पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४६५

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कुठाय--मुच्च भौ• [हिं०] ३० 'कुठव' । कुठौर–सम्रा पुं० [स० कु+हिं० ठौर] १. कुठव । बुरी जगह । २. कठार'- संज्ञा पुं० [सं०] [चौ० कुठारी] १ कुल्हाड़ी ।२ परशु ।। वे मौका । वे ठिकाना। अनुपयुक्त अवसर ! उ०—कर' कुठार मैं अकरने कोही । योगे अपराधी गुरुद्रोही । कूठेर-सच्चा पु० [सं०] २. तुलसी का पौधा । २ अग्नि (को०] । --तुलसी (शब्द॰) । कुठेरक-सच्चा पुं० [सं०] श्वत तुलसी का पौधा [को०] । यो०-कुठाराघात । कुठारपाणि । कुठे-सच्चा पुं० [सं०] चॅवर मा पखे की वायु ]ि । ६ ना करनेवाला । सत्यानाशी । कैलकुठार। ४. वृक्ष ।। कुङग--सपा पुं० [सं० कुडङ्ग] कुज । पेड़ो का झुरमुट [को०]] पेड़ [को०)। कुड-सञ्ज्ञा पुं० [कुटे, कुठ प्रा० ड] वृक्ष | पेड़। उ०----सेही कुठार-सज्ञा पुं० [सं० फौष्ठागार, प्रा० कोट्टार, हि० कोठार]अनाज सियाल लगूर बहु, कुछ कदम नरि तर रहिय ----पृ० आदि रखने का बड़ा वरन् । कोठिला । रा० ६१६४) कुठारक-सञ्ज्ञा पुं॰ [स०] कुल्हाडी कि०] । कुड-- सवा पुं० [सं० फुप्ठ, प्रा० कुट्टो कुठे नाम की घोषधि ।। कुठारपाणि --वि० [सं०] जो हाथ में परशु या कुठार लिए हो । कुड़-सुज्ञा पुं॰ [देश॰ या स० कुट= समूह अन्न की राशि । कुरा कुठारपाणि-सुद्धा पुं० [सं०] परशुराम जी का एक नाम । कड़-सज्ञा स्त्री० [हिं० फोड़ना= खोदन] ले की अगवसी । जाँघा। उ०-निपट निदरि वोले चचन कुठारपनि मानी श्रास औनिपन कुडकी--सच्चा स्त्री० [तु० फुकं] दे० 'कुर्की । उ०—कसपर कुड़की | मानो यौनती गहीं --तुलसी (शब्द॰) । | नहीं आई।गोदान, पृ० १ ।। कुठारपान--सच्चा पुं० [सं० कुठारपाणि] परशुराम । कुडकुड-सूची पु० [अनु०] एक निरर्थक शब्द, जिसकी सहायता से कुठाराघात-सबा पुं० [सं०] १. कुल्हाड़ी का अधिातू । कुल्हाड़ी का पक्षी, पशु आदि खेती से हटाए जाते हैं । घाव । २. गहरी चोट । भारी सदमा ३.पूर्णत. नष्ट करने कुडकुड़ाना--क्रि० अ० [अनु०] किसी अनुचित या अप्रिय बात को वाला देयवहार । । देख या सुनकर भीतर ही भीतर क्षुब्ध होना । मन ही मन क्रि० प्र०—करना ।—होना । कुढना । कुडबुडोना। कुठारिक'-- वि०, सज्ञा पुं० [सु०] लकड़ी काटकर जीविकी अजित कडकडाना-#ि० स० खेत में चिड़ियों को उड़ाना या जानवर करनेवाला । लकड़हारा (को॰] । को भगाना । जैसे,—वह दिन भर खेत मे बैठा फौए कुठारिका-सयाली० [सं०] कुल्हाडी कि०) । कुडकुडाया करता है। कैठारी-सबा वी० [सं०] १. कुल्हाड़ो। टाँगी । उ०--रामकृया कडकडी--सच्चा बी० [अनु॰] भूव या अजीर्ण से होनेवाली पेट की कलि विटप कुठारी । सादर सुनु गिरिराजकुमारी ।