पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/७२

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

इद्वचनी उद्धता ५८६ उद्धत—सा पु० १ विध्वंसक या नाशक व्यक्ति । २. रक्षा करने- उद्धर-वि० [सं०] १ विजेता । २ हिम्मती । साहसी । ३ अनाद। वलिा । त्राता [को०] । मुक्त । स्वतृव । ४ भार से मुक्त । ५ मोटा। ६. प्रसन्न ! उद्धप–सद्मा पुं० [ स० उद + हुप ] १ प्रसन्नती । आनद । अति । सुदर । ७ उच्च (स्वर)। ६ योग्य । अनुकूल । [को०] । हर्ष । २ व्रतादि का उत्सव । ३ किसी कार्य को करने का उद्धत—वि० [सं०] १ ऊपर उछाला हुआ। २ उम्न ३ । ऊँचा । ३ साहस । ४. उद्रेक । अधिक्य [को०)। | हिलाया हुमा । कति को०] । उद्धपण---सच्चा पुं० [सं०] १ उत्तेजना । २ रोमाच । ३ हपत उद्धनन-सच्चा पुं०[सं०] १ ऊपर उछालना या फेंकना । २ हिलाना। करना ये] ।

  • ३ उठाना (को॰] ।

उद्धव—संज्ञा पुं० [न०] १ उत्सव । पर्व । २ यज्ञ की अग्नि । ३ उद्धपन–सा पुं० [मं०] धूपयुक्त करना । वासित करना [को०] । उद्घ लन---सज्ञा पुं॰ [सं०] धूलि या भस्म अादि से युक्त करना । कृष्ण के चाची और सखा एक यादव । को । उद्धव्य–सल्ला मुं० [ सं . ] बौद्ध शास्त्र नुिसार दस क्लेशो में से एक उद्धेषण---संज्ञा पुं० [सं०] रोगटे खड़े होना। रोमाच ! पुलक (को०)। उद्धस्त–वि० [ स० ] जिसके हाये ऊपर उठे हो (को॰] । उद्ध त'---संज्ञा पुं॰ [सं०] गाँव के वे वृद्ध जन जो गांव सवधी प्रानी उद्धात'–वि० [वि॰ उद्धान्त] दे॰ 'उद्धान"। घटनामो से परिचित तथा समय पर उनको प्रकाशित उद्धात—सुन्न पुं० मदरहित हाथी को०] । करनेवाले हो । उद्धान-वि० [सं०] १ उगला हुआ । वमन किया हुआ । २ स्थून विशेष –मश्यकाल में सीमा सवयी झगड़ो का इन्हीं लोगों के काय } पीन । फूला हुआ । ३ ऊपर गया या निकला हुप्रा । साक्ष्य के अनुसार निर्णय किया जाता था । अाजकल पटवारी उद्गत [को०] । (लेखपाल) ही इन लोगों को स्थानपन्न है । उद्धान—सच्चा पुं० १ उनटी । वमन । २ अग्निस्थान । चूल्हा उद्ध त–वि० [सं०] १ उगला हुआ । २ ऊपर उठाया हुप्रा । ३ [को०]। अन्य स्थान से त्यो का ज्यो दिया हुआ । जैसे,—(क) यह उद्धार--सद्मा पु० [ स० ] [वि० उद्धारक, उच्चारित] १ मुक्ति । लेख उसका लिखा नही है कहीं से उद्धत है। (ख) इन उद्धृत छुटकारा । प्राण । निम्तार । दु खनिवृत्ति । जैसे,—(क) वाक्यों का अर्थ बतलायो । ४ वात। बमित (को०)। ५ इस दृ व से हमारा उद्धार करो । (ख) इस ऋण से तुम्हारा खुश हुआ । अनावृत्त (को०)। ६ अलग या पृथक् किया उद्धार जल्दी न होगा। २ बुरी देश से अच्छी दशा में हुग्री (को०)। ७ उन्मूलन । उराटित (को०) । ६ विकी गं आना । सुधार । उन्नति । अभ्युदय ।। (को०)। ६ चुना हुआ । छटा हुआ (को०)। १० अलग यो०---जीर्णोद्धार । अलग हिस्सों में विभक्त (को०) । ११ बचाया हुमा । रक्षित क्रि० प्र०—करना ।—होना । (को॰) । ३ ऋणमुक्ति । कर्ज से छुटकारा । ४ सपत्ति का वह अश जो उद्ध ति—सक्षा स्त्री० [सं०] १ उद्धार । निकी नना, बचाना या रक्षा बराबर बाँटने के पहले किसी विशेप क्रम से बाँटने के लिये करना । २ उद्धरण देना । ३ हटाना। दूर करना (को०] । निकाल लिया जाय। उद्धी -सञ्ज्ञा पुं० [सं० उद्वव कृष्ण के चाचा और सखा एके यादव । उ०—-पुनि तिनकी पद पहज रज अज अजहू विशेप—मनु के अनुसार पैतृक सपत्ति का २०वा भाग सबसे बड़े के लिये, ४०वी उससे छोटे के लिये, ६०वीं उससे छिर्छ । उद्धौ शुद्धि विशुद्धनु सौं पुनि सो रज इर्छ । नद० छोटे के लिये इत्यादि निकालकर व वाकी को बरावर ग्र य, पृ० ४१ । उद्ध्मान-सम्रा पुं० [स०] चूल्हा । सिंगडी (को०] । बौटना चाहिए । ५ युद्ध की लूट का छठा भाग जो राजा लेता है। ६ ऋण, उद्ध्वस--सच्ची पु० [सं०] १ नाश । उच्छेद । कर्कशता । कठोरता विशेषकर वह जिसपर ब्याज न लगे ! ७ चूल्हा ! ८६ अनु- (वाणी की] 1 (रोग से) ग्रस्त होना को०] । कपा । कृपा (को०)। ६ जाना । गमन करना (को०) 1 १० उद्ध्वस्त--वि० [सं०] ध्वस्त । गिरा पडा हु । । टूटा हुप्रा। भग्न । नष्ट ।। उद्धरण (को०) ।। उद्वध’---वि० [सं० उदधन्ध] बघन मुक्त । छुड़ा हुआ [को०] । उद्धारक-वि० [सं०] निस्तार करनेवाला । वि० दे० 'उद्धर्ता । उद्वव-सज्ञा पुं० १ फीसौ लगा लेना । २ लटकाना (को०]। उद्धारण-सा पुं० [सं०] १ आणि करना। २ ऊपर उठाना । ३ । उद्धक-वि० [सं० उद्वन्बक] छुडानेवाला । मुक्त करनेवाला । | विश्लेप या विभाग करना [वै] ! को॰] । उद्धारना--क्रि० स० [ स० उद्धारण ] उद्धार करना । मुक्त उर्द्धधक-मज्ञा पुं० एक मिश्रित जाति । जातिविशेष जो कपडा करना । छुटकारा देना। घोने का काम करती है (को॰] । उद्धारा--सद्या स्त्री० [ न० 1 गुडुची। गिलोय (को०] । उद्वधन-सज्ञा पुं॰ [ स० उद्वन्दन] १ दे० 'उद्वा' । २ छोडना । उद्धारित-वि० [सं०] उद्धार किया, वचाया हुप्रा [वै] । | मुक्त करना (को॰] । उद्धित--वि० [सं०] उठाया हुप्रा । ऊपर उठाया हुआ कि०] । उद्धनी–सृज्ञा सी० [सं०] हुक । काँटी। खुटी (को०)।