पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/६०

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संसूर ५७४ दैत्य उत्सर- संज्ञा पुं॰ [सं०] सायकल । संध्या । उथलपुयल–संज्ञा वि० उलट पुनटे । ग्रई का वड। इधर को उधर । उत्सृष्ट—वि० [सं०] त्यागा हुआ । छोडा हुअा।। उथला-- वि० [सं० उत+स्यल] कम गहूर । छि । ठा। उत्कृष्ट पशु-सज्ञा पुं० [सं०] श्राद्ध के समय छोड़ा गया गाय का बछड़ा उथापना' -- क्रि० ० [अ० उत्यापन] १ ऊपर उठाना या खड। जिसे छोड़ने के पहले विशेष चिह्न से दाग देते हैं । साँड [को०] । करना। २ उग्नाना। उ०- एकन उथप एकै थापत जगत- उत्सृष्टवृत्ति--सज्ञा पुं० [सं०] फेंके हुए अन्न को लेना । यह एक वृत्ति हित अनव अवय रिपु फिरे च च वर)-प्रफयरी०, पृ० ६६। है जिसके दो भेद हैं --शिल खौर उ छ । उयापना -क्र० स० दे० 'थापना' ।। उत्सृष्टि- सज्ञा स्त्री॰ [सं०] त्याग । उत्सर्जन (को॰) । उथुराना - क्रि० प्र० [हिं० उयला) उयला होना । उ००-fजमि उत्सेक-संज्ञा पुं० [सं०] १ अभिमान । गर्व । २. छिडकाव । ऊपर जिमि से सवं जल उपुराने । तिमि तिमि नैर-मीन इतराने |-- को बढ़ाना । उफान [को०] ।। नद ग्र०, पृ० १२२ । उत्सेको-वि० [सं० उत्तेकिन] १ अभिमानी । घमडी । २ वड़ कर । उदक-मज्ञा पुं० [न० उदड़ चमड़े का बना तेलपाने । कुष्प (को०)। वहुनेवाला । ३ उफानवाला [को॰] । उदगल—सज्ञा पुं० [फा० दगल ] हंगामा । शोरगुल । ३०--इस उत्सेचन-सज्ञा पुं० [सं०] १ सोचने की क्रिया । २ उफान [को०)। ही वीन नगर में मोर। नयौ उदगल चारिहू भोर---अधे०, उत्सेध'--सज्ञा पुं० [सं०] १ बढती उन्नति । २ ऊँचाई । ३ शोय पृ० २४ । ४ सहनन । उदंचन--मज्ञा पुं॰ [ स उदञ्चन] १ अावरण । ढकना । २ उत्सेध--वि० १ ऊँचा । २ श्रेष्ठ । उ०-जहाँ कही निज बात को ऊपर की ओर फेकना । ३ चढ़ना। ४ डौल । घडी । समुझि करत प्रतिषेध । तहाँ कहत क्षेत्र हैं कवि जन मति बालटी । जल रचने का बड़ा बरतन (२०) । | उत्सेध । (शब्द॰) । उदचित--वि० [सं० उदञ्चित] ६ यादृत । पूजित । २ ऊपर की उत्स्मय-संज्ञा पुं॰ [सं०] स्मित । मुस्कान [को॰] । | मोर उठाया है। ३. कथित । उक्त । ४ प्रतिध्वनि (को०] । उत्स्य–वि० [सं०] १ उत्स या सोते से निकला हुया। सोते में होने | वाला। २ उत्सवघी (को०) । उदचु वि० [सं० उदञ्च ऊपर की ग्रोर जाने वाले [को०] । उथपनथापन -वि० [सं० उत्थापन+हि० यापन] उत्यापित को उदजस्थान–सना पू० [सं० उदञ्जर स्थान ] पानी रखने का स्थापित करनेवाला । उ०--कहेउ जनक कर जोरि कीन्ह मोहि नेवाला । उaras इन 7 ) =- स्थान पर गुसलखाना। अपन, रघुकुल तिनक सदा तुम्ह उयपन् थापन ।---नुलसी

