पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५७३

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चपदी क्लिष्ट ५ अर्हतों की एक ध्वजा 1 ६ एक प्रकार का प्रस्त्र । उ०- क्लांति-संशा स्त्री० [सं० बलान्ति] १. परिश्रम । २. यकावट । अग्नि प्रस्त्र भर पर्वस्त्र पुनि त्यो पवनास्त्र प्रमाथी । शिर उ०-सरयू कात्र वलात पा रहीं, अव भी सागर ओर जा रही । अस्त्र क्रौंच अस्त्र पनि ले लपण के सायो -रघुराजशब्द०)। साकेत, पृ० ३२४ ।। ७ एकवर्ण वृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में भग,मगण इलाउन-सा पुं० [४०] सरकस ग्रादि का मसखरा । सगण, मगण, चार नगए अ त में एक गुरु (sil 55 IS SI क्लाक-सा स्त्री० [अ० क्लॉक बड़ी घड़ी जो लक अधि के । ।। 1 ।।! 5 ) होता है । जैसे—'भूमि सुमना चौगुने चौखट में जड़ी होती है। यह प्राय लगर के सहारे चलती राजे वसति सुमतियुत जहँ नर अव ती । शील सनेहा और और घंटे अदि बजाती है । घरमघडी । न्य विद्या लखि तिन कर मन हरपत घरुती । पूत जहाँ है क्लाक टावर--सबा पुं० [अ०] वह मीनार जिसमें सर्व साधारण मानत माता जनक सहित नित अरचन करि के । नारि सुशीना को समय बतलाने के लिये बड़ी घडी लगी रहती है। कों च समाना पति वचननि सुन तिर तन धरि कै । घंटाघर । क्रौंचपदी-सुन्ना बी० [सं० कक्षपदी] एक तीर्थ का नाम । क्लारनैट–सच्चा पुं० [अ • क्लैरिग्रनिट] एक प्रकार का अ ग्रेजी बाजा क्रौंचरंध्र-संवा पुं० [सं० क्रौञ्चरन्न्न] हिमालय पर्वत की एक घाटी का जो मुह से बजाया जाता है। यह शहनाई के प्रकार और नाम । प्रकार का, पर उसमे कुछ अधिक लंबा होता है । विशेष-पुराणानुसार परशुराप ने क्रौंच पर्वत को एक तीर क्लारेट-सच्ची पुं० [अ०] एक प्रकार की विलायती शराब जो लाल से छेदकर यह घाटी बनाई थी । ऐसा प्रसिद्ध है कि हुस इसी | रंग की होती है । मार्ग से मानसरोवर जाते और वहाँ से अाते हैं । क्लास-सञ्ज्ञा पुं० [अ०] कक्षा १ श्रेणी 1 दरजा । जमा प्रत । क्रौंचादन–सुच्चा पु० [सं० ऋञ्चादन] कमरनाल । क्लिन-वि० [सं०] अाई । तृर । गीला । क्रौंचादनी चषा स्त्री० [सं० क्रौञ्चादनी] कमलगट्टी। कमल का यौ॰---क्लिन्नाक्ष = गीली अखवाना । चौंधियाई अखवाला । | वीज (०] । क्लिन्नवत्म-सच्चा पुं० [सं०] क्लिष्टवत्म नामक अखि का रोग । क्रौंचाराति, क्रौंचारि-सच्चा पुं० [स० क्रौञ्चीति, कञ्चर ] १. कितन्नहृद-वि० [सं०] अद्र हृदय । दयालु [को०] । कातिकेय । २ परशुराम (को०] । क्लिप- सभा स्त्री॰ [अ॰] वह मानी जो चिटियों, कागज थादि को चारुण-संज्ञा पुं० [सं० औञ्चारण] एक प्रकार की व्यूहरचना। एकत्र करके उन मैं इसलिये लग दी जाती है कि जिसमें वे क्रौंची--सा स्त्री० [सं० क्रौञ्ची! १ कश्यप ऋषि की ताम्रा नामक इधर उधर न हो जायें। यह सादी, पजे के प्रकार की तथा | पत्नी से उत्पन्न पाँच कुन्या में से एक । उलूक यदि और कई तरह की होती हैं। पंजा । चुटको । पक्षियों की माता थी । २ मादा कराकुल ]ि । क्रौर्य-स41 पुं० [सं०] क्रूरता ! हृदयहीनता । (कवे । । क्लिशित--वि० [सं०] जिसे वहुत क्लेश हुआ हो । क्रोश शति--सा पुं० [सं०] १. सौ कोस चलनेवाला संन्यासी । क्लिष्ट-वि० [सं०] १. क्लेशयुक्त । क्लिशित । दु ख । दु ख से ३ वह व्यक्ति ( शिक्षक ) जिससे सी कोस दूर से आकर पीडित । २. वैमेन (वात) । पूर्वापर विरुद्ध ( वाक्य ) । ३. मिली जाय को ।। कठिन । मुश्किल ! जैसे - क्लिष्ट मापा । क्लिष्ट शब्द । ४. क्लब-सी पुं० [अ०] साहित्य, विज्ञान, राजनीति अादि सार्वजनिक जो कठिनता से सिद्ध हो । खींच तान का । जैसे,—क्लिष्ट विषयों पर विचार करने अथवा प्रमोद प्रमोद के लिये कल्पना । ५. मुरझाया हुआ । म्लान (को०) । ६.धतियुक्त संगठित की हुई कुछ लोगों की समिति । (को०) १७ शर्मिदा किया हुथा (को०) ।। क्लम--सज्ञा पुं० [सं०] थकावट । श्राति । क्लाति । यौः–क्लिष्टवर्म । लमय-सबा पु० [सं०] १ अायास । परिश्रम। मिहनत । २ अधिक क्लिष्टघात-सा पुं० [सं०] सांसत से मारना । तकलीफ देर परिश्रम या अलस्प के कारण शरीर की थकावट या मारना । । शिथिलता ।। क्लिष्टता-सृज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ क्लिप्ट का भाव । २ ६• क्लमयु-संज्ञा पुं० [सं०] दे० 'क्तमय' । ‘क्लिष्टत्व' ।। क्लर्क-सी पुं० [सं० क्लार्क] किसी कार्यालय का वह कर्मचारी जो क्लिष्टत्व--सा पुं० [स०] १ क्लिष्ट का भाव । कठिनता । पत्र व्यवहार करने, नकल अरने तथा हिसाव आदि रखने का क्लिष्टता । १ अलकार शास्त्र के अनुसार काव्य का वह दोप काम करता हो । मु शी । लेखियो । मुहरर ।। जिसके कारण उसका भाव समझने में कठिनता हो । जैसेक्लर्की-संवा जी० [हिं० क्लर्क +ई (प्रत्य०)] क्लर्क का काम । ग्रहपति सुतहित अनुचर को सुते जरित रहत इमेस !-—सूर लेखक का काम । (शब्द०) । यहाँ कवि ने सीधे यह न कहकर कि 'कमि सदा वात-वि॰ [स० कान्छ] १. एका हुआ । प्राव । २. म्नान । जलाया करता हैं। कहा है--ग्रहपति सूर्य के पुत्र सुग्रीव उनके मुरझाया हुआ (को०)। ३. क्षीणकाय । दुबला पतली को०] हित ( मित्र ) रामचंद्र, उनके अनुर हनुमान और उनका २०७१ पुत्र मकरध्वज (काम) सदा जलाया करता है।