पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/७०

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[ ] धति वन सो करिहै ग्रास कहै -'। ( नेपथ्य में ) हैं। मेरे जते । बिना माँगे मिले हुए पदार्थ पर निर्वाह करना चाहिए । इसके चद्र को कौन वल से ग्रास कर सकता ? सूत्र - जेहि बुध पीछे तीन रात केवल जन पीकर एक दिन रात उपवास करना रच्छत अप' । भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ १, पृ० १३८ । यहाँ • चाहिए । सुत्रधार ने तो ग्रहण का विपय कहा था किंतु चाणक्य ने 'चद्र' उद्दित'--वि० [सं० उद्यत, उदित, उद्धत ] दे॰ १ 'उद्यत' । ३ शब्द का अर्थ चद्रगुप्त प्रकट कर के प्रवेश करना चाहा, इसी से | दे० 'उदित' । ३ दे० 'उद्धत' ।। उद्घातक प्रस्तावना हुई। उद्दित'-.-वि० [सं०] बँधा हुग्रा। प्रतिवद्ध (को०, । उद्घाती-वि० [ स० उद्धातिन् ] [स्त्री० उद्घातिनी ] १ उद्दिन - सुज्ञा पु० [स०] दोपहर । मध्याह्न [को॰] । ठोकर मारनेवाला । छक्का पचानेवाला । २ ऊँचा नीचा । उद्दिम --संज्ञा पुं० [सं० उद्यम] दे० 'उद्यम'। उ०—-मघवा है। ऊबड़ खादह । मेघनि को राजा, यह उद्दिम व उनके काज ।-नद० उघुष्ट'-- वि० [सं०] घोषित् । जिसकी घोषणा हो चुकी हो [को॰] । ग्र०, पृ० १६० । उधुप्ट- सुज्ञा पुं० कोलाहल । शोर गुन [को०] । उद्दिष्ट'–वि० [सं० [ १ दिखाया हुशः । इगित किया हुआ । २ उद्घोप--सज्ञा पुं० [सं०] १ घोषणा । दौडी पीटना ! चर्चा । लक्ष्य ! अभिप्रेत । ३ वताया अथवा कहा हु प्रा (को०)। प्रवाद । ३ निवाद । गर्जन [वै] ।। ४ ख्यात । प्रसिद्ध । मशहूर (को॰) । उद्द ड–वि० [स उद्दण्ड] [सज्ञा उद्द डता] १ जिसे दडे इत्यादि का उद्दिष्ट--सज्ञा पुं० १ पिंगल मे वह क्रिया जिससे यह बतलाया जाता कुछ भी भय न हो। अक्खड) निडर । उजड्ड । प्रचड । है कि दिया हुया छद मात्राप्रस्तार का कौन सा भेद है । २ उद्धत । २ जिसकी इड़ा ऊँचा हो । लाल चदन । ३ किसी वस्तु का वह भोग जो मालिक से अज्ञा उद्द डपाल--सच्चा पु० [सं० उद्दण्डपाल] १ दडनायक । द डाधिकारी। प्राप्त करके किया जाय । २ एक प्रकार की मछली । ३ एक तरह का सौप किो०] । उद्दीप--सज्ञा पुं० [सं०] १ प्रज्वलन । जलाना । ३ उत्तेजित या उद्द तुर--वि० [स० उद्दन्तुर] १ व दांतोवाला । २ ऊँचा । उद्दीप्त करना । ३ एक प्रकार की लसदार चीज (जैसे गोद)। ३ डरावना [को०] । ४ गुग्गुल को॰] । उद्द श-सज्ञा पुं० [सं०] १ मच्छड । २ खटमन । ३ जू (को॰] । उद्दीपक–वि० [सं०] [स्त्री० उद्दीपिका] १. उद्दीपन करनेवाला । उद्दत --वि० [स० उद्यत] दे॰ 'उद्यते । उत्तेजित करनेवाला । उभाडदेवाला । २ जलानेवाला (को०] । उद्दम'—संज्ञा पु० [ स० ] १ वशीकरण । वश में करना । २ दमन उद्दीपक-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्रकार की चिडिया [को॰] । झ२ | करना । नीचा दिखाना [को॰] । उद्दीपका–सज्ञा स्त्री० [सं०] चीटी का एक भेद (को०] । उद्दम - सद्मा पुं० [ स० उद्यम] दे० 'उच्च म' । उद्दीपन--सज्ञा पुं० [सं०] [वि० उद्दीपनीय, उद्दीपक, उद्दीपित, उद्दर्शन संज्ञा पुं० [सं०] स्पष्टीकरण । साफ करना । द्रष्टव्य बनाना उद्दीप्त, उदीय] १ उत्तेजित करने की क्रिया । उभाडना । (को०] । वढाना । जगाना । २ उद्दीपन करनेवाली वस्तु । उत्तेजित उद्दात -- वि० [स० उद्दान्त १ विनीत । नम्र । २ उत्साहवान् [को०] । करनेवाला पदार्थ । ३ काव्य में वे विभाव जो रस को उद्दान-सज्ञा पु० [सं०]१ वधन । वधिना | ३ उद्यम । ३ वडवानल । उत्तेजित करते हैं जैसे ऋ गार रस का उद्दीपन करनेवाले | ४ चूल्हा। ५ लग्न । ६ मध्य | कमर [को॰] । सुखा, सखो, दुती, ऋतु, पवन, वन, उपवन, चाँदनी आदि हैं । उद्दाम'- वि० [स०] १ बधनरहित । २ निरकुश । उग्र । उद्द छ । ४ ज्वलित करना । जलाना ।(को०)। ५ मृत व्यक्ति को जलाना । वेकहा । ३. स्वतत्र । ४ महान् । गभीर । ५ गर्वयुक्त । शवदाह (को॰) । अभिमानी (को०)। ६ मयदायक । भयकर (को०)। ७ वडा । उद्दीपित–वि० [स०] १ उद्दीप्त किया हुआ। २ जागरित किया विशाल (को॰) । | हुश्री [को०] ।। उद्दाम-न्सना पु° १ वरुण ।। ६६६ दूध का एक भद जिसके प्रत्यक उद्दीप्त--वि० [सं०] १ जगायो ३ । २ उत्तेजित । चमकीला । । चरण में दो नगण और १३ रगण होते हैं । ३ यम (को०)। दीप्त कौ] । उद्दाल--सज्ञा पुं० [सं०] १ उद्दालक ऋपि २ वहुवारक नाम का उद्दीप्ति-सज्ञा । स्त्री० [स०] १ जागरण । २ उत्तेजन [को०] । पौधा [को०) । उद्दीप्र-वि० [सं०] चमकता हुआ । उद्दीप्त [को०)। उहालक--सुज्ञा पुं० [सं०] १ बनकोदव नाम का अन्न । २ एक, खट्टी--सज्ञा पुं० गुग्गुल (को॰] । ऋषि का नाम । ३ एक प्रकार का मधु (को०) । ४ जिसको उद्देश—संज्ञा पुं॰ [सं॰] [वि० उद्दिष्ट, उद्देश्य उद्द शित] १ अभिः साविशी पतित हो गई हो, अर्थात् १६ वर्ष की अवस्था हो लापा । चाह । । इष्ट । मशा। मतलव । अभिप्राय । २ हेतु । जाने पर भी जिसको गायत्री दीक्षा न मिली हो, उसके लिये | कारण । ३ अनुसधान । ४ न्याय में प्रतिज्ञा । ५ स्पष्टीकरण कर्तव्य एक व्रत । (को०)। ६ निश्चयन । निर्धारण (को०) । ७ उच्च स्थान । विशेष—इसे व्रत मे दो महीने जो, एक महीना सिवरन (दहीं, ऊँचा पद (को०)। ६ स्थान 1 जगह (को॰) । दूध और चीनी का शखत ), आठ रात घी और छह राव उद्देशक:--वि० [सं०] उदाहरणस्वरूप [को०] । 1 !