  • उदड' –वि० [ स ० उद्दण्ड ] ३० ‘उद्दड' । उ०—है बलमार

ग्र०, पृ० ६१ ।। उदड 'भरे हरि के मुजदंड सहायक मेरे !---इतिहास, १० उथपना--क्रि० स० [स० उत्यापन] उठान । उखाडना । उजाड़ना २४३ ।। उ०---(क) तेरे थपे उथप न महेश थप थिर को कपि जे घर उदड---वि० सी० [सं० उदग्ड] अनेक अडे देनेवाली । जैसे, मत्स्य, घाले ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) उयप तेहि को जेहि राम सर्प आदि [को॰] । थप यपि पुनि को जेहि वै टरिहैं -तुलसी (शब्द०)। उदडपाल--संज्ञा पुं० [सं० उदण्डपाल] १ मछली। २ एक प्रकार का उदडप उथप्पन - सज्ञा पु० [हिं०] दे॰ 'उत्थापन' । उ० -नृपति को यप्पन सौप (को०)। उथप्पन समय सत्रु साल-सुत करे करतूति चित्त चाह की । उद उदडी -वि० [हिं०] दे॰ 'उह । उ०—-उदही भूतडी लिये हत्य - मतिराम ग्र०, पृ० ३७२।। | केतै, चले चाल उत्ताल तक देते ।—सुजान०, पृ० २६ । उथराना-क्रि० अ० [सं० उत् +स्थिर उठना । किंचित उठना। उदत--वि० [सं० + दन्त] जिसके दात न जमे हो । बिना उ०---नैतनि वोरति रूप के मौंर अचभे भरी छतिया उयराई । दति की । अदत । –घनानंद, पृ० १०६ । विशेष—इसका प्रयोग चौपायों के लिये होता है। वह बैल या उथलना=क्रि० अ० [सं० उत् + हि० हिल १ चलना । हिलना । गाय अथवा मॅस जो तीन साल से कम अवस्या की होती है। उ०—ये हृदयविदारक वचन कहने को मेरी जीभ नहीं उथलती। तथा जिसके दूध के दाँत न जमे हो उसे 'उदत' कहते हैं। –श्रीनिवास ॥ ०, पृ० १३१२। डगमगाना। उ।चाँडोज होना । उदंत "वि० [सं० उदन्त किसी वस्तु की समाप्ति या सीमा तक चलायमान होना । उ०—राजा शिशुपाल' जरासंध समेत सर्व पहुचानेवाला [को०]। असुर दल लिए इस धूमधाम से अाया कि जिसके बोझ से लगे उदत--सज्ञा पुं० १ वार्ता। वृत्तात । समाचार । लेखाजोखा । प्रोपनाग और पृथ्वी उयनने ।--लल्लू (शब्द॰) । विवरण । २ साघु । सज्जन (को०)। ३ यज्ञ अादि द्वारा यौ॰—उथलना पुयलना = (१) नीचे ऊपर होना। इधर का उधर जीविका प्राप्त करनेवाला व्यक्ति (को०)। ४ वह जो व्यापार | होना। (२) उलटना । उलट पुट होना । नीचे ऊपर होना । एवं कृषि के द्वारा जीविकार्जन करता हो (को०) । (३) पानी का कम होना । पानी का छिछला होना । | उदतक----संज्ञा पुं० [स उदन्तक] समाचार । वृतात । वार्ता । उथलपुथल-- संज्ञा पुं० [हिं० उथलना] उनट पुलट । अडवई। उदतिका–संज्ञा स्त्री० [सं० उदन्तिका] सतोप । तृप्ति [को०] । विपर्यय । झमभग । उदत्य--वि० [सं० उदन्त्यसमाति या सीमा के बाहर रहनेवालाको।