पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४९२

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कुलनिक फुल्ली अच्छी नस्ल का घोड़ा (को०) । ३.नातून में होनेवाला एक कुल्फी- संज्ञा स्त्री० [हिं०] १० बुलफी' । उ०—-मेब, फल, मिठाई, रोग (को०)। ४ शक्तिपूजक (को॰) । बर्फ की कुल्फी सये मेज पर सजा दिए गए। गबन, कुलीनक-संज्ञा पुं० [सं०] जगली मूग या मुद्ग [को०)। पु० १०३ ।। कुलीनक–वि० उच्च वश में उत्पन्न । कुशीन [को०] । कुल्माप-सज्ञा पुं० [सं०] १ कुनथी । २ उबं । माप । ३. बोरो कुलीनस—सा पुं० [सं०] [सं०] पानी । जल । वारि [ये । धान ।४ वह अन्न जिसमें दो भाग या दल हो, जैसे-- चना, कुलोरसिद्धा पुं० [सं०] १ के कडा । २ कर्क रशि [को॰] । उदं, मटर मादि । ५ वन कुल थी । ६ सूर्य का एस कुलीरक--सज्ञा पुं॰ [सं॰] दे॰ 'कुलोर' [को०] । पापिएवं फ। ७ खिचड़ी । ८ माजी ६ एक प्रकार की कुलोश—सच्चा पुं० [सं०] दे॰ फुन्निश' (को०] । रोग। कुलु इ–सञ्चा पुं० [सं०] जौ'म पर जमनेवाली मेल।जिहाभल को। कुत्यस पुं० [8] प्रतिदित व्यक्ति । अादरणीय भनुन्य (सौ॰) । कुलुक्कगु जा–सद्या स्त्री॰ [सं० कुलुक्कगुञ्जा] लुक । लुकाठी । २ मित्रता का प्रकाशन (समवेदन, बधाई ग्रादि) (को०)। उन्मुक [को०] । ३ हुड्ढी । अस्थि (को०) ४ डलिया। छाज (को०) । ५ कुलुफ—संज्ञा पु० [अ० फुफल ]—उला । उ०—(क) नैना न रहूँ ! मास (को०)। ६ अन्न नापने का एक परिमाण या पैमाना । मेरे हटके । कछु पढ़ि दिये सखी यहि ढोटा घूघरवारे लटके । उ०-फुल्य अनाज नापने का एक साधन छोटी टोकरी के कञ्चल कुलुफ मेलि मदिर मे पलक संदूक पट मटके --सूर सदशं या ।—पूर्व, म० ए० १२३।। (शब्द॰) । (ख) जुलुफ मैं कुलुफ की है मति भेरी छनि एरी कुल्यो-सा स्त्री॰ [सं०] १ कृत्रिम नदी। नहर। २ छोटी नदी । अलि कहा करो फल ना परति है ।-दीन प्र०, पृ० १० । | नाला । ३ पनाला नाली । ४ कुलीन स्थी । ५ जीवंत कुलुसी—सा पु० [सं० कुलि श] एक प्रकार की मछली जो सिंधु, नामक थोपधि । ६ अाठ द्रोण के बराबर की एक प्रारीन सयुक्त प्रात, बगाल और अासाम में पाई जाती है । लबाई में तौल (०)। ७ सध्वी स्त्री (को०)। ६, परिसर । वाई (को०)। यह पांच फुट तक होती है इसे लोग तालाबो में पालते हैं। कुल्यावाप-सा पुं० [सं०] गुप्तकालीन 'भूमि नापने की एक माप । कुरसा । | पूर्व ० म० भ०, पृ० १२३ ।। कुलू'—सधा पुं० [सं० कुलूत] कुल्हू नामक प्राचीन देश, जो काग के कुल्ल ----सा पुं० [दशी] फठ । गला । ग्रीवा [को०] । पास है। कुल्ल —वि० [अ० कुल सब । समस्त । पुरा । तमाम । उ०कुलू-सम्रा पुं० [देश०] एक प्रकार का पेड़, जिसकी मुलायम छाल। (क) मुजलि म जोरे ध्यान कुल्ल को हरि सौं हैं ले रचे ।