पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५६९

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१०७ क्रिस्तान क्रियापट्टे झियावाची-वि० [सं० क्रियावाचित] १० ‘क्रियावान' (०) । क्रियापट-वि० [स०] कार्यकुशल । काम में दक्ष [को०] ! क्रियावाद-सा पुं० [सं०] ज्ञान, कृमं पर उपासना नामक तीन क्रियापथ-सज्ञा पुं० [अ०] औषधोपचार की रीतिं । देवा करने ३ वैदिक काडों में से कर्मकांड को मान्यता प्रदान करना । कर्मवाद। म [को॰] । फर्म को प्रधानता देनेवाला सिद्धात । उ०-क्रियावाद वह मत क्रियापद-सी पुं० [सं०] व्याकरण में क्रिया अथवा क्रियावाच है जिसके अनुसार अत्मिा फर्मों से प्रभावित होती है ।—हिंदु० शब्द० कि०) ।। सभ्यता०, पृ० २२७ ।। क्रियापर-वि० [सं०] कर्तव्यनिष्ठ । क्रियावादी--सज्ञा पुं० [सं० क्रियावादिन] वादी अभियोक्ता [को०] । क्रियापवर्ग-सुधा पुं० [स०] क्रिया की पूति । कार्य की समाप्ति किये। क्रियावान्- वि० [सं०] कर्मप्रवृत्त । कर्मनिष्ठ ! कर्मः ।। क्रियापद-संज्ञा पुं॰ [सं०] १ शैव दर्शन के अनुसार विद्यापद अादि | क्रियावाहा–वि० [म० क्रिया+वाही कर्म का वहन करनेवाला । चार पदो मे से दूसरा पद, जिसमें दीक्षा विधि का अंग ग्री कर्म का भार उठानेवाल। 1 उ०-वास्तव में, इतिहास तो उपा सहित प्रदर्शन हो । २. धर्मशास्त्र के अनुसार व्यवहार मानवी क्रियावाही समर्यता तया उनसे उद्भूत झारनाम ( मुकदमे) के चार पाद या विभागों में से एक, जिसमें वादी का, मानसिक शक्तियों से जनित विविध घटना छ। एवं के कथन और प्रतिवादी के उत्तर लिखाने के उपरांत दादी अपने विकासक्रम के मूल में संयोजित विशेष प्रवृत्तियों का पु बीभूत कयन या देवि के प्रमाण अदि उपस्थित करता है । वि० दे० लेखन है।--प्रा० भ०, पृ० ३५ । 'व्यवहार' । क्रियाविदग्धा-संग्रा जी० [सं०] वह नायिका जो नायक पर किसी क्रियाफल-सबा पुं० [सं०] १. वेदात की परिभाषा में कर्म के चार । क्रिया द्वारा अपनी भाव प्रकट करे । फल या परिणाम, अर्थात् उत्पत्ति, अप्ति, विकृति र संस्कृति ।। क्रियाविशेपण-सा पुं० [सं०] व्याकरण के अनुसार वह शब्द जिससे विशेष- मीमांसा के गुणकर्म या उसके फच के भी ये ही चार क्रिया के किसी विशेप काल, भाव या रीति अादि का धोध भेद किए गए हैं। हो । जैसे, अब, वव, यह, वही, झमय , अचान इत्यादि । कियात्रह्म--सम्रा पुं० [सं० क्रियाब्रह्मन् ] ब्रह्म का वह रूप जो विश्व के जैसे,—(क) वह धीरे धीरे चलता है । (ख) वह अब सभी कर्मों का सूपादन करता है । जायगा । क्रियाभ्युपगम-सच्चा पुं० [सं०] मनु के अनुसार किसी दूसरे का खेत इस शत पर जीतने के लिये लेना कि उसमें जो अनाज उत्पन्न क्रियाशक्ति-सा सी० [सं०] ईश्वर से उत्पन्न बह शक्ति जिससे ब्रह्मा की सृष्टि का होना माना जाता है । साम्य में इसी हो, वह खेत का मालिक और जो तुनेवाला दोनो अधा वट लें। को प्रकृति और वेदात में मावा कहा है । अधिया । क्रियामातृका दोष--सा पुं० [सं०] वालक का एक रोग जिसमें क्रियाशील-वि० [सं०] क्रियाव । क्रियाशील-वि० [सं०] क्रियावान् । कर्मठ । कर्मनिष्ठ ]ि । उन्हें जन्म के दसवें दिन, मास या वयं ज्वर, कंप और अधिक क्रियाशून्य-वि० [सं०] कर्महीन । क्रियोसाति-सद्मा जी० [सं० क्रियासङक्रान्ति] ज्ञानवान । शिक्षण मल मूत्र होता है । (को०] । । क्रियामाधुर्य-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] वास्तु अधुवा फला का निमणिगत | सौदर्य किये। क्रियास्नान-सा पुं० [सं०] धर्मशास्त्र के अनुसार स्नान की एफ विधि, की पूजा क्रियायोग- सुज्ञा पुं० [सं०] १ पुराण के अनुसार देवता जिसके अनुसार स्नान करने से तीर्थस्थान का फल होता है । करना और मंदिर आदि बनाना । २ क्रिया के साव सुदंघ क्रियेद्रिय—सा स्त्री० [सं॰ क्रियेन्द्रिय] फर्मेंद्रिय [० ।। क्रिश्चन--सा पुं० [अं॰ क्रिश्चियन] दे॰ 'झिस्तान' । ३०-घरवालों ३ तरकीब और साधन का प्रयोग । का कौतूहल बढ़ चला । इस समय काशी में चारों से लोग क्रियार्थ—सुज्ञा पुं० [सं०] वेद में यज्ञादि कर्म का प्रतिपादक विधि क्रिश्चन बन रहे थे ।---काले०, पृ० ६४ । | वाक्य ।। झिसन दीपायन-सा पुं० [सं० कृष्णद्वैपायन] वेदव्यास । उ' विशेष-मीमाचा ने ऐसे ही वाक्य को प्रमाण माना है। | बालमीच रिपोज क्रिसेन दीपायन धारिय । कोविं जनम क्रियाकसज्ञा सच्चा स्त्री० [सं०] व्याकरण के अनुसार वह सज्ञा जो से भवे तोय हरि नाम अपारिय ।—पृ० रा०, १॥५८६ । किसी क्रिया का भी काम देती है । झ्यिालक्षण योंग-सुवा पुं० [सं०] जप और ध्यानादि द्वारा अात्मा किसान -सम्रा पु० [सं० कृशानु] ६० 'कृशानु” उ०—प्रग्गै सुदति पतिय विलर। पलकृत अदु मद झरत भूर । धवने चमूर | और ईश्वर का सवध स्यापित करना । देवर विनान् । मन है कि पब्ब पल्पव किसान —q० ०, क्रियाप–सुज्ञा पुं० [सं०] हिंदू धर्म में विहित प्रमुख संस्कारो यो | १६२४ । नित्यनैमित्तिक कम का त्याग [को०] । क्रियावसन्न-सवा पु० [सं०] वह वादी जो साक्षी या प्रमाण न देने के झिस्टल-सुवा पु० [अ०] १. स्फरिक । विल्नौर। २ गोरे मादि का जमा हुमा रेवादार टुकडा । कनम् । कारण हार जाय । पुं० [अ• झिरिचयन्] ईसा ६ मत पर चलनेवाला ।। क्रियावाचक-वि० [सं०] क्रिया का बोध करानेवालः । यार्य के किस्तानचा ईसा ।। (a) ।