पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५४

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उत्तरक्रियां छत्तंभोंस उत्तरक्रिया--सृज्ञा स्त्री० [सं०] शवदाह के अनतर मंतक के निमित्त इसका स्वरग्राम यो है !--- स, रे, ग, म, f, ध, नि, धे, नि, होने वाला विधान । स, रे, ग, म प, ध, नि, स, रे, ग ।। उत्तरगुण-सज्ञा पुं० [सं०] जैन शास्त्रानुसार वे गुण जो मूल गुण की उत्तरेमानस सज्ञा पुं० [स०] गया तीर्थ में एक सरोवर । रक्षा करें। उत्तरमीभासा--सज्ञा स्त्री० [स] वेदात दर्शन । उत्तरग्रथ --- संज्ञा पु० [सं० उत्तरेग्नन्य] रचना का परि शिप्ट [को०) । उत्तरलक्षण-- संज्ञा पुं० [स०] जवाव का उपयुक्त सकेत [को०] । उत्तरच्छद----संज्ञा पुं॰ [सं०] १ ग्रावण । २ विछावन के ऊपर । उत्तरवय--सज्ञा स्त्री० [हिं०] दे० 'उत्तरवयस' [को०] । विछाई जाने वाली चादर (को०] । उत्तरवयस–सज्ञा पुं० [सं०] बुढापा । वृद्धावस्था । उत्तरज्योतिप-सज्ञा पुं० [सं०] पश्चिम दिशा का एक देश । उत्तरवर्तन--संज्ञा पु० [स०] दे० 'अनुवा ' (को॰) । उत्तरण-सजा १० [सं०] उतरन। नाव अादि के द्वारा जलाशय पार । उत्तरवस्ति--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] छोटी पिचकारी (को०] । करना [को०] । उत्तवस्र--संज्ञा पुं० [सं०] १ ऊपर पहना जानेवाला वस्त्र । २ उत्तरतत्र - संज्ञा पुं॰ [स० उत्तरतन्त्र] सुश्रुत या किसी वैद्यक ग्रथ का । | दुपट्टा अादि (को०) । । पिछला भाग। उत्तरवादो--संज्ञा पुं० [स० उत्तरवादिन्] वह जो बाद में न्याय की उत्तरदाता--संज्ञा पुं० [म० उत्तरदातृ] [स्त्री० उतरवान्नी] वह जिससे | माँग करता है प्रतिवादी । मुद्दालेह (को०) ।' किसी कार्य के बनने विगडने पर पूछताछ की जाय । उत्तरसाक्षी-सज्ञा पुं० [स०[ कृतसाक्षी के पाँच भेदो में से एक । वह उत्तरदाता- वि० जवाबदेह । जिम्मेदार ।। साक्षी जो औरो के मुंह से मामले का हाल मुनमुनाकर उत्तरदायित्व-सज्ञा पुं० [सं० उत्तरदायित्व, फा० जवाबदेही का हि० सक्षी दे ।। रूप] जबावदेही । जिम्मेदारी । उ०—गुप्त साम्राज्य की भावी उत्तसाधक'---संज्ञा पुं० [सं०] सहायक [को०] । शासक को अपने उत्तरदायित्व का ध्यान नही ।—स्कद०, उत्तरसाधक--वि० १ पोप 'भार को पूरा करनेवाला । ३ उत्तर पृ० ४ । ( जवाव ) को सिद्ध करनेवाला [को॰] । उत्तरदायी-वि० [स० उत्तरदायिन्। [वि॰ स्त्री॰ उत्तरदायिनी] उत्तर उत्तरा-- संज्ञा स्त्री० [सं०] १ राजा विराट की कन्या और अभिमन्यु देने वाला जवाबदेह । जिम्मेदार । की स्त्री जिससे परीक्षित उत्पन्न हुए थे। २ उत्तरी दिशा (को०] । उत्तरदायी सरकार-सज्ञा स्त्री० [हिं० उत्तरदायी +सरकार] उत्तरदायी ३ एक नक्षत्र [को॰] । शासन ! उत्तरदायित्वपूर्ण शासन । वह प्रशासन जिसमे शासक उत्तराखंड-सज्ञा पुं० [ स० उत्तराखण्ड ] भारतवर्ष का वह उत्तरी वर्ग के व्यक्ति अपने कार्यों के लिये जनता या जनता द्वारा | हिस्सा जो हिमालय के अासपास मे पडता है [को॰] । निर्वाचित प्रतिनिधियों के प्रति उत्तरदायी हो । उ०--यद्यपि उत्तराधिकार--सज्ञा १० [सं०] किसी के मरने के पीछे उसके घनादि केंद्र और प्रातो दोनो में उत्तरदायी सरकार की व्यवस्था की गई थी |–मा० ० जा० वि०, पृ० ३ । उत्तराधिकारी--सना १० [सं० उत्तराधिकारिन्] [ भी० उतराधि- उत्तरनाभि-सज्ञा स्त्री॰ [सं०] यज्ञ में उत्तर की प्रोर का कुड। कारिणी ] वह जो किसी के मरने के पीछे उसकी सपत्ति का उत्तरपक्ष-सज्ञा पुं० [सं०] शास्त्रार्थ में वह सिद्धात जिसमें पूर्व पक्ष मालिक हो। वारिस । अर्थात् पहले किए हुए निरूपण या प्रश्न का खड़न या समाधान उत्तरापेक्षी--वि० [स० उत्तरापेक्षिन्] अपने कथन का जवाव चाहने- | हो । जवाब की दलील । वाला [को॰] । उत्तरपट--संज्ञा पुं॰ [सं०] १ उपरना । दुपट्टा। चादर । २. बिछाने उत्तराफाल्गुनी--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] बारहवाँ नक्षत्र । की चद्द ।। उत्तरपय—संज्ञा पुं० [सं०] देवयान । उत्तराभाद्रपद--सज्ञा स्त्री॰ [सं०] छब्बीसव नक्षत्र । उत्तराभास- सज्ञा पुं० [सं०] झूठी जबाव । अडवड जवाब (स्मृति) । उत्तरपद-संज्ञा पुं० [सं०] किसी यौगिक शब्द का अतिम शब्द । । विशेप-यह कई प्रकार का होता है--(१) सदिग्ध, जैसे, किसी । जैसे, रवि-कुल-कमल-दिवाकर' में दिवाकर ( शब्द० )। पर सौ मुद्रा का अभियोग है और वह पूछने पर कहै कि हमे उत्तरपाद--सज्ञा पं० [सं०] चनौती का जश्व [को०] । याद नहीं कि हमने १०० स्वर्ण मुद्राएँ ली या रजत मुद्राएँ । उत्तरप्रदेश–नज्ञा पुं० [म०] भारत संघ का एक राज्य (को॰) । (२) प्रकृति से अन्य, जैसे, किसी पर गाय का दाम न देने का उत्तरप्रोष्ठपदयुम--संज्ञा पुं॰ [सं०] नदन, विजय, जय, मन्मथ सौर अभियोग है और वह पूछने पर कहें कि गाय तो नही घोडा दुमु य, इन वर्षों का समूह ।। अलबत इनसे लिया था । ( ३ ) अत्यल्प, जैसे, १००) के उत्तरप्रोष्ठपदा- सज्ञा० जी० [सं०] उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र । स्यान पर पूछने पर कोई कहे कि मैंने पाँच ही रुए विए उत्तरभोगी--वि० [सं० उत्तरभोगिन् ] उपभुक्त, त्यक्त या वची हुई थे । (४) अत्यधिक। ( ५ ) पृनैकदेशव्यापी, जैसे किसी वस्तु का उपभोग करनेवाला [को०] । पर सोने और कपड़े का दाम न देने का अभियोग है और २५-सज्ञा ९० [सं० उत्तरमन्द्र] सगीत में एक मूच्र्छना का नाम । वह कहे कि हुमने कपड़ा लिया था, सोना नही । (६)