—मानस, गुडगुड़ाहट । |१॥११४।२. नाश करनेवाली ३०-गह पद विनय कीन्ह मुहा०—ककुडी होना = किसी बात को जानने के लिये गहरी बैठारी । जनि दिनकरकूल होसि कुठारी ।—मानस, २॥३४।। | अकलता या उत्कंठा होना। पेट में चूहे कूदना । कुठारी-सुब्बा पुं० [हिं० कोठारी दे० 'कोठारी' । कुडप-सा पुं० [स० कुडप दे० 'कृडव' । कुठारु सुबा पुं० [स०] १. वृक्ष । पेड़। ३ वानर । वंदर ३. | कृ पना--क्रि० स० [हिं० कुड़- हलकी लकीर कगनी के खेत को शस्त्रक्राः । अस्य निर्माता [को०] । उस समय जोतना जव फसल एक विते की हो जयि । कुठली-सबा बी० [सं० +स्याली = बटलोई हि० कुठार+ई(अल्पा० । कडबूडाना-क्रि० अ० [अनु॰] मन ही मन कुढ़ना। कुकुहाना । प्रत्य०)] मिट्टी की घरिया जिसमें सोना चांदी गलत हैं। कडमल---संज्ञा पुं० [स० फुडमल] ६० ‘कुडुमल' । उ०—-कृलिस घरिया। उ०-पडित जी ने सखिमा मैगा दिया तो वावा जी कूद कुमम दामिनि दुति देसननि देखि लैजाई --तुलसी ५०, नै तुरत कुठाली में डाल के पंडित जी के हाथ से ए वुटी का | पृ० ४६२। रस उसके ऊपर गिरवाया ।-यद्धाराम (शब्द॰) । कडमाई-सुब्बा स्त्री० [पं०] विवाह के पहले विवाह के निश्च के कुठार---सी पुं० [सं० +ठाहर== जगह] १. कुठौर । होठीव ।। उपलक्ष्य में होनेवाला लोकाचार । मंगनी। सगाई । बुरा स्थान । ३०-हू लुकेस सहित परिवार।। सुल कुठाहर कडरि या--सृष्ट्या स्त्री० [हिं० फुइरी+इया (प्रत्य॰)] दे॰ 'क' । वास तुम्हारा -मानस ५/४६। २ वे मौका । बुरी कंडरी-सुक्षा बी० [कुण्डली) १ गेडी । इडुरी । हिई। अवसर । ३०-सी सर्व मोर पाप परिनाम् । भयउ कुठाहर बिडवा । २ वह भूमि जै। नदी में घूमने 8 वींच में पड़कर बेहि विधि वामू मानस २५३६ । तीन तरफ जल से घिर जाप । कुडरिया ! कुठ+सबा पुं० [१०] १ पेड | तरु। २ पर्वत । पहाड [को०] । कइल--सी स्त्री० [सं० कञ्चन] शरीर में ऐंठन जो रक्त की कामं ठियाई-सज्ञा स्त्री० [सं० कोप्ठि, प्रा० कोट्टिया] मनाज रखने । या उसके ठंडे पाने से होती हैं। यह अवस्था मिरगी ग्रादि रोगों में या निर्मलता के कारण होती है। इयुज । का मिट्टी का गहरा वरतन । कुठला- पुं० [हिं॰] दे॰ 'कुठला' । कडव-सच्चा पुं० [सं० कुइव] लोहे या लकड़ी का अन्न नापने का एक कठी-सरा औ• दिं०] एक प्रकार की कैदील बरे' या कसुम का पेड़ पुराना मान जो चार अंगून बोर्ड और उतना है। हर Bोदा मा । ३ बंगाल में होता है और रंग बनाने के काम में माता हैं।