पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४८

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उलाना उतारना' उतृलाना:---क्रि ग्र० प्रा० उत्तावल, उतावल = शीघ्रता ] व्याघ वध की ।—तुलसी ग्रं॰, पृ० २१३ । १० उच्चारा । जल्दी करना । उ०—चनी तव बाई लछमन पाँव छुए जाई । न्योछावर । सदका। बोली मुकाम एक बात कहीं भावती । बरवे के काज राम तुम ११ परिहार। उस वस्तु का प्रयोग जिससे विष आदि का १ पठाई हौं गजानन मनाय अाई ताते उतलावती ।।-हनुमान दोप या और कोई प्रभाव दूर हो । जैसे, (क) हीग अफीम का ( शब्द० ) उतार है । (ख) इस मंत्र का उतार क्या है। १२ वह अभि- उतल्ला -वि० [हिं० ] दे॰ 'उतरयल' । चार जो अपने मगल के लिये किसान करते हैं । इसमें वे एक उतवग –सा पुं० [ सृ० उत्तमगि ] मस्तक । सिर ।---डि० । दिन गाँव के बाहर रहते हैं ।। १३ कुश्ती का एक दाँव । उतसहका-सया जी० [सं० उरकण्ठा] प्रबल इच्छा । उत्कठा 1 उ०—दस्ती, उतार, लोकान, पर, ढाक, कालाजग, घिस्से ०-शरद सुहाई ग्राई रति, दुर्ह दिस फूल रही वन जाति," मादि दाँव चले और कटे -काले० पृ० ४१ । उतसहकठा हरि सो बढ़। —सूर (शब्द॰) । उतारन-सज्ञा पुं० [प्रा० उत्तीरण, हि० उतारना] उतारा हुआ कपडा। उताइल)---वि० [ प्रा० उरावल ] ६० ‘उतायल' 1 उ०---(क) गुरु वह पहिरावा जो धारण करते करते पुराना हो गया हो। मोहदा सेवक में सेवा । चलै उताइल जेहि कर सेवा । जायसी जैसे, अापकी उतारन पुतारन मिल जाय । २ न्योछावर । उतार । ३ निकृष्ट वस्तु । ग्र ० पृ० ८। (ख) दधि सुत अरि नख सुत सुमाव चल तेहा यौ॰—उतारन पुतारन 1 उताईल अाई । देवि ताहि सुर लिख कुवेर को वित्त तुरत | उतारना-क्रि० स० [स० अवतारण, प्रा० उत्तरिण] १ ऊँचे स्थान मुझाई ---साहित्य०, १६६ । से नीचे स्थान में लाना । उ०- अहे, दहेड जिनि धरै, जिनि उताइलीG-मुज्ञा स्त्री॰ [ प्रा० उत्तावल ] ३० 'उतायली'। । लेहि उतारि, नीके है छीकै छुवै ऐसई रहि नारि। उनि---वि० [स० उ तान उत् + तान,प्रा०उत्तीण = उन्मुख]२ पीठ --विहारी र०, दो० ६१६। २ किसी वस्तु का को जमीन पर नगाकर लेटे हुए । चित । सीधा । उ० - उमा प्रतिरूप कागज इत्यादि पर वनाना । (चित्र) खीचना । रावनहि अस अभिमाना। जिमि टिट्टिम खग सूत उताना । जैसे, यह मनुष्य बहुत अच्छी तस्वीर उतारता है। ३ लेख । —मानस, ६।३९ । २ तना हुअा। फैला हुआ । की प्रतिलिपि लेना । लिखावट की नकल करना । जैसे, क्रि० प्र०-धनना। इस पुस्तक की एक प्रति पि उतार कर अपने पास रख लो। उतामलाई-वि० [हिं०] 'उतावला' । ४ लगी या लिपटी वस्तु को अलग करना । सफाई के साथ उतापल -वि० [ प्रा० उतावल= उतावली ] जल्दी। शीघ्र । काटना । उचाडना । उधेडगा। उ०—(क) अस्वत्थामा निसि तेज । उ०—जव सुमिरत रघुवीर सुभाऊ, तव पथ परत तहै अाए, द्रोपदि सुत तहँ सोवत पाए। उनके सिर ले गयी उतायन पाऊ।