पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५२५

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केशवा १०४ केसर केशशुलासा सी० [सं०] वेश्या । दागिना [को०] । केहंत्री-संवा स्त्री० [सं० के शहन्त्री! समी का वृक्ष । केशुध्ने । केशात--संज्ञा पुं॰ [स० केशान्त] १.सोलह संस्कारों में से एक। विशेप - ब्राह्मण को यह संस्कार सोलहवें वर्ष, क्षत्रिय को वाईसय वर्ष यौर वंय को बौदीसवें वर्ष करने का विधान है। यह संस्कार यज्ञोपवीत के बाद और समावर्तन के पहले होता था और इसमें ब्रह्मचारी के सिर के बाल मूड़े जाते थे। इसे गोदानकर्म भी कहते हैं । 14 डन । ३.दाल का सिरा ।। केशाहा–सुको बी० [सं०] सइदेवी नामक वुटी । सहदेइया । केशि--अशी पुं० [सं०] एक राक्षस जिसे कृष्ण ने मारा था। कशिक--वि० [सं०] [वि० सी० केशिका अलकृत यी सुदर घुघराले | चिकने वालोंवाला (को० ।। केशिका- सूझा मौ० [सं०] सतावरी । केशिनी-संवा औ० [सं०1१ जुटामासी । २ चोर पुष्पी नाम की एक प्रोपधि । ३ वह मंत्री जिसके सिर के बाल सु दर और बड़े हों । Yएक अप्सरा का नाम जो कश्यप की पत्नी और प्रधा की कन्या थी । ५ पार्वती की एक सहचरी । ६ राजा अजमीढ़ की रानी का नाम । ७ राजा सगर की एक रानी का नाम । ८ भागवत के अनुसार रावण की माता के कसी का एक नाम ९.एक प्राचीन नगरी का नाम । १० दमयंती मी उस दृढ का नाम जो नल के भेस ३दनकर अाने पर उसके पास दमयती का संदेसा लेकर गई थी। केशु'-:सम पुं० [सं० केशिन ] [स्त्री० केशिनी] १.प्राचीन काल | के एक गृहपति का नाम । २ एक असुर जिसे कृष्ण ने मारा यो । ३.घोडा ४ सिंह । ५. एक यादव का नाम । वि० १.किरण या प्रकाशवाला 1 २ अच्छे वालवाला ! कशीसा नौ० [सं०] २, नील का पौधा। २ भूतकेश नाम की मोपधि । ३,केवाच । कौंच ४. एन खजूर की पत्तियों से मिलती जुलती होती हैं। ५. दुर्गा (को॰) । ६. चोटी (को०) । कश्य'-वि० [सं०] १. कश संवघी । २ वाल बढ़ानेवाला ] । सच्ची पुं० १ काला अगर २, महावल नाम पौधा को०)। -सी पुं० [स० केश] १ दे० 'कैश' । २ ख का एक रोग जिसमें अखि के कोने में लाल मास निकलता है, जो क्रमश बढ़ता जाता है और धीरे धीरे सारी अखि को ढक लेता है। "स। पुं० [अं॰] । किसी चीज को रखने का खाना यी घरे ! चश्मे का केस ३ मुकदमा । ३ दुर्घटना 1Y.लकडो का एक प्रकार का चोर घेरा में प्राय एक हाय चोडी दो व लबा और तीन चार अगुन ऊँचा होता है जिससे टाइप रने के लिये बहुत छोटे छोटे खाने बने रहते हैं -- (छापाखाना) ।। कसुई-सा स्त्री० [हिं०] दे० 'कसई' या 'कल' । केसर-सज्ञा पुं० [सं०] १. बाल की तरह पतले पतले वै के जो फूलों के बीच रहते हैं । किंजल्क। विशेष—यह दो प्रकार का होता है। ए वत् जो घु डी के । किनारे किनारे होता हैं और जिसमें नोक पर छोटे, चिपटें दाने होते हैं। इसमे पराग रहता है और यह 'परागकेसर' कहलाता है। दूसरा वह जो घुडो के बीच में होता है । इसमें पराग नहीं होता और यह गर्भ केसर' कहलाता है। २ एक प्रकार के फल का वीच का पतला सौंका या फे सर जिसका पौधा बहुत छोटा होता है और पतिया घास की तरह लंबी और पतली होती हैं। विशेप-केसर का पौधा स्पेन, फारस, कश्मीर, तिब्बत और चीन में होता है । कश्मीर का केसर रग में सर्वोत्तम माना जाता है और स्पेन का सुगंध में । इसका फूल बैगनी रंग की झाई’ लिए वहुत रंगो का होता है और पौधे मे फून निकलने के बाद पत्तियाँ लगती हैं। प्रत्येक फूल में केवल तीन के पर होते हैं, इसीलिये आधी छटाँक असल कैंसर के लिये प्रय. चार हजार फूलो की आवश्यकता होती है। केंमर निकाल लेने के बाद फूल को धुप में सुखाकर हलके डों से कूडते हैं और तब उसे किसी जनभरे बरतन में डाल देते हैं। उसमे से जो अ श नीचे बैठ जाता है, वह 'मोगला' कहता है और मध्यम श्रेणी का केसर होता है। जो अश जल मे न डूबकरा पानी के ऊपर रह जाता है, वह फिर सूखकर अौर कटकर पानी में डाला जाता है। इस बार जो कैंसर जन में टू जाता है, वह निकृष्ट श्रेणी का होता है और 'नील' या 'निर्वल' कहलाता है। केसर का पौधा विशेष प्रकार की ढालुप जमीन में होता है, जो इस कार्य के लिये अाठ वर्षे पहले से विलकुल परती छोड़ दी जाती है । इस पौधे की गाँठे जमीन में गाडी जाती हैं और एक बार की लगाई गौठो से चौदह वर्ष तक फूल निकलते रहते हैं। इसके फूल कार्तिक में लगते भौर संग्रह किए जाते है । केसर बहुत ही सुगंधित अौर गरम होता है और खाने पीने की चीजो में सुगंध के लिये डाला जाता है। केसर की रग देखने में गहण लाल होता है, पर पीसने पर पोली हो जाता है । वैद्यक में केसर को सुगधित तिक्त, उष्णुवीयं, रुचिकारक, कातिवर्द्धक, कडुनाशक, विरेचक और कास, वायु, कक, कृमि तथा वि दोप का नाशक माना है। डॉक्टरी मत से यह ज्वर सौर यकृते का | नाशक मौर रजोनिस्सारक है, पर जिले के कुछ नए डाक्टर इसका कोई गुण स्वोकार नहीं करते ! प्रयf०-.-काश्मिीरजम् । पग्निशख। पीतने । रक्त । सुशोचे । पिडन् । लोहित चंदन । चाय । सुधिर । शङ । शोणित । अरु । कति । छल । रज । दीपक । सौरभ । चरन । ३. घोडे, सिङ अादि जानवरों की गरदन पर * वाल । अपात । ४ नागकेसर । ५. मकुन । मौलसिरी । ६. पुन्नाग । ७. हीग का पेहे । इ एक प्रकार का विप । ६ में । १२, कसी। केस-सुथा पुं० [अं॰]