पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५४७

यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

________________

कॉल कोरा | कोरण- सट्टा पुं० दे० 'चोर' । उ०—जैसे स्नेह चंद कह कोरा । को भग करनेवाले, सेना छोड़कर भागने वाले या पानी सिपाहियों का विचार होता है । | कृवीर सा०, पृ० १०८ ! कोरान-ची पुं० [फा० कुशन] दे॰ 'कुरान' । कोर्ट शिप--सवा पी० [ग ०] एक पाश्चात्य प्रथा जिसके अनुसार पुरुप किस स्त्री को अपने साथ विवाह करने के निचे उद्यत पर कोरापन-सा पुं० [हिं० फोरा+पन (प्रत्य॰)] नवीनता । अछूनापन ! अनुकूल करता है । कन्यामवरण । कोरहिर -सच्चा पुं० [सं० कोलाहल] ३० 'कोलाहल' । उ० विशेप---यह प्रया युरोप, अमेरिका अदि स'म्य देशो में प्रचलिन कुहकहि मोर मुहावन लागी । होइ कोराहर बोलहि कागा । है । प्राचीन काल में १, rयों में भी पह प्रथा यी, पर अब 'भारत जायसी ग्र० (गुप्त), पृ० १३६ ।। की केवल कुछ असभ्य जातियों में ही देखी जाती हैं । यह | कोरि-वि० [सं० कोटि दे० 'कोटि' । उ०-व्रजनिधि चतुर सुजान प्रया स्मृतियों के प्राइ प्रकार के विवादों में से गाधर्व विवाह के उनसो कवह न तोरिए । वे ही जीवन प्रान कोरि नtति करि अतर्गत समझी जाती है । जोरिए --ब्रज० ग्रं॰, पृ० ३५ । • कानिस-संज्ञा स्त्री० [3० फुनुशं] १ अभिवादन । नमस्कार ! कोरिया --संज्ञा पुं० [हिं० करी] १ दे० 'को। उ०—-दूढ । सलाम । बदगी । २ सती पे एक असुन का नाम जो भजन फिरे घर कोउ न वताय स्वपच कोरिया नौ ।-- के समय नगापा जाता है । उ०-जप ग्रौर भजन दो मसिनो सूर०, ११५१ । में किए जाते हैं। प्रथम असिन फो 'कोनिस' कहते हैं । कोरी–सा पु० [३० कोल= सुअर] [छौ कोरिन] हिंदू की। स० दरिया, पृ० ३२ ।। एक जाति को सादे और मोटे कपड़े बुनती है । हिंदू कोर्निसिया पुं० [तु० कुनुर्श अवि दने । उ०—-दत्त जोर जुलाहा । उ०- ज्यो कोरी रेजा धुर्न, नियर अावे शोर । । | कौनिसि किया प्रेम प्रीति लव साम ।- सं० दरिया १० ५ । | कबीर न० सुं० पृ० ७७ ।। | कोम–सधा पुं० [तु ० कौमह 1 घी ने वना हुन्न। मास। उ०—पहले बहू कोरी–स सी० [सं० कोटि या अ ० स्कोर वीस वस्तुओं का । दस दसे दोस्तों के साथ, नवावी दस्तरखान सजाकर बैठतें, समूह ! कोड़ी । कोम होवा, कालिया होती, मौर रात रात भर बोत) के कोरी–वि० सी० [हिं० झोरा १ जो काम में न लाई गई हो । काग फटाफट सुल्ते रहते ।--शरावी, पृ० १०४। अटूती । नदीन। २. जिसपर रग न चढ़ी हों। जिसपर कुछ कोर्स-सा पुं० [य ०} उन विपयो का क्रम जी फिर्म विश्वविद्यालय ने लिखा गया हो। सादी ! वि० दे० 'कोरा' । । स्कूल, कालेज, यदि में पाए जाते हैं। पाठपक्रम । जैसे,-- कोरेया---सा पुं० [सं० कुटज या देश॰] वनवेला । कुरैया। उ० - इस बार वी० ए० के कोर्स में शकू वली के स्थान पर भवभूति वनप्ले (कौरैया) ने फुतकर वाग के वेलों को लेजाया -- कृत 'उत्तररामचरित' रखा गया है । प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० १२ ।। कोलवक- मघा पुं० [मुं० कोउम्बक] वीणा का नया और इंडा । कार-संज्ञा पुं० [हिं० फोर] १ वह लकड़ी जिससे पनवारी का भीटा को 3-सच्चा पु० सं०] १ सुअर । पाकर । उ०—-केमठ पीठ पर छाया जाता है। २ को जो खपरैल में लगती है । ३ रे है कोल कोल पर फन फनिद फन 1-- मकवरी०, १० १८६ । को तुबा पेड ! २. गोद । उत्संग । ३ चालिंगन मारने में दोनों भुजा के केटि-सज्ञा पुं० [स०] अदालत । कचहरी ।। बीच का स्थान ४ चीता नाम की घोधि । चित्रकः । ५ शनैश्चर ग्रह। ६ वैर । यदर । ३. एक तोल जो केटि- सज्ञा पुं० [अ 41 कोर्ट पीस नामक ताश के वेत्र में एक तोले भर को होती है । ६ काली मिर्च । ९. शीतपचीनी । प्रकार की जीत जो लगातार सात हाथ जीवने से होनी और चय नाम की घोपधि । १० पुरुवंशी माझी; नामक राज। सात बजिय जीतने के बराबर समझी जाती हैं । का पुत्र । ११ एक प्रदेशे या राज्य का प्राचीन नाम । फोट घाफ वार्ड-- सया पुं० [अ०] वह सरकारी विभाग जिसके विशेप--हरिवंश मे चोल राई र नाग दरिए के पाइप और द्वारा किवी ग्रनय, विधवा या अयोग्य मनुष्य की भारी केरल के साये माया है । पर बौद्ध में । मैं प प कपिलवस्तु जायदाद का प्रयध होता है। कोरटे । के पूर्व रोहिणी नदी ; उस पार बनाया गया है। शुद्धोदन पशुप-जब से जमीदारी प्रथा समप्ति हुई है विभाग बंद कर मौर सिद्धार्थं दोनों का विवाह १३ वंश में इमा था । इ5 | दिया गया । कौन वंश के विप ने बौद्ध में ऐन प्रसिद्ध है कि इ न कद इसपटर--सज्ञा पुं० [१ ०1 पुलिस का वह कर्मचारी ने पुलिस के चार पुर। अपनी कोदिन इन हो हिमालय के पचन में हैं की ओर से फौजदारी मुक्तदनों की पैरवी करता है। गए मोर उसे एक गुफा में बंद कर एि । कुछ दिनो के सवा पुं० [अ०] एक प्रकार का ताश न वे न जो चार उपरत फाशो का एक को राजा भी उच्च स्थान पर पचा प्रादमियों में देता है । और काली मिर्च (फल) गाकर अच्छा है। गया। राजा ने फटि फसि-सी० [अ०फीट + फी] अदालत रमु ।। एक दिन दे। सि ए हि ३६ गुरु के दर पर २R Pए विशेष -दे० 'मम' । पत्थर को हटाना चाहता है। राजा ने रितु को मार र ८ माल ६ ० [x s1ौजी अदाल, निउने सेना के नियन गुहा से उस कन्या का उद्धार कर उम: ? रोग छ।