पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४७८

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कुमारलसिवा १६४ कुमुद सोगहि नसावे । प्रमोद उपजावे। अतीव सुकुमारी । कुमार कुमारी–वि० विना व्याही । जिस (स्त्री) का विवाह न हुआ हो। ललिता री । २ वालको की क्रीडा । कुमारीपुत्र-- सच्चा पुं० [सं०] १ कुमारी से उत्पन्न व्यक्ति । २ कणं । कुमारलसिंता--सच्चा धी० [सं०] आठ अक्षरों का एक वृत्त, जिसमे | का नाम कि०]। और अंत में एक घ और एक गुरु कुमारीपुरसङ्गा पु० [सं०] राजभवन का वह माग जिसमें कुमारी होता है । उ०—'मजो जु सुखकद को । हरो जु दुख छद को ।। लडकियाँ रहती हो [को॰] । (शब्द०)। कुमारीपूजन--सया पुं० [सं०] एक प्रकार की पूजा जो देव पूजन के कुमारवाहन-सा पुं० [सं०] मौर। शिखी। वहीं । मयूर (को०)। समय होती है और जिसमे कुमारी बालिका का पूजन करके कुमारव्रत--सच्चा पुं० [सं०] जीवन मरी ब्रह्मचर्य पालन करने का उन्हें मिष्ठान्न अादि दिया जाता है। व्रते (को०)। कूमार्ग-संज्ञा पुं० [सं०] [वि० हुमाग] १ बुरा मागं । वुरी राह कुमारसंभव-सझा पु० [सं० फुमारसम्भव] कालिदासप्रणीत एक २ अधम । । महाकाव्य । कुमार्गगामी–वि० [सं० कुमार्गगामिन्] १ कुयी। कुमार्गी। १ विशेष—इस काव्य मे शिव-पार्वती-विवाह और कुमार कृतकेय अधम । । की उत्पति का विस्तृत वर्णन है । इस महाकाव्य मे कुन १७ कूमार्गी -वि० [सं० कुमागिन् [बी० कुमागिनी १ वेदचलेन । सर्ग हैं जिसमें प्राचीन टीकाएँ या सर्ग के बाद नहीं मिलती। कुचाली । २ अधर्मी । धर्महीन । अत ऐसा विश्वास किया जाता है कि का लिदास ने आठ ही कुमालक–सच्चा पुं० [सं०] १ एक प्राचीन प्रदेश जो वर्तमान मालवा सुर्यों की रचना की है तथा शेप नव सर्ग किसी अन्य छवि को के अतर्गत था। इसे सौवीर भी कहते हैं । २ उक्त देश के कृति है । निवासी । कुमारसु -सल्ला ९० [सं०] कुमार कार्तिकेय की जननी। पार्वती (चे। कूमाला–सुज्ञा पुं० [देश०] एक छोटा पेड़ जिसका फन खाया कुमागमात्य–सच्चा पुं० [सं०] गुप्तकान में उच्च पदाधिकारियो को जाता है । दी जानेवाली एक उपाधि । उ०—भवत सम्राट् तो विशेष—यह पेड देहरादून, अवध, छोटा नागपुर, बंबई तथा कुसुमपुर चले गए हैं, और कुमारामात्य महाबलाधिकृत वीरसेन दक्षिण भारत में होना है । यह ८ १० फुट ऊचा होता है। स्वर्ग की ओर प्रस्थान किया ।-कद०, पृ० ४ । और इसकी पत्तियाँ चार पाँच इच लवी होती हैं। यह बैठ कुमारिसका सी० [सं० कुरारी] दे॰ 'कुमारी' । उ०—मौन ते अपाठ में फूलना है और इसका फन खाया जाता है । निकसि वृषभानु के कुभरि देख्यौ, ता में सहेट को निकुज कुभिस - सद्या पुं० [सं० फु+मिष प्रा० मिस कुव्याज । बुरा धोखा । गिरयो तीर को 1–मति० ग्र०, पृ० २६० ।। | दुष्टता से भरा बहा या छन । उ०--भूपण कुमिस गैर कुमारिका—सहा स्त्री० [सं०] कुमारी । उ०—जागी पृथ्वी तनया मिसिले खरे किए शो ।• भूपण ग्र २, पृ० २० ।। कुमारिका छवि अच्युत ।-अपरा, पु० ४० ।। कुमीच -सज्ञा स्त्री॰ [स० कु + मृत्यु प्रा० मिच्नु] बुरी मृत्यु ।। कुमारिल भट्ट -सद्मा पुं० [सं०] प्रसिद्ध मीमासक और यावर भाष्य | अपमृत्यु । तथा अन्य श्रौत सूत्रो । टीकाकार। कुमुख-सया पुं० [सं०] १ रावण के दुमुख नामक एक योद्धा का विशेष-पहने इन्होने जैन धर्म ग्रहण किया था पर कुछ समय का नाम । २ टू पर । पीछे अपने जैन गुरु को शास्त्रार्थ में परास्त करके ये वैदिक कुमुख–वि० पुं० [सं०] [वि० सी० कुमुखी] १ बुरे मुखवाला जिसका धर्म का प्रचार करने लगे थे। कहते हैं गुरुसिद्धार का चेहरा देखने में अच्छा न हो। २ कुत्सित या अपविचार को खड़न व रने के प्रायश्चित्त के लिये ये कुटग्निी मे जल भरे व्यक्त करनेवाला (मुख) । उ०—लगह कुमुख वचन सुम थे । यह भी कहा जाता है कि इनके अग्नि में जलने के समय कैसे ।-गानस, २४३ । शकराचार्य इनके पास मैट करने के लिये गए थे । कुमुद--संज्ञा पुं० [सं०] १ कु. २ लान कमल । ३ निदेय । कुमारी-संज्ञा स्त्री० [सं०] १ दस वर्ष से बारह वर्ष तक की अवस्या | वेरहम । ४ कजूस ! की कन्या । कुमुद'-सा पुं० [सं०] १ कुई । कोका २. लाल कमल । यौ०-फुमारीपूजा। यौ०--कुमुदबघु = चद्रमा । २ अविवाहिता कन्या (को०)३ कन्या । पुत्री । लडकी (को॰) । ३ चाँदी । ४ विष्ण । ५ एक ददर का नाम जो रावण के युद्ध ४ धी कुङगैर ५ नवमल्लिका । ६ दाँझ ककोड़ी । ७. में लड़ा था ६. एक प्रकार का वैदय । ७ एक द्वीप का बड़ी इलायची । ८ घरमा पक्षी है सीता जी का एक नाम ८, कपुर ६ एक नाग का नाम । इसकी बहन नाम । १० पार्वती ११ दुर्गा १२ एक अवरी। जो कुमुद्व ती कुश की पत्नी थी। १० आठ दिग्गजों में से एक भारतवर्ष के दक्खिन मे है । १३ चमेली १४ सेवती । जो दक्षिणपश्चिम कोण में रहना है ११ विष्णु का १५ पटी का मध्य भाग १६ शाकद्वीप की सात नदियों में एक पारिषद । १२ स गीत का एक ताल १३ एक केतु एक । १७.अपराजिता । तारा जो कुई के प्रकार का है।