पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/६२

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उदंपनि उदगर्गल उगगगल--संज्ञा पुं० [सं०] ज्योतिपणास्त्र के अंतर्गत वह विद्य। जिससे उदड़ मुख-वि० [सं०उद+मुन] उत्तर की र निमुका मुह यह ज्ञान प्राप्त हो कि अमुक स्थान में इतने हाथ की दूरी पर हो [को०] । जल है । यह भूगर्भ विद्या के अतर्गत है । उदड, मृत्तिक--- ज्ञा १० [ स ०उद+ मृत्ति का ] उर्व । नूमि । उदगार-सज्ञा पुं० [सं०उमार] दे॰ 'उद्गार । उ०—ावरे पठाए । | उजाऊ धरतो किये ।। जोग देन कौं सिधाए हुते ज्ञान-गुन गौरव के अति उदगार ६ । उदचमस----स: पु० [सं०] ज ने पीने का पात्र [२] । –रत्नाकर, म ० १, १० १५६ । | उदज-सज्ञा पुं० [सं०] १ ज 4 में उत्पन्न या जगीय पदार्थ । ६ कमल उदगीरना —क्रि० स० [ से उदगरण ] १ बाहर निकनना ।। [को०] । इकोर लेना । : बाहर फेंकना । उगलना । ३ खोदकर उदथ-सज्ञ पु० [ मउदगांव = सूर्य ] सुयं । २०--धन अवरचे उमड़ना। मकान । प्रज्वनित करना । उत्तेजित करना । कलिकनि प्राममान में है हात वितमि है। इदु प्रौर उदय जैसे--क्रोध उदगारना । उ॰---पीवन प्याला प्रेम सुधारम को । भूपेण स०, पृ॰ ६५ ।। मतदाले सतसगी। अरघ उरध ले भठी रो ब्रह्म अगिन उदघान--सज्ञा पुं० [म०] 1 मेघ । बादल । २ घडा [को॰] । उदगारी |--कवीर (शब्द॰) । उदवि--संज्ञा पुं० [सं०] २ ममुद्र । उदगारी-वि० [सं० उदगारी या हि० उदगारना] १ उगलनेवाला । | यो०----उदधिजा । उवघितनय । उदधितिय । उदधिमत। २ बाहर निकालनेवाला । ह कर लेनेवाला ।३, उनाद नवा । । उधमेखला । उदधिरजा । उदधिसुत । उदग्ग –वि० [सं० उदय, प्रा० उदग्ग] १ ऊँचा । उन्नत । उ०-- २ घडा । ३ मव । झीन या जनश । (को०) 1 ५ चार और सुहन झट्टिकै उल्लदृत उदयगिरि पदत सुसद्दन किमत रिहद्द । सात फी रोया का वाचक (शब्द॰) (को०)। ६ नदी (को॰) । हैं ।—सुजान०, पृ० ८ 1 २ प्रचड। उग्र । उः त । उ०-(क) उदधि--वि० चार । वि० दे० 'समुद्र' । । संत एक हयदनु लं उदग्ग इरिनारायन जिहि प्रवल खग -- उदधिकथा -सज्ञा स्त्री० [सं०] नक्ष्मी को०] । सूदन (शब्द॰) । (ख) अौरी उदग्ग कर खग्ग घरि मग पग उदविकुमार-सज्ञा पुं० [सं०] जैन मत के अनुसार एक देवता जी घर धरिय रन ।--सुजान ०, पृ० २२ । (ग) मालव भूप उदग्ग भुवन पति नामक देवगण में हैं। चल्यो कर खरग जग्ग जित ।