पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५५५

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ਵਸ਼ੀ १० कौड़ों कौटभी - सवा स्त्री॰ [सं०] दुर्गा का एक नाम [क] । ४ एक पौधा जो ऊसर भूमि में होता है। उ०—कौड़ियाला कौटल्य-संज्ञा पुं० [मु.] दे० 'कौटिल्य' । मेरी तुरवत पै लगाना यारो। निगनी जुल्फ के काटे की यह कटवी-सज्ञा स्त्री० [सं०] ६० कोट्टच' (को०)। पहचान रहे । (देश॰) । कोटिक-वि० [सं०] १ फंदा या जाल सवधी । २ वेईमान । विशेष—इसको पत्तियाँ छोटी छोटी और कुछ मटमैले रग की बूतं । अविश्वसनीय चै०] । होती हैं । इसमें कोप या छुच्छी के आकार के छोटे छोटे फूल कोटिक-वि० सा पुं० [सं०] दे० कोटकिक' (०] । लगते हैं । फूल के रंग के विचार से कौड़ियाला तीन प्रकार का कौटिलिक–समा पु० [सं०] १ बहेलिया । शिकारी। २.लुहार [३] होता है सफेद फूल का, लाल फूल का और नीले फूल का । कौटिलीय--वि० [सं०] कौटिल्य को , कौटिनामत । कौटिल्य नीले फूल के कौडियाले को विष्णु काता कहते हैं। बंचक में संवंबी (क्वै । । कौडियाला तीक्ष्ण, गरम, मेधाजनक तथा कृमिघ्न ग्रौर विपघ्न शैटिल्य--सा पुं० [सं०] १.टेढ़ापन । २.कुटिलता । कपट । ३. समझा जाता है। इसे शवपुष्पी या बाहुनी भी कहते हैं। चाणक्य का एक नाम । पर्याf०-मेध्या। चंडा । सुपुष्पी । किरीटी । फेवुमालिनी । कौटु विक-वि० [स० कौन्विक] कुटुव का । कुटुंब संबंधी । २ । | भूलग्ना पनमालिनी । मलविनाशिनी । सर्पाक्षी, इत्यादि । परिवारवाला। | क लियालो-सधा सी० [हिं० कौड़ियाला] दे० 'कौडियाना'-४। कौड़ा-संवा पुं० [सं० कपर्दक प्रा० कवदह, कवडह]वड़ी कौडी ।। , कोडियाही'-सक्ष जी० [हिं० कौडी] मजदूरों की एक रीति जिसमें उ०—कौड़ा आंसू बुद करि सॉकर वसनी सजल । कीन्ह वेदन | मजदूरों को मिट्टी, ईटें अदि उठाने की मजदूरी प्रति ईट या निमूद, दृग मलंग डारे रहैं ।-विहारी (शब्द०)। २ घन । प्रति खेप कुछ फौड़ियां दी जाती हैं । इस रीति से काम जल्दी होता है। पूजी । उ०—गु किन वाट नाहि कौड़ा विन हाट नाहिं। कौदियाही–वि० स्त्री० बहुत बड़े धन के लालन से कोई काम सु दर० प्र०, 'मा० २,१० ३८८ ।। | करनेवाली ।। झोड़ा-सा पु० [सं० कुण्डक] जाडे के दिनों में तापने के लिये किसी कौंडिल्ला-सझा पुं० [हिं० फौ] २ मछली पकड़ कर खानेवाली गड्ढे में खर, पतवार फेंककर जलाई हुई अाग । अलाव । एक चिड़िया । किलकिला। २ फुसी नाम का पौधा ३०-जाडे के दिनों में किली गरम कौई के चारो और प्यार जिसे संस्कृत में कशुक और गवेधुक कहते हैं। दे० कम। विडा विद्या के अपने परिजनों के साथ युवती अौर वृद्धा,बालक कौडिहाई-सज्ञा स्त्री० [हृ०कौड़ियाही दे० 'कौड़ियाही ।। र बालिका, युवा र वद्ध सबके सब वैठ कृय रुह दिने ० (३a #ofesi To कावडिया] १. ममी का प्रक विताते हैं। श्यामा०, पृ० ४४। कीडा जो घोंघे की तरह एक अस्यिकोप के कड़िा-संझा पुं० [१० दन] एक प्रकार का जगली प्याज 1 कोचिड़ा दर रहता है। वराटिका ।। फफर ।। कौड़ा-सा पुं० [दा०] बुई नाम का पौधा जिसे जलाकर विशेष—यह अस्थि फोग उभा हु और चमकीला होता है। तथा इसके नीचे बडा लव पतला छेद होता है, जिसके दोनों सज्जी खार निकालते हैं। वि० दे० 'वुई ।। कौड़ा- वि० [स० क्ट] दे० 'कडा । उ०---भोरे भोरे तन करे, किनारे परे दाँत होर्दै हैं 1 खुले मुह को अावश्यकतानुसार बड़े करि कुरवण । मिठा कौड़ा ना लगे,दादू तोहू साण - वद करने के लिये उपर दुक्कन नहीं होता । छेद के बाहर | दादू०, पृ० ६५। इसका सिर रहता है, जिसमें दो कोने निकले रहते हैं जो कौड़िया-वि•[हिं० कौडी] कौडी की तरह का । कौडी के र स्पद्रिय का काम देते हैं। कोढ़िया भारत महासागर में का। कुछ स्याही लिए हुए सफेद रंग की । लंका,मलाया, स्पाम,सिहल मालद्वीप अादि के पास इकट्ठी की फीडिया-सज्ञा पुं० [हिं० कौडिल्ल] कहिल्ला या निकिल नाम का जाती हैं । राजनिघंटु में कौडियाँ पाँच प्रकार की बतलाई गई पक्षी । उ०—नयन कौडिया हिय समद गुरु सो तेही जोति । हैं--(क) सिही, जो सुनहले रग की होती है । (ख) व्याघ्री मन मरजिया न होई परे हाथ न अावे मोति जापही जो धूमने रंग की होती है (ग) मृगी, जिसकी पीठ पोली (शब्द०) और पेट सफेद होता है (घ) हुँची जो बिलकुल सफेद कौडियाला-वि० [हिं० कौडी] कौडी के रंग का । हुलका नीला होती है। प्रौर (च) विंदती, जो वहृत वही नहीं होती द्रव्य | (रंग) जिसमें गुलाबी को कुछ झनक हो। कोकई। रूप में कौडी का व्यवहार भारत चीन यादि देशों में बहुत डिपाला–संझा पुं० १ कोई रग का । ३ एक प्रकार का विपंला प्राचीन काल से होता रहा हैं । वाजसनेयी सविा में इसका सोप जिसपर कौडी के ग और प्रकार की चित्तियाँ पडी उल्लेख अाया है । भास्कराचार्य ने चोलावती में इसके मूल्य रहती हैं। ३. वह धनी जो साँप की तेरहूं रुपए के ऊपर का विवरण दिया है । पैसे के अधेि को अघेला, चौथाई को वैठा रहे उसे वचं न हुने दे । कृपए धनाढ्य । के जूस दुफडा या छदाम पर अष्टमांश कौ दमडी कहते थे । एक अमीर । पैसे में प्रायः ८० कोय या २५ दाम माने जाते थे। ३ दाम की एक दमडी, छ दाम का एक टुकडा चौर १२॥ दाम का एक अधेला माना जाता था