पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५७५

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

क्वणिन क्वेलिया क्वणित-संह पुं० [सं०] दे॰ 'बवणन' । क्वारछन्न--- संधी पुं० [सं० कुनार, हि० क्वार+वस] वारापन । क्वणित-वि० [मुं०] झंकृत । ध्वनित । शुदायमान । उ०—-ककण मुहा०—यवारछन्न उतारना= प्रयम समागम करना । वृवण रणित नूपुर थे, हिलेते थे छाती पर हार -- क्वारपत-- संज्ञा पुं० [हिं० क्वार+पत] दे० 'क्वारछल' या 'केवारपन। कामायनी, पृ० ११ । । क्वारपन-सा पुं० [हिं०क्वारा+पन (प्रत्य॰)] स्वपिन । क्वय-सा पुं० [सं०] दे॰ 'क्वाय'। कुमारएन । क्वार का मात्र ।। क्वथन- संवा पुं० [सं०] काढा पकान' । उवाराना (को०] । मुहा०-ववारपने उतरना= विवाह होना । क्वरिपन उतारना = क्वथित-वि० [सं०] १. उबाल हुआ । प्रौटाया हुअा । २. गरम । प्रयम समागम करना । ब्रह्मचर्य खौना। उष्ण (को॰) । क्वारा—संवा पुं० वि० [सं० कुमार ] [ वि० तौ• स्वारी ] जिसका क्वयिता--सुन्न सी० [सं०] १ वैद्यक में एक प्रकार का रस जो वियाहू न हुआ हो। कुमारी। दिन व्याहा । ३०-सुक्षि । घी में भूनी हुई हल्दी को दूध में पकाने से बनता है। यह बढ़ते यही जगत की चील जिती है क्वारी ! उनके सवही विधि मात पाचक होता है । २ एक प्रकार का आसव जो यहृद से पिता अधिकारी --मारते। गु० भ० १, पृ० ६९६ । बनता है। क्वारापनसम्म पुं० [हिं०] दे० 'क्वारपन' । क्वाँचर-सवा पुं० [सं० कुचर] वह बैल जो काम करते करते वैठ क्वार्टरसंझा पुं० [अं॰] १ गस्ती । टोली। वाहा । जैसे,—नियों जाय । गरियार वैल । का क्वार्टर । २ अफसरो गौर कर्मचारियों के रहने की जगह । जैसे,—रेलवे क्वार्टर । ३ वह स्थान जेई पर पलटन ने वृवचर- वि० दुर्वल । कमजोर। है। हाल हो। डें । छावनी । मुकाम ४. चौपाई 'माप । क्वाँरटाइन-सा पुं० [अ०] वह स्थान जहाँ प्लेग या दूसरी छतवाली चतुर्थ अ श । चौथो हिस्सा (को॰] ।५ एक तौल जो २८ पौंड बीमारी के दिनों में रेल या जहाज के यात्री कुछ दिनों के की होती है (को॰) । लिये सरकार की ओर से रोककर रखे जाते हैं । क्वार्टर मास्टर सच्चा पुं० [३०] १ एक फौजी अफसर जिसमा पद क्वरि-संवा पुं० [हिं॰] दे० 'कुमार' ।। | लेफ्टनेंट के बराबर समझा जाता है और जिसका धाम क्वौरा--वि० [हिं०] दे॰ वारा' । सैनिकों के लिये स्थान, भोजन और वस्त्र आदि अावश्यक क्वरापन--सच्चा पुं० [हिं०] दे॰ 'क्वारापन' । सामग्री का प्रबंध सरना होता है । २. जहाज का एक क्वाचित्क-वि० [सं०] बहुत कम होने या मिलनेवाला । विरल । अफसर जो रंगीन झंडी, लालटेन या अन्य सुते दिखला कर | अल्पप्राप्य (को०)। मल्लाहो फो जहाज चलाने में सहायता देता और उन्हें ड- सच्चा पुं० [अं॰] दे० 'क्वाड्रेट' । । समुद्र की गहराई और दिया अादि पतलाती है । कोट क्वाड्रेट-संवा पुं० [अं॰] छापे में सीसे का ढला हुआ चौकोर टुकड़ा मास्टर। जो कपोज करने में खाली लाइन अदि मरने के काम मे | क्वासि--वाक्य (स० क्व+असि] तू कहाँ है ? तू किस स्थान पर है? प्राता है । वह स्पेस से वा भौर कोटेशन से छोटी होता है । उ०—-गवर्गद सुर पुलकित विरहानले स्रवत्र विलोचन नीर । इसकी चौडाई टाइप के बराबर और लं वाई १ एम से ४ एम क्वासि क्वासि वृषभानुनंदिनी विलपत विपिन अधीर ।-सुरे तक होती हैं । क्वाड । ( शब्द०)। क्वाण-संवा पुं० [स०] दे॰ 'क्वण' (को॰) । क्विनाइन--सी पुं० [अ०] कुनैन । बाथ-सा पुं० [सं०] १.पानी में उबालकर षधियों को निकाला क्विल-सज्ञा पुं० [सं०] कुछ विशिष्ट पक्षियों के छैन । पर जो हुअा गाढा रस । काढ़ा । जोशादी। | लिखने के लिये कलम बनाने के काम मे प्राता है। विशेष-जिस ओषधि का क्वाथ बनाना हो उसे एक पल लेकर क्वीन-सा स्वी० [अ०] महारानी । राजमहप 1 मसका। सोंबह पल पानी में भिगोकर मिट्टी के बरतन में प्रारी पर चढ़ा क्वेश्चन--सुझ पै० [अ०] प्रश्न। सवाल । देते हैं, और जब उसको अाठवाँ अ श वाकी रह जाता है, तब यौ०-~-ववेश्चन पेपर। उतार लेते हैं। यदि आपधि अधिक और तौल में एक क्वेश्चनपेपर----सी पुं० [श ०] वह छपा हुअा पत्र या पर्चा जिसमें कुडव तुम हो, तो उसमे अष्टगुना जल और यदि ऐक कुडव परीक्षार्थियों से एक या अधिक प्रश्न किए गए हैं। परीक्षा से अधिक हो, तो उसमें चौगुना जल देना चाहिए और क्रम । | प्य । प्रश्नपत्र । च, माघ और तीन चौथाई बच रहने पर उतार लेनी चाहिए। क्वेला---सी पुं० [ हि• कोयल] दे॰ 'यला' । उ-तू मी माझे २ व्यसन । ३. बहुत अधिक दुःख। | जलाकर क्वैला कर दे-होय रे ईश्वर !---श्यामा०, पृ० ७१। वायोभय-सा पुं० [सं०] रसौत ।। क्वैलारी-सको भी० [हिं०] दे० 'कोइलारी। नि -सा पुं० [स० क्वाण) दे० 'करण' । क्वैलिया-सं। बी० [सं० कोकिल, हि० कोयत, कोइल+इया - पु० [१० कुमार] १. अश्विन का महीना।२ (प्रत्य०) ] दे० 'कोयल' । उ०—बहू दादूर मोर निन दे मच्य तरु क्वलिया हू करि सोर रही ।—मो हुन॰, पृ० ७७ । वार' ।