पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५२९

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१ अंदमस्त । किसी प्रकार की परिश्रम में काम न करना पड़े । सादी मू०---ॐ फियत तलव करन= निपमानुसार विवरण माँगना। कारण पूछना । कैदसत-सम औ० [अ० क द + फा० सत] वह कैद जिसमें कैदी ३. अाश्चर्यजनक या हुपत्पादक घटना । जैसे-अजि बड़ी को कठिन परिश्रम करना पड़े। कड़ी कैद ।। कैफियत हुई। कैदसवारी–सुच्च स्त्री० [हिं० कैद+सोवारी] तवले ची एक गत क्रि० प्र०—दिखाना ।—होना । जिसका बोल यह है- कैफ-वि० [अ० के फी] १. मतवाचा ! मद भरा। उ०-नेहिन उर

  • ० । ।

वित लढ्यो जवही धीरज सैन । सुफी हैरत में पठे कफी ३ ता दिनता के, घकिटे वैरे नैन ।---रसनिधि (शब्द०)। २ नशेबाज । कैफीयत--सुज्ञा स्त्री० [अ० फीयत] दे॰ 'कैफियत' (को॰] । दिन घाट धाकेट । दिनता धा । केवर-कुश की० [ देश० ] तीर का फल या गाँसी । उ०—(क) कदार-- स पुं० [सं०] १. पसाब नाम की लकड़ी । पद्माष्ठ । सीन झरोखे दारि के, झाँकी धू धट टारि । कंवर सी कृसुकै २ शानि धान । ३. एक प्रकार का वढ़िया घान । ४. हिये, वाँकी चितवन नारि --मृ ० स० (शब्द०)। (छ) खेतों का समूह (को॰) । रंगी नैन में औरो ललाई दैरि अाई है, कि सोचौ काम केवर कूदी-सब्य पुं० [अः क दी] वह जो कैद किया गया हो। वह जिसे विश्व शौनित में डुवाई हैं!--प्रताप (शब्द०)। (ग) विप | कैद की सजा दी गई हो ! बंदी । वैधुवाँ। भरे कैवर नसे वर गरद एरे तेरे तुल्य वचन प्रपंचित को कंघ–अव्य० [हिं० के+घ] या । वा । अथवा । ३०--प्यारो की गायो है।दूलहू (शब्द०)। - ठोड़ी को विदु दिनेश किंध विसराम गोविंद के जी को । केवी--अव्य० [सं० कति+वार) अनेक वार । बार बार । कई बार। चाम् चयों कनिका मनि नील को केध जमाव जुम्यो रजनी कैवार(0-सच्चा पुं० [सं० कपाट] किवाड । द्वार फा पल्ला ! को । के धौं अनंग सिंगार को रग लियो नर मंत्र वसीकर कैविनेट-संज्ञा स्त्री॰ [४ ०] १ वह कमरा जिसमें राजा, महाराज पी को । फूले उरोज में भरी इसी किंधों फूल ससी में लग्यो अदि अपने विश्वासपात्र मयिय के साय प्रबंध सुवधी सलाह अरसी को -दिनेश (शब्द०) । करते हैं। मुख्य मंत्रियों की वह विशेष समिति जो फिसी केन - सा स्त्री० [६० कञ्चिका] १. वाँस की टहनी । २. किसी एकति स्थान में बैठकर राज्य प्रबंध पर विचार झरे । • वृक्ष की पतली टहनी ।। भत्रि समाज 1 मंत्रिम इल । ३. लकड़ी का बना हुआ सामान। जैसे, मेज, अलमारी, दरीज इत्यादि । ३. फोटो का एक कना--पुं० [दश०] एक प्रकार की झप या पौधा, जिसकी पत्तियों , का लोग साग बनाते हैं। याकरि जी कार्ड साइज से दूना होता है। कॅनित-सका स्त्री॰ [देश॰] एका खनिज पदार्य जो स्वाद के काम में कॅम-सा पुं० [स० कदम्ब, प्रा० कयंव, फलव] दे॰ 'कैमा' उ०— अव तुज नाम उपाय को अायो सावन मास । छैल ने रहिनों , माती है। इसमें जवाखार या पुट) को अश अधिक होता है। केप-सा पुं० [अ०] टोपी । खेम सो कम कुसुम की वास ।--(शब्द०)। पिटल-सी पुं० [अ०] १ किसी व्यक्ति या समुदाय का ऐसा । टाय का ऐसा। कैम कम -वि० [अ० कायम] १. स्थित । २. दृढ़। कैमा--संवा पुं० [सं० कृदम्व] एक प्रकार का कदव । करमा । समस्त धन जिसे वह किसी व्यवसाय या काम में लगा सके। कमान सा पु° ! १५ धन । सपत्ति। पू जी । २ वह घन जो किसी व्यापार या विशेष—इसके पते कचनार की तरह चोडे सिरे के होते हैं। इस फुल कदव की ही तरह पर उससे छोटे होते हैं और व्यवसाय में लगाया गया हो या जिससे झारोदार प्रारम उनके ऊपर सफेद सफेद जीरे नहीं लगते । इसकी लकढी पीले किया गया हो । झिसी दूकान, कोठी, कारखाने, बँका आदि रम् की और बहुत मजबूत होती हैं तथा इमारतों में लगती है। को निज़ की चर या अचर संपति 1 १ जी । मूलधन । ३ । कैमूर्तिक न्याय-सज्ञा पुं० [सं०] एक न्याय या उक्ति जिसका प्रयोग वह चव सामग्री जिसके द्वारा संपत्ति भजित की जा सके। यह दिखलाने के लिये होता है कि जब इतना बड़ा काम हो ४. किसी देश का मुइय या प्रधान मगर जिसमें राजा या रोज प्रतिनिधि या प्रधान गया, तव पद क्या है। कार हो । कपिटलिस्ट-सा पुं० [अ०] ६० 'पूजीपति' ।। कॅमेरा---सा पुं० [अ०] दे॰ कम'। १५°[अ० कफ! नया। मद । उ 9-—हरो हो रग देखि के कय–वि० सं० मियतु+एक कितने हैं। उ०—इ मनरूप लव भूलत है मन फनीम पृतौवन में मिले कहू 'माँग | इह रूप | गढ़ जिन केयक हैं महिलूप !-सुजन १, । कफ -सनिधि (शब्द॰) । २ बुलबुले को खिलाने का नल को खिलाने कयास ५५ केया -सा पुं० दश०] १. टीन कर काम करनेपाल का एक मौर बहू चारा जिसमें भाग या और कोई मादक द्रव्य मिचा जिसे बरतन राजे जाते हैं । यह कारछी के प्रकार को सौर लोहे का होता है और इसमें एम मोर तकी की मूठ लगी हता है अरि जो इसे खाने के पहले दिया जाता है। रहती है । २ मध्य भारत का घी, तेल मादि नापने का यता - [म० कैफियत] १. समाचार । हाले । वर्णन । | ३ विवरण 1 फसल ! एक मास जो लगभग अाध पाव का होता है। • Ka--देना }---पूछन। --मना -लिखना । गैर-- ऑ० [सं० अकर, मा० कयर) ३• 'इराद ।