पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/५०६

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कृटेस्थ ३ कूदने कुछ अदल बदल न हो सके । अटल । अचल ३. अविनाशी । क्रि० प्र०—करना)-बटोरना --- साइना ।—उठाना ।-- विनाशर हित । ४ छिपा हुआ । गुप्त । अतव्यप्त ! पोशीदा । फेंकना। फैलाना ।—लगाना। कूटस्थ-सा पुं० १ व्याघ्रनख नाम का सुगधित द्रव्य । २ २ व्यर्थ और निकम्मी चीज । वेकाम चीज। परमेश्वर । परमात्मा । ३ जीव । कूडाखाना-सा पुं० [हिं० फहा+फा० खाना] वह स्थान जहाँ कूड़ा विशेष-साक्ष्य में 'कूटस्थ' ऐसे अत्मिा पुरुष को कहते हैं जो | फेंका जाता हो । कतवारखाना । परिमाणरहित हो और जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति तीनो कूडय–सद्या पुं० [सं०] दे० 'कुस' (को॰) । अवस्था मे एक समान रहे । न्याय में परमेश्वर को 'कूटस्थ' कूढ'-सपा पुं० [स० कुष्टि, प्रा० कुढि] १ हल का वह भाग जिसके कहा है और उसे जन्म-गुण -रहित अर्थात् किसी से न उत्पन्न एक सिरे पर मुठिया और दूसरे पर सोपी होती है । जोघा । होने वाला माना है । हलपत । पन्हित । बोने की वह प्रथा जिसमें हल ही गरारी कटस्वर्ण-- सझा पुं० [सं०] खोटा सोना । बजावटी सोना। में बीज डाला जाता है । छाटी का नेता । कूटा-संज्ञा पुं० [हिं० कूटना] [स्त्री॰ कूटी] कुटनपने फैरनेवाला ।। विशेप जब खेत में वरी कम रह जाती है त, रबी की फसल कुटना । इसी तरह बोई जाती है । गेहू, तीसी अादि की बोवाई भी कुटाक्ष-सज्ञा पुं० [सं०] जाली पासा । वनावट पासा । इसी तरह होती है । कुटख्यान--संज्ञा पुं० [सं०] ३ कूट अर्थं वाले पाब्दों में लिखी गई कृढ़-वि० [सं० कु + अ = Fहै. पा० कूप प्रयवा कुठ] | कहानी । २ कल्पित कथा [ये । नासमझ । अज्ञानी । बेवकूफ। कूटागार--संज्ञा पुं० [सं०] बौद्धों के अनुसार वह मदिर जो मानुषी यौ॰—कृढ़मग्ज। | बुद्धो के लिये बना हो । कृढम-वि० [हिं० क +फा० मज़] जिसे कोई बात समझने में कुटायुध-सज्ञा पुं० [सं०] छिपाकर रखा गया हथियार [को॰] । बहुत कठिनता हो । मंदबुदिछ । कुदजिहुन । कूटाथ-सज्ञा पुं० [सं०] वह छिपा हुआ अयं जिसे बौविक प्रयत्न से कण -सर्य० [डि०] ६० कुण' । समझा जाय । | कुणिका- सच्चा सी० [सं०] वीणा, सितार, सारगी या चिकारा प्रावि कूटावपात—संज्ञा पुं० [सं०] ऊपर से छिपी हुअा गड्ढा, जो बंगली * जनवरी को फंसाने के लिये बनाया जाता है। तशी बीजों को वह खूटी जिसमे तार वे रहते हैं और समय कूटि –सच्चा स्त्री० [सं० कुट] वह व्यंग्य भरी वात जिससे किसी को । समय पर जिसे मरोजेकर तार को ढीला या कड़ा करते हैं। परिहास ध्वनित हो । कूणित-वि० [सं०] वव। स कुचित । सिमटा हुआ । अविकसित (को०] ! कुटी'--सज्ञा पुं० [सं० कट + ई (प्रत्य०)] १ हँसी उड़ानेवाला। कूणितेक्षण-सा पुं० [सं०] श्येन ।वाज पक्षी (क्वे ।। मसखरा । ३ जालसाज । जालिया। कूत-सच्चा पुं० [सं० अकूत = अशिय] १ वन्तु को बिना गिने, नाप कटी-सच्चा स्त्री० [हिं० कुटनी या कूटा की स्त्री०] कुटनी । दुती । या तौल उसी सख्या, मुल्य या परिमाण फा अनुमान। कट-सुद्धा पुं० [देश॰] एक पौधा जो हिमालय पर्वत पर ४००० फुट क्रि०प्र०—-फरत --होना। से १०,०००फुट की ऊचाई तक होता है। वहीं इसे प्रायः २. दे० 'कनकूत'। घरकारी के लिये बोते हैं। मैदानों में भी इसकी खेती होती कूतनी–क्रि० स० [हिं० कुत+नी (प्रत्य॰)] १ अनुमान करना । है । फाफर । कूल्टू । फाळू। तु वा । कसपत। फोटू । अदाज लगाना। उ०---बैर सुनै न परे श्रुति लो मुसकैबो मिले विशेष—इसकी खेती वगाल, आसाम, बरमा, दक्षिण भारत, अधरान को कूते ।—सेक (शब्द॰) । ३ किसी वस्तु को मध्य प्रदेश और उत्तरप्रदेश में भी होती है। बीज जुलाई बिना गिने नापे या तोले उसको सख्या मूल्य या परिमाण में वोया जाता है और अक्टूबर में इसकी फसल तैयार होती अादि का अनुमान करना ३ कनकृत करना । हैं । पौधा डेढ़ दो फुट ऊँचा होता है और उसके सिरे पर नीले कुथना- क्रि० स० [सं० कुन्थन वहुत मारना । बुरी तरह पीटना । फूलो का गुच्छा लगता है। फून देखने में बहुत सुंदर होते कुथना-ऋि० अ० दे० 'कू'थना ।। हैं । फूल गिर जाने पर फल लगते हैं। पकने पर वीजो को कूद सच्चा स्त्री० [सं०] कूदने या उछलने की क्रिया या भाव। डटल से मुलकर अलग कर लेते हैं। बीज काले रंग के तिकोने यो०---कूदफाँव = कूदने या उछलने की क्रिया । लबे और नुकीले होते हैं। भूखी निकल जाने पर उनके अदर कूदना'-क्रि० अ० [सं० स्कुन्दन या सं० फूर्दन प्रा० कु बन] २ दोनों से दाने निकालकर पाटा पीसते हैं जो फलाहार के लिये व्रतो पैरो को पृथिवी या किसी दूसरे आधार पर से बलपूर्वका उठा में काम आता है। कर शरीर को किसी मोर फेंकना । उछलना । फाँदना । कडा--सा पुं० [सं० फूट, प्रा० कृ= ठेरा] १ जमीन पर पड़ी जैसे—वह महाँ से कूदकर वह चला गया । २ जान बूझकर हुई गर्व खर पत्त आदि जिन्हें साफ करने के लिये माड, दिया ऊपर से नीचे की ओर गिरना । जैसे—वह स्त्री कुएँ में कूद जाता है । फतवार । पढी । ३ किसी काम या बात के बीच में सहसा या मिलना यौ०--कूड़ा करकट । फूड खाना। या दखल देना । जैसे—तुम यह कह से कूद ? ५ बम