पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४६६

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कूटनी १६ कुंठाटे वा । कुनबेवाला। ३ कुटु व के लोग। सवधी। नातेदार। कुटार-सज्ञा पुं० [सं०] १ कवल । ओढने का ऊनी वस्त्र । ९ रति- ३ वह व्यक्ति जो किसी वस्तु की देखभाल करता हो (ले०] । क्रिया । सभोग । ३ पहाड । पर्वत । ४. पृथकूता। पार्थक्य ४ किसान । कृपक [को॰] । [को॰] । कुटनी-सच्चा खो० [सं०] ३० कुट्टनी' (को०) । कुट्टित--वि० [सं०] १ फटा हुआ। २ पिसा हुा । कूटा हुमा [को॰] । कुटुम --सञ्ज्ञा पुं० [सं० कुटुम्त्र] दे॰ 'कुटुंब' । कुट्टिम--सझा पुं० [सं०] १ वह भूमि जिसपर ककड, पत्थर । ईटें यौ॰—कुटुमकवीला=कुटु वीजन । बैठाई हो । पक्का फर्श । च । २ अनार । दाडिम । ३. रत्न कुटुवा--सी पुं० [हिं० फूटना] १ कूटनेवाला । २ बैल या भैंस की खान (को०) १४. कुटी । छोटा गृह (को०) । को वघिया करनेवाला । । कुट्टिमित–सच्चा पुं० [सं०] दे० कुटुटमित (को॰) । कुटेक-सच्चा स्त्री० [सं० + हि० टेव] अनुचित हुठ । बुरी जिद । | कुट्टिहारिका--सा खौ० [पुं०] दे॰ 'कुटहारिका' (को०] । कूटेव-सझा [सं० कृ+ हि० टेव ] खराव अादत । बुरी धान । कुट्टी–सच्चा स्त्री० [हिं० फीटना] १ घास, पयाल या सौर चारे को बुरा अभ्यास । उ०—नैनन यहै कुदेव परी । लूटत स्याम रूप छोटे छोटे टुकड़ों में काटने की क्रिया । अपुन ही निसि दिन पहर धरी -सूर (शब्द॰) । क्रि० प्र०---मोरना होना। कुटेशन- सच्चा पुं० [अ० कोटेशन] दे॰ 'कोटेशन' । २ गॅड़ासे से बारीक कटा हुआ चारा । ३ कूट और सड़ाया कुटौनी-सज्ञा स्त्री॰ [ हि० कूटना + औनी (प्रत्य॰) ] १ घन कूटने हुमा कागज, जिससे पुट्ठे और फलमदोन इत्यादि बनते हैं । ४ का काम । उ०—कर्क या झपढ़ स्त्रियो का दिल बहलावे लडको का एक शब्द, जिसका प्रयोग वे एक दूसरे से मित्रता लछाई है। घर गृहस्थी के साथ काम पिसौनी कुटौनी से छुट्टी तोड़ने के समय दाँतो पर नाखून खुट से बुलाकर करते हैं। पाय जबतक दाँत न कर ले, मापस भे झोटीझोटा न कर ५. मंत्रीभग । ॐ, तबतक कभी न अघायँ ।--हिदी प्रदीप (शब्द०)। क्रि० प्र०—करना ।—होना । क्रि० प्र०—करना ।—होना। ५. परकटा कबूतर । वि० दे० 'कुटा' । | कुट्टोर--संज्ञा पुं० [सं०] छोटा पहाड । पहाडी [को॰] । यौ॰—कुटौनी पिसौनी = (१) घान कूटने और गेहू पीसने का। कुट्टीरक-- सच्चा पुं० [सं०] दे॰ कुटीरक' (को०] । काम । (२) जीविका के लिये कठिन परिश्रम (स्त्रियो का) । जैसे--माँ तो कुटानी पिसौनी कृती है और बेटे का यह कुट्टमले--सज्ञा पुं॰ [सं०] दे० 'कुड्मल' (को०) कठ-मझा