—गोपाल (व्दि०)।। उदधिक्रम,उदधिक्राम---सज्ञा पुं० [सं०] वैवट । माझी । नाविक उदगति-पज्ञा स्त्री० [ स०] उत्तरायण (को०) । [को०)। उदग्द्वार–वि० [सं०] उत्तराभिमुख दरवाजेवाला [को०] । उदधितनय--संज्ञा पुं० [सं०] चद्रमा । उ०----उदधिनयवाहुन सुनी उदग्भूमि--संज्ञा स्त्री॰ [सं०] उपजाऊ भूमि [को०) । तासम तुल्य वखानिये । यौं सुदर सदगुर गुण अकये तास पर उदग्र--वि० [स०] [वि॰ स्त्री० उदग्रा] १ ऊँचा । उन्नान । २ पढा । नहिं जानिये |--सुदर ग्र०, भा० १, पृ० १११ । परिवधित । ३ प्रचड। उद्धत । उग्र । भय कर । प्रवल । उदधितनया–ज्ञा ० [सं०] समुद्र की पुयी । लक्ष्मी [कol शक्तिशाली (को०) । ५ उदार (को०) । ६ अायुवृद्ध । वयोवृद्ध उदधि (ल--संज्ञा पुं० [सं०] समुद्रफेन [Kaj।। (को०) 1 ७ असह्य 1 जो सहन न हो सके (को॰) । उदधिमेखला--सज्ञा भी० [सं० ]पृयिव (को॰) । उदग्रदत-वि० [सं०]जिसके दाँत निकले हुए हो । वडे दाँतवाला [को॰] । उदधिवस्त्रसज्ञा स्त्री॰ [सं०] पृथिवी । उदग्नदत्-सज्ञा पु० वडे दोनोवाला हाथी [को॰] । उदधिसभव-सज्ञा पुं० [स० उदधिसम्सय] समद्र के पानी से तैयार उदग्रनख-सुज्ञा पुं० [सं०] जुड़े हुए हाथ । अजलि (को०)। नमक (को०] । उदग्रप्नुतत्व-सज्ञा पुं० [स]ऊंचे कूदने का भाव या क्रिया [को०) ।. उदधिसुत--संज्ञा पुं० [सं०] १ वह पदार्थ जो समुद्र से उत्पन्न हो यो उदग्रशिर्-वि० [सं०] १ ऊँचे शिरवाला। ऊँची चोटीवाला २ समझा जाता हो । २ चद्र मा । ३. ने मृत । ४ ।। अभिमानी [को०] । ५ कमल । उदघटना--कि० अ० [सं० उद्घटन= संचालन] प्रकट होना । उदधिसुता-संज्ञा स्त्री॰ [ स० ] १ समुद्र से उत्पन्न वस्तु । २ लक्ष्मी उदय होना । उ०—कुथि रटि अटत विमूढ लट घटे उदघटत ३ द्वारिकापुरी (को०)। ४ सीप । न ग्यान । तुलसी रटत हटत नही अतिसय गत अभिमान - उदवीध---वि० [ स० ] १ समुद्र संवधी । सु० सप्तक, पृ० ३० ।। उदन्य--वि० [सं०] १ यासा । तृपित । २. जल सत्रधी (को०] । उदघे टेन--सज्ञा १० स ० उद्घाटन] दे० 'उद्घाटन' । उदन्या--राज्ञा स्त्री० [सं०] उप ! प्यास । जल की इच्छा (को॰] । उदघाटना--क्रि० स० [स० उद्घाटन] प्रकट करना। प्रकाशित उदन्यु--वि० [सं०] १ प्यास । २ जल वारी (को॰] । करना । खोलना। उ०—(क) तव भुज वल महिमा उदघाटी । उदन्वान्स ज्ञा पुं० [सं० उद-बत्] समुद्र । सिंधु (को०] । प्रगटी धनु विघटन परिपाटी ।—मानस, १॥२३६ । (ख) तहाँ उदपान-सज्ञा पुं० [सं०] १ कुएँ के समीप का गड्ढा । कूल । खाता । सुधन्वा सर्व शर काटी । उदघाटी अपनी परिपाटी -- २ कभडलु । उ०-मुद्रा स्रवन कठ जपमाला, कर उपाने सवल (शब्द॰) । काँघ बवाल 1-जाप सी ग्रे २, पृ० ५३ । ३ तालाव के उदघोप-- सजा 3० [स०[ जलीय गर्जन [को॰] । असपास की भूमि या दीला ।।