पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४६२

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९७६ कुचौद्य कुजस । कुचौद्य-सच्ची पुं० [सं० कु+ योद्य] कुत्सित प्रश्न । पिता । कुतर्क । उसने कुछ खा तो नहीं लिया ? किसी ने कुछ कहा तो नहीं ? | खुचुर। इत्यादि । फुछ हो = चाहे जो हो । क्रि० प्र०—करना । २ कोई बड़ी बात । कोई अच्छी पातु । जैसे,—यदि ५०) ही। विशेष- इस शब्द का प्रयोग काशी के पडित ही बहुधा करते हैं । दिए तो कुछ नहीं किया । ३ कोई सार वन्तु । छोई काम भी कुच्चा--सा पुं० [फा०कह ! [बी० फुच्ची चमडे अदि का वस्तु । जैसे,—उसमें तो कुछ भी नहीं निक ना ।। | बना हुमा कुप्पा । कुहा०--फुछ (कछु) न रहना=इज्जत न रहना । प्रतिष्ठा न कुन्ची--सी पुं० [फा० कुजह, मिट्टी का ला परतन जिसे रहना। उ०—नैदेदसि प्रभु क न रहेगी, जय रतन | तेली ते नापते हैं। उधौंगी।-नंद प्र ०, पृ॰ ३६१ । कुछ समाना=(अपने को) । कूची--वि० छोटी । 'भद्दी । उ०—मोटा तन व बुदना दना मूब बड़ा या श्रेष्ठ समझना । कुछ हो जाना=fझमी योग्य हो । | कुची अखि --रतेंदु ग्रे •, भा॰ २, पृ० ७८६ । जाना । किसी बात में सगर्यन या किसी गुण से युक्त हो जाना। कुच्छ-सज्ञा पुं० [सं०] जलकमल का एक भेद । कुई [को०] । गण्यमान्य हो जाना । जैसे,-(क) यa 7इक परिश्रम करेगा कुच्छित, कुच्छित्त--वि० [सं० फुरित] कत्सित । नीच। उ०-- तो कुछ हो पाया । ख) यदि यह काम चमक गया तो होग (क) सुरधुनी मोध संसर्ग ते नाम बदल कुच्छित नरो । परमहस भी कुछ हो जायेंगे । बैसानि में 'मयो विभागी वानरौ ।--नाभा (शब्द०) । (ख) कुजत्र -सया पुं० [मे०कु+यन्त्र, प्रा० शत्र] १. बुरा यत्र । २. कृच्छित्स देस कारन विक्रम । तहँ सु केम कि गमन । पृ० अभिचार टोटका । टोना । ३०--कलि कुकाठ कर कीन्ह ०, १ । १७९ । कुजंत्र । गाडि विधि पढ़िकन कुम-नुलसी (शब्द॰) । कुछ--वि० [सं० किचित् पा० किंची, पृe हि० कछ फिछ] थोडी म सा पु° [सं० फुपन्भस] सघ लगानेवाला । चोर को०] । सख्या या मात्रा का । जचा । थोडा सा । ढक । जैसे- कुजभा'- वि० [सं० कु जम्भा] विकराले दाँतबाला ।। (क) देय पेड में कुछ फल हैं । (ख) कुछ लोग आ रहे हैं। कुजभा--सपा पुं० एक अनुर बो प्राद का पुत्र था। कुछ (ग) कुछ देर ठहरो तो वातचीत करे ।। कुजमिल-- सच्चा पुं० [सं० कुञ्जभित] ३० ‘कुजभल' । महा- कुछ एक= थोडा सा । कुछ ऐसा = विलक्षण । असाप्ता- 5'- सपा पृ॰ [सं०] मंगल ग्रह् । उ०—(क) मलि विसाल रण । जै- (क) रात तो कुछ ऐसी नींद आई कि पड़ते ही ललित लटकन मनि वाले दसा के चिकुर मुहाए । मानौ गुरु सो गए । (ख) वह लइका कुछ ऐसा धबया कि 'भागते ही शनि कई अागे करि वलिहि मिलन तम के गन अाए ।