पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५७१

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क्रीला १०६१ कोडचूडा झीलन)---क्रि० अ० [दश०] खे 3ना | क्रीड़ा करना है । शूरद्द के सी पुं० [सं०] १. शनिग्रह । ३.१ मंगल ग्रह ।। क्रीला--सा भी० [सं० फीडा] दे० 'क्र ।' उ०—सुखसागर झरट्टक---वि० १ दुष्ट । खेल । २, बुरी दृष्टिवाला (को॰) । क्रीला करे, पूरण परिमिनि नाहि ।-- दादू०, पृ० ५८२ । ॐ रवूर्त-संज्ञा पुं० [सं०] कृष्ण धत्त र । काल। घतृ (को॰] । ऋद्ध---वि० [सं०] १ कोपयुक्त । क्रोध में भरा हु। २ ऋर । * ररव--सा पु० [सं०] स्यार। शृगाल [को॰] । | निदेय क्वैि०] । कररावी-सधा पुं० [सं० ऋररावत् ] द्रोण काके । डोम को। कुमुक-संज्ञा पुं० [सं०] सुपारी। ०] । छ श्वा--सी पुं० [सं० क्र 9वन्] शृगाल । सियार । गीदडे । कूरलोचन- सा पुं० [सं०] शनि ग्रह को०) । कृष्ट'- वि० [सं०] १ ग्राहूत ! पुकारा या बुलाया है। २ । झरा--संधी भी० [सं०] १. लाल फुन की गदपून । २. कौड़ी। तिरस्कृत । कोसा हुन । अपमानित (को०)। ३रा-त्रि० सी० क्रूर स्वमार्यवानी । कृष्ट-सण पुं० १ चीखना। चिल्लाना । २ रुदन । रोना । ३. ॐ कृति'-- सच्चा पुं० [सं०] रागण । देशमुख (को०)। शोर गुन। अावाज (को०] । झाकृति-वि डरावने रूपवासा (को॰] । ॐ जर अशा पुं० [सं०] तेज चलनेवाना सशस्त्र या हथियारवंद जहाज ॐराचार-वि० [सं०] निर्दय अाचरणवाला (को॰) । जिसका काम अपने देश के जहाजों की रक्षा करना और शत्र, केरात्मा-वि० [सं० ऋरात्मन् दुष्ट प्रकृति का । दुष्टस्यमाववाला। के जहाजों को नष्ट करना या लूटना है। यह युद्ध के अवसर | क़रात्मा'- सवा पुं० शनिग्रह। पर भी काम आता है । रक्षक जहाज । । कुराशय-वि० [सं०] १. दिंय या कठोर स्वभाव का । २. भयंकर क्रर-वि० [सं०] [स्त्री० क्ररा] १. परपीडक । दूसरो को कष्ट जीवो से युक्त (नदी, नेद अदि) (को०] । पहुँचानेवाला । २, निष्ठुर । निर्दय। जालिम । ३ कठिन । ॐ स-सा पुं० [अ० क्रास] ईसाइयों का एक प्रकार का धर्म चिह्न ४ तीक्ष्ण । तीखा । ५ उष्ण । गरम । ६. नीच । वुरा । जिसका असार त्रिशूल से मिलता जुलता होता है और खराब । ७. घोर ।-(डि०) । ८ अपक्व । कृच्चा (को०) । जिसमें दो रेखाएं एक दूसरे को काटती हुई होती हैं। यह कई ६, घायल । अाहन (को०) । १० खूनी। हिंसक (को०)। ११, प्रकार का होता है। जैसे,—t, f, ४ । सलीव । । टोस । कट्टा (को॰) । विशेष—इस चिह्न का अभिप्राय उस सूली से है, जो ईसा के -सबा पुं० [सं०] १ पका हुआ; चावल । भान 1 २ लाज कनेर। मारने के लिये खड़ी की गई थी और जिमसा आकार + था। ३ बाजु पक्षी । ४ सफेद चील 1 के । ५ भूकुश । गाव उन दिनों रोमन लोग इसी प्रकार की सूली पर अपराधियों जुवाँ । ६. ज्योतिष में विषम (पहनी, तीमरी, पाँचवी, सातवी, को बढाते थे । नवीं मौर ग्यारहरी) राशियाँ । ७ रवि, मंगल, शनि, राह के डिट--सा पुं० [अ०] बाजार में बह मान मर्यादा जिसके कारण और केतु ये पाँच ग्रह जिन्हें पापग्रह भी कहते हैं । मनुष्य लेना देन कर सकता हो । साथे । जैसे,- बाजार में विशेष—जिस राशि में कोई पापग्रह हो उसमें यदि कोई शुभग्रह अब उनका कोई क्रेडिट नहीं रहा, अब वे एक पैसे का भी आ जाय, तो वह भी झूर कहलाता है। पाराशर के मत से माल नहीं ले सकते ।। लग्न से तीसरे, छठे या ग्यारहवें घर का स्वानी-चाहे जो क्रेता-सा पुं० [सं० ऋतृ] खरीदनेवाला । मोल लेनेवाला। ग्रह हो- क्र र या पापग्रह कहलाता है । ऋग्नयुक्त तिथि खरीदवार। ।। या नक्षत्र में यात्रा या विवाह अदि शुभ कमें वजित है। केतृघसर्ष-सच्चा पुं० [सं० शेतृङघर्ष ] खरं देने वालो को चढ़ा ८ वध । हत्या (को०)। है. याघात । घाव । चोट (को०) । १० । ऊपरी- ये] । एक प्रकार का घोडा जो अशुभ माना गया है (को०) । ११ केय-.-वि॰ [सं०] खरीदने लायक (वै ।। क्रूरतो। निर्दयता । १२. भीषण अकृति या रूप (को०)। ॐ डिन-सुवा पु० [सं०] समेघ यज्ञ का एक हृवि र्जा मस्त देवता रकम-संज्ञा पुं० [सं० * * फर्मन् ] १ क्रूर काम करनेवाला । २ के उद्द श्य से दिया जाता है । | तितलौकी का पेड़ । ३, सूरजमुखी । अकं पुष्पी । ॐ डिनीया- सुया स्त्री० [सं०] एक प्रकार का यज्ञ । रकोष्ठ-वि० [सं०] जिसका कोठा वृहत कहा हो । जिसका पेट क्रोच-सा पुं० [सं० क्रोञ्च] क्रौंच पर्वत । काही दस्तावर दवायो से भी साफ न हो। क्रोड-सा ची० [सं०] १ आलिंगन में दोनों बहो के बीच छा। * रघ-सच्चा पुं० [सं० ¥रगन्ध] गधक । ऋग्रह-सम्रा पुं० [सं०] दे० 'क्रर' ६ र ७ । * रचरित–वि० [सं०] निर्दय । कूरन्छ म [को०] । के रचेष्टित--वि० [सं०] दे० 'क्रूर चरित' (को॰] । ५रता-सा औ• [सं०] १. निष्ठुरता । निर्दयता । कठोरता । २. दुष्टता । *रदती-सी बी० [सं० * रदन्ती दुर्गा का एक नाम ।