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  • माई

मई में में एक अन्म का नाम । १३ ए रात का नाम जो श्री माना है । उनी ने चोरी से वेश्यागमन करनेवाले विप्न रारा ग्राश्व पुत्र माना जाता है ! और बेश्या की यंतात मना है ग्रौर पाराशर ने मालाकार और कर्मक्री के योग से इनकी पत्ति मानी है। विशेप---यह स्वर्ण जाति का रोग है और सुत्र्या सुमय रात के पहुँचे पहर में गाया जाता है। अंत दामोदर में इसे सुस्वनी २ मुर्गा । कुक्कुट । ३ सीप (को०)। ४ जंगली पक्षी (को०)। प्रौर बनायी रानि के योग से बना हुआ संकर राग कू भकारिका संज्ञा श्री० [म० कुम्भकारिका] १. दै० कुमारी' । माना है । कृभकारी -संज्ञा श्री० [स० कुम्भा १] १ कु मकर की स्त्री । २. र प्रादि का पुत्र कृलयीं। ३ मै उसिल । १३ एक दैत्य का नाम । वह एक दानव था । बा ! १४ एक राक्षस का नाम जो मकण कू भज-सज्ञा पु० [H० कुम्भज] १ घड ने उत्पन्न पुष । २ अगम्त्य का पुत्र था । १५ एक दानर का नाम । १६ हृदय की एक प्रकार का रोग । मुनि । उ० - जाम कथा कुभन रिपि गाई ---मान, १५५१५३ ३ वशिष्ठ । ४. द्रोणाचार्य । (को०)। ११ एक पैर का नाम जो वंगान, मद्रा, ग्रासाम र अवघ्र के अंगों में होता है । कूवी । कमी । । के भजन्मा -सद्मा पु० [सं० कुम्भजन्प्रन्] दे० 'कु गा'। । विशेष—इनको नको मनवत होती है । छाले काले कू भजात सुद्धा पुं० दे॰ [सं० कुम्भजात ] 'के 'मन' । रंग की होती हैं। कई मकान और अयशी चीजें कुभदास—सद्मा पु० [मु० कुम्भदेस] ब्रज के अष्टछाप के कवियो मे बनाने के काम में आती हैं और पानी में नहीं नहीं । से एक कवि। यह सेवा भाव से कृष्ण की उपासना करते थे। इसकी छाल रेजेदार होती है और उपचे रस्मी वटी जाती है। कभुदासी–सच्चा बी० [सं० कुन्नदाती] १ कटनी । दृत । २. महू अपयों में भी काम आती है । इयु के फन को बुन्नी काइते हुमिका | जल भी ।। हैं, जि3 पंज्ञत्रिी वय साते तुवा पशुओं को भी खिलाते हैं। कुभवर-मुंबा पुं० [सं० कम्भर] के भनि ।। इनके पत्ते मात्र, फागुन में झड़ जाते हैं। इन्ने कुवी और कुभनी--सझो बौ० [प्रा० कुम्भली = जर का गर्त ] च । भूरा अर्जमा अरजम भी कहते हैं । छोटा गड्डा । उ०-रज्जव चेला चम्य विन गुरु fमा जा भकट्य पुं० [मृ० कन्नक] प्राणायाम का एक मार्ग, जिसमें चद । कूप भई पडू कू भनी क्यू' पत्रह प्रम् पद --उजव०, | नस लेकर वायु को शरीर के भीतर रोक रखते हैं । पृ० १४ ।। विदोप-या त्रिच्या पुर* ॐ वाद की जाती है अौर इसमें मुह के भपंजर-संज्ञा पुं० [सं० कम्मरञ्जर] वह स्थान या अ वार जो बंद करके नाक के रश्रों को एक अोर से अंगूठे और दूसरी दीवार में बना हो । गन् । गौछ । तावा । (को०] । अोर से मध्यमा तुया अनामिका से दबाकर बंद कर देते हैं, कृ भपदी-सुच्चा स्त्री॰ [स० कम्मपदी] द्रोपदी झो] । जिमने उनमें वायु प्रा जी नहीं झुकती । इसे कुम भी कहते हैं । के भमंडूक-सच्ची पुं० [सं० कुम्भमण्डूक] १. घड का मेनुक । २. कृभकरण, कृभकरन-वच्ची पुं० [सं० कुम्भकर्ण दे० 'कु भकण'। 3 | पनुभवहीन व्यक्ति (क) । उ०—(क) कृभकरण नहि अमर अपारा ।—कबीर सा०, पृ० | कभयोनि--संवा पु० नु० कुम्भयौनि] १ अगस्त्य मुनि का एक ४१। (ब) उठि विज्ञान विकरात वड़ कुभकरनु जमहान ।। नाम । २. गूमी का पेड़ । ---तुलसी ग्र०, १० ८६ । मकण-सुझा पुं० [मु० कम्भक एक राक्षस का नाम, जो कू भरी--संज्ञा स्त्री० [सं० कुम्भरी दुर्गा को एक ना [को॰] । के भूरेता संज्ञा पुं० [सं० के भरेतस्| अग्नि का एक नाम को०)। रावण का भाई था। रामायण के अनुनार यह छह महीने क भला--सूझा छौ० स० कुम्भला] गोरखमुडी । सोता था । के भोला-सच्चा स्त्री॰ [३० कुम्भशाप मिट्टी के घड बनाने मा कुभका–संज्ञा पुं॰ [सु० कम्भरुला] घुडो का वेल जिसमें नट | स्थान [को॰] । नग निर पर घडू रजकर वन पर चलते हैं। ३०-जसे क भसंवि--सज्ञा पुं० [सं० कुम्भसन्धि] हाथी के सिर का वह गइ सीप समुद्र में चित देत अकाि । कुमका हूँ वैनही, तस | जो उसके दोनों के भो के बीच में होना है। नाहेब दाना ।—कवीर श०, भा० ३, पृ० १४ । कभसंभव--सूझा पुं० [सं० कुम्भसम्भव] अगस्त्य मुनि का एक नाम । मामला-चबा पुं० [सं० कन्भतानला कमला रोग का एक ३०--जयति लवणावुनिधि कुसुमत्र महा दनुज दुर्जन देवन भेद ! माधव०, पृ० १७५ ।। दुरित हारी ।-नुलसी (शब्द०)। विशेष:-पाई रोग की उपेक्षा करने से हमला रोग होता है. कु भहन -संज्ञा पु० [सं० कुम्भहनु] रावण के दल के एक । उसी की दूसरी अन् के नज़ामला है । वैद्यक में इसे कृच्छ- का नाम, जिसे वाल्मीकि के अनुसार तार नामक बदर ने सुध्येि कहा गया है । मार थी । १ भकार--संज्ञा पु० सि० केभार] १. एक सुकर ज{ि । कम्हार । उनकी कभाइ-~-सा पुं० [सं० केभाण्ड] वाणापुर के एक मंत्री का नाम । भाई वयप- ह्मवैवर्त पुराण के अनुसार इम व सकर जीति की कू भा–समा १ कुन्भा १ वैश् । २ नाद । उत्पत्ति विश्वकर्मा पिता और ब्र; माता से हुई हैं। जातिमा में इसे पृटमा (पटिका ) पिता और गोप माता से उत्पन्न के भारत-सच्चा स्त्री॰ [न कुन