-- के पर्त निकालते हैं ! गुलु । सूर, १।१४२। (ख) से स्याम बलभद्द अक्कर कुल्ली । विशेष—इसकी पत्तियाँ १०-११ इच लवी होती हैं और दनियो —पृ० रा०, २।४७७ । के सिरो पर गुच्छों में होती हैं । इसके फूल छोटे छोटे और कुल्लह-सम्रा पुं० [सं० कुलाह] ३० कुलाह' । उ०---रग रग के सजे गधकी रग के होते हैं । यह पेड़ नेपाल फी राई, वु देलखंड तुरगी । कुल्लह समुद्र कुमेत सुरगा।-हम्मीर०, पृ० ३ । तथा बंगाल में होता है। इसमें से एक प्रकार का गोंद निकलता कुल्ला'-सया पुं० [सं० केवल ] [क्षी० कुल्ली] १ मुह को साफ करने हैं जिसे कतीरा या कती ला कहते हैं । वि० दे० 'गुल'। के लिये उसमें पानी लेकर इधर उधर हिलाकर फेंकने की कुलूत-सज्ञा पुं॰ [सं०] दे॰ 'कुलू'। झिया। गरारा। कुलेल–सज्ञा स्त्री॰ [सं० कल्लोल] क्रीड़ा । कलोल । उ०—कोउ साँग क्रि० प्र०—करना ।-फेंकना ।--होना । वरछीन साधि हँसि करत कुलेलन -प्रमधन॰, भा॰ १, २ उतना पानी जितना एक बार मुह में लिया जाय । पृ० ११ । कुल्ला-सा पुं० [सं० कल्या] ईख के खेत की वह हलकी सिंचाई, कलेलुना-सुज्ञा स्त्री० [सं० हि० कुलेल +ना (प्रत्य॰)] क्रीड़ा करना । कुल्ला-सा पुं० [अ० कुल्लह) पोड़े का एक रग जिसमे पीठ को प्रमोद प्रमोद करना। उ०—देखि सरोवर से कुलेली। रौढ़ पर बरावर काली धारी होती है । इस रग झा घोड़ा पद्मावति सँग कहि सहेली - जायसी (शब्द०)। कुल्ला-सा पुं० [फा० काकु ल, मि० स० 'कुल' ] [स्रो० कुल्ली] कुलोदभव-- वि० [सं०] १ कुनविप में उत्पन्न । २. कुलीन (को॰] । बाल । जुल्फ । काकुल । पट्टा । कुलीपदेशसा पुं० [सं०] कुल का नाम । कुलगत नाम [को०] । कुल्ला ---सा पुं० [अ० कुल्लह ] १ ऋ में । चोटी । २ किसी भी | वस्तु को शीर्ष भाग । ३ तलवार की मूठ । कुब्जा [को०] । कुल्थी--सध्या स्त्री० [हिं०1 दे० 'कुल्थी' । कुल्ली- सच्चा स्त्री० [हिं० कुल्ला] १ मुह को साफ करने के लिये कुल्फ -सक्षा पुं० [हिं०] दे० 'कुलुफ' । उ०--कोई माल इकट्ठा उसमें पानी लेना र इधर उधर हिल कर फेंकने की करती है कोष कुंजी कुल्फ लपाता है ।---राम० धर्म, क्रिया । १०६२। क्रि० प्र०—करना ।—होना । कृष्फ-सा १० [सं०] १• एक योगे । १. गुल्छ । दयाना की । ३.उतना पानी जितना एक बार मुह में लिया जाय । देखि सरोवर हैन। कुल्लाने पर होती है। पद्मावति सँग क । काकुल पट्टा 'अवगत नाम [को । कुल्ला५ के ° [हिं०] १० 'कोट ।