—तुलसी शब्द॰) । उतारि, कह्यौ पाडवनि आयौ मारि —सूर०, १।२८६ । (ख) उतायली -सज्ञा स्त्री॰ [हिं० उतार्यल] जल्दी । शीघ्रता । उ०— सिर सरोज निज करन्हि उतारी, पूजेऊ अमित बार त्रिपुरारी। श्याम सकुच प्यारी उर जानी। करत कहा पिय अति उता- —मानस ६२५। (ग) बकरे की खाल उतार लो। (घ) यत्र में कहु जात पानी ।---सूर ( याव्द॰) । दूध पर से मलाई उतार लो। (शब्द॰) । ५ किसी धारण उतार---सुज्ञा पुं० [३० अव+Vतृ, प्रा० उत्तार, हि० उतरना ]१ की हुई वस्तु को दूर करना । पहनी हुई चीज को अलग उतरने की क्रिया । २ क्रमश नीचे की योर प्रवृत्ति । ढाल । करना । जैसे, ( क ) कपड़े उतार हालो । ( ख ) अँगूठी जैसे,—पहाड का उतार । ( शब्द०)। कही उतारकर रखी ? ६ ठहराना । टिकाना । हेरा देना। जैसे, इन लोगो को धर्मशाले में उतार दौ । ७ अादर के यो०-उतार चढ़ाव == ऊँचाई निचाई । उतार सुतार= गौं । निमित्त किसी वस्तु को शरीर के चारों ओर से घुमाना। सुनीता। मुहा०-उतार चढ़ाव देताना=(२) ऊँचा नीचा समझाना । (२) जैसे,—आरती उतारना ! ६ उतारा करना। विसी वस्तु को धोधा देना । ३ उतरने योग्य त्या । जैसे, (क) पहाड के मनुष्य के चारो ओर घुमाकर भूत प्रेत की भेंट के रूप में चौराहे मादि पर रखना । ६ न्योछावर व र7। वारना । उ॰— उस तरफ उतार नहीं है, मत जायो । ४ किसी वस्तु की वारिए गौन में सिंघुर सि हिनी, शायद नीरज जैनने वारिए । मोटाई या घेर का क्रमश कम होना । जैसे, इस छडी का वारिए मत्त महा वप जहि चद्रघटा मुसुफान उतारिए । चढ़ाप उIIर वह त अच्छा है। किसी क्रमश बढ़ी हुई वस्तु -रघुराज (शब्द०) 1 १० चुकाना । अदा करना । जैसे, पहले का दिन । पटाव । कमी । जैसे नदी में उतार पर है। अपने ऊपर से ऋण तो उतार लो 1 तब तो र्ययात्रा १ नदी में डूलकर पार करने योग्य स्थान । हिलान । जैसे- करना । ११ वसूल करना । जैसे, (क) पुस्तकालय का सब चदा उतार लामो तव तनखाह मिलेगी । ( ख ) हम प। इनार नही है, मोर मागे चलो। ७ समुद्र का 'भाटा । अपना सा लहना उतार लेंगे तव यहाँ से जाएँग । ६ देरी के कारों का पिछा वन जो बुननेवाले में दूर पौर (ग) उसने इधर से उधर की बातें कर के १००) उतार लिए । द है गमानानर होना है। ९ उतारन । निकृष्ट । ३० १२. किसी उग्र प्रभाव का दूर करना जैसे,—नशा उतारना, प्रगत 'नार, पकार को प्रसार जग की छह छुए सहमत विप उतारना । १३ निगलना । जैसे, इस दवा को पानी के