- बना । कुछ कुछ = spr । जैसे--माज बुखार कुछ कुछ सूर०, १०:१०४, (ख) माल लाल पेंदी ललन मान रहे उतरा है। कुछ न कुछ = थोड़ी बहुत । कम या ज्यादा। बहुत विराजि । इंदु कला कुज में वली मनहू राह भय नाजि ।- कुछ। तिना कुछ = गहुत अधिक । बिहारी (शब्द०)।३ वृक्ष । पेड । उ०-चदन वदन जोग कुछ?--सबै ० [अ० कश्चित् प्र० कोचि] १ कोई (वस्तु) । जैसे, तुम धन्य द्रुमन के राय देत कु कूज ककोल नो देवन सीस कुछ खो तो रो अवि । (च) कुछ दिलवा । (ग) हम कुछ चढ़ाय }--दीन ग्र २, पृ० २१३ । ३ नरकासुर का नाम, नहीं जानते। जो पृथ्वी का पुरा माना जाता था । मुहा०—कुछ का कुछ= दौर का और । विपरीत । उट; । कुज-वि० [मगान के समान लान र का। ली। उ०-(क) जैसे—व इ सदा कुछ का कुछ समझता है। कुछ से कुछ होना = फहरो अनत सोई घुजा 1 सित स्याम रंग कीती कुजा - भारी उराट फेरे होना । विशेष परिवर्तन हो जाना। कुछ फह सूदन (शब्द॰) । (ख) बहू स्याम धुन। बहुरंग कुजा - बैठना=कड़ी बात यह देना । ऊची नीची सुना देना। गाली सुदन (ग्द०)। दे देना। कुछ कहन} == बड़ी बात कहना । गाली देनः ।। कुज-क्रि० वि० [फा० कु जा= कहो, क्यों] कहाँ । किस जगह । विगडना । जैसे --तुम्हें किसी ने कुछ कहा है ? कुछ सुनोगे या उ०० हुन ला पाया अलमा कुज कागजी पाया 'मल्ल ।- कुछ सुनने पर लगे हो= ऊँचा नीचा सुनोगे । गाल खायोगे । सतवाणी, भा० १, पृ० १५१ ।। जैसे—तु ने नहीं मानते हो, अव कुछ सुनोगे । कुछ खा लेना= कुज -वि० [हिं० कु] दे॰ 'कुछ' । उ०-वहा कुज ऐतबार सिफा विष खा लेना जैसे--इसने कुछ खा तो नहीं लिया। का नही सिंचए एकानियत ३ --दक्खिनी॰, पृ० ४४२ । यौ०-- कुजकोई = हर एक । प्रत्येक । जो चाहे । उ०-“कुजकोई कुछ खावर मर जाना == विष खाकर मर जाना । कुछ फर देना= जादू टोना कर देना । मप्रयोग कर देना । जैसे- चु बन को गनफा हुदो गाल! कुजकोई खावण करे मावडि- जाने पडना है कि किसी ने उसपर कुछ कर दिया है। कुछ कुजन–सच्चा पुं० [सं०] बुरा व्यक्ति । दुर्जन व्यक्ति। असत्पुरुष । यारो माल ।—याको० ॥ ०, भा० ३, पृ० १५ । हो जाना = कोई रोग या भूत । प्रेत की बाधा हो जाना कुंजन्मा--वि० [सं० मन्] १ नीच से उत्पन्न । अकुलीन। ३ जै]---3-1ो कुछ हो तो नही गया । (किसी बुरी बात) पृथ्वी से उत्पन्न किये । या वस्तु का नाम लेकर लोग कभी कभी केवल इसी सर्व नाम कुजससचा पु० [हि० कु+जप्त (स० यशस्) ] अपशप । निदा । का प्रयोग कर लेते हैं जैसे- उसे कुछ हो तो नहीं गया। अपको ति ।