर्थ करते हैं। उद्योतन-सज्ञा १० [सं०] [वि० उद्योतक, उद्योतनीय, उद्योतित] १ उद्यत'-वि० [सं०] १ तैयार। तत्पर । प्रस्तुत । मुस्तैद । उतारू। प्रकाशित करने या होने की क्रिया। चमकने या चमकाने का । उ०—प्रजा काजे राजा नित सुकृत पर उद्यत रहै ।-शकुंतला कार्य । २ प्रकट करने की क्रिया व्यक्त करने का कार्य । पृ० १५४ । यौ॰—वघोद्यत । गमनोद्यत । उद्र क, उद्र ग-संज्ञा पुं० [सं०उद्गड़, उद्] १ के 'उग्र थ' तथा ‘उग्राह' (सारस्वत कोष )। २ वह अन्न जो राजा के अश २ उठाया हुा । ताना हुआ। । ३ शिक्षित । अनुशासित (को०)। | ४ श्रम करनेवाला । परिश्रमी (को॰) । के रूप मे गाँवो से इकट्ठा किया गया हो (बुलर) ।। उद्यत–सद्या पुं० १ सगीत में ताल । २. अध्याय । परिच्छेद । उद्र' संज्ञा ५० [स० उदर] १ दे० 'उदर' । उ०-भयो गाफिल उल्लास (को॰) । | भुलि माया, नहि उद्र अघात ---जग० बानी, पृ० ५५। सद्यति—स स्त्री० [स०] १ तैयारी । २ प्रयत्न । उद्योग। ३ । उद्र--सज्ञा पुं० [सं०] १ जल मार्जार । ऊदबिलाव । २ जल को०] । उठाना [को०] । उद्रथ-सज्ञा स० १ अरुणशिखा । मुर्गा। २ गाडी के पहिए की धुरी उद्यम--सभा पु० [सं०] [वि० उद्यत १ प्रयास । प्रयत्न । उद्योग । की किल्ली (को॰) । मेहनत । उ०--विफल होहि सव उद्यम ताके । जिमि पर- उद्गार्व--संज्ञा पुं० [सं०] शोरगुल । हल्ला [को०] । द्रोह-निरत-मनसा के ।—मानस । ६१९१ । २ कामघधा। उद्रिक्त--वि० [सं०] [संज्ञा स्त्री० उद्रिक्ति] १ वढा हुन्न । अधिकं । रोजगार । व्यापार। उ०--किसी उद्यम में लगो तब रुपया | अतिशय । २ स्पष्ट । प्रत्यक्ष (को०] । मिलेगी। ३. उठाना (को०) । तैयारी (को०) । | यौ०—उद्विक्तचित्त, उद्विक्तचेता=(१) उदारहृदय । उच्चाय । क्रि० प्र०—करना ।—होना । (२) मादकता से प्रभावित । उद्यमी -वि० [अ० उद्यमिन्] मेहनती । उद्यम करनेवाला । उद्र ज-वि० [सं०] १ विध्वस करनेवाला । समूल नष्ट करनेवाला । | यत्नशील (को॰) । | ३ तोउ छालनेवाला को ।। उद्यान-सा पुं० [सं०] १ बगीचा। उपवन । २ उद्देश्य । अम- उद्रे कु–संज्ञा पुं॰ [सं०][वि० वृद्रिक्त] १ वृद्धि । वढ़ती । अधकता। प्राय । (को०) । ३ भारत के उत्तर स्थित देश विषेप (को०)। ज्यादती । २ आरभ । उपक्रम (को०)। ३ ऐश्वयं (को०)। ४ घूमना । टहलना (को०) । एक काव्याल कार जिसमें कई, सृजातीय वस्तुओं की किसी यो०-- उद्यानपाल, उद्यानपालक, उद्यानरक्षक = बगीचे की देख एक जातीय या विजातीय वस्तु की अपेक्षा तुच्छता दिखाई |भाल करनेवाला माली । जाय अर्थात् जिसमें वस्तु के कई गुणो या दोपो का किसी एक उद्यानक-सी पु० [सं०] बगीचा । उपवन (क)। गुण, या दोष के भागे मंद पड़ जाना वर्णन किया जाय। उद्यानकव्यूह–चा पु० [मे॰] वह व्यूह जिसके चारों अग विशेप---इसके चार भेद हो सकते हैं--(क) जहाँ गुण से गुणों असहूत है। की तुच्छता दिखाई जाय। उ० --जयो नृपति चालुक्य को, उद्यापन- सवा १० [सं०] कि उन की समाप्ति पर किया जानेवाला नयो वगपति कध। परगहि अठ सुलतान सय, किय अपूर्व ये, जैसे, एन, Tोदान इत्यादि । जयचंद । यहाँ जयचंद का अाठ सुलतानों को एक साथ पकड़ना,