पुं० [सं०] पेड़ । वृक्ष । गाछ [को०] । हाल है। | कुंठर- सज्ञा पुं० [सं०] ३० फुटर' [को०)। २ धान कूटने की मजदूरी । जैसे----दो मन धान की कुटौनी कुठला--सधा पुं० [सं० कोष्ठ, प्रा० कोट्ठ+ला ( प्रत्य० ) ] [ जी० कितनी हुई है । अल्पा० कुठली ] १. अनाज रखने का मिट्टी का बड़ा बरतन । कृट्ट-सञ्ज्ञा पुं० [सं०] १ गुणक । गुणा करनेवाला । २ वह अरु २. चूने की भट्ठी । जिससे गुणा किया जाय [२] । क्रि० प्र०-चढ़ाना। कुट्टक---सधा पुं० [सं०] १. कूटने पीसनेवाला व्यक्ति । २. एक शिकारी कठ्ठाँउ, कुठय--सबा सी० [हिं० फु+ठाँव ] दे० 'कुठाव । पक्षी । ३ गुणक [को०] । कुठाँव --सा स्त्री॰ [ सं० के+हि० ठवि ] बुरी ठौर । वुरी कुटुन सा पुं० [सं०] १ नृत्य में वह मुद्रा जिसमे वृद्धावस्था के जगह । ०--यह सेव कलियुग को परभाव । जो मैप को कारण दाँव से दाँत वजने का भाव दिखाया जाता है । २ मन गयो कुठाँव ।—सूर (शब्द॰) । कृटना (को०)। ३ पीसना (को॰) । ४ काटना (को॰) । मुहा--कुर्ताव मारना=(१) मर्म स्थान पर मारना, अथवा ऐसे कुट्टनी-संशा ी० [सं०] १ कुटनी । दल्लाला । २ मनमोटाव करने स्थान पर मारना जहाँ बहुत कष्ट या दुर्गति हो । (२) घोर के लिये एक आदमी की बात दूसरे आदमी से कहनेवाल । अघात पहुचाना । वुरी मौत मारना । उ०—घरम घुरधर इधर को घर लगानेवाली । धीर घर मयन उघारे राव । सिर धुन लीन्ह उसास असि कुट्टमित-सच्चा पुं० [सं०]सुख के अनुभव-काल में स्त्रियों की मिथ्या दु ख- मारे सि मोहि कुठाँव [--तुलसी ( शब्द०)। चेष्टा । यह ग्यारह प्रकार के हावों में से एक माना गया है। एक माना गया है। कृठाकरे--सज्ञा पुं॰ [ देश० ] कठफोडवा पक्षी । क ' में माना है। कुठाटक-सञ्ज्ञा पुं॰ [ से० कुठारटङ्क ] [ ली० कुठाठ का ] छोटा कुट्टा-सा पुं० [हिं० कटना]१ परकट कबूतर। वह कबूतर जिसकी। कुल्हाडा । कुल्हाडी । पूछ के पर कतरकर उसे उठने.के अयोग्य कर देते हैं और कुठाट- सच्चा पुं० [सं० कु+हिं० ठाट १, बुरा साज । बुरा सामान । जिसे दूसरे कबूतरो को बुलाने के लिये हाथ में लेकर उछालते उ०—ाग को न साज़ न विराग जोग जाग जिय, काया नहि हैं । २ वह पछी जिसके पैर वायकर जाल में इसलिये छोड़ देते छाडि देत ठाटिवो कुठाट को ।—तुलसी (शब्द०)। २. बुर है कि उसे देखकर गौर पक्षी अाकर जाल में फंसे । मुल्ल । प्रदेध । बुरा अयोजन । उ०—(क) नट ज्यौं जिन पेट कुपेट कुट्राक---वि० [स०] [वि॰ जौ कुट्ट कि] १ कटने या विभक्त करने कु कोटिक चेदक कोटि कुटि ठटो —तुलसी (शब्द॰) । वेला । २ कटने पीसने का काम करनेवाला । कुट्दक । (ख) मोहि लगि यह कुठाट तेहि ठाटा। तुलसी (शब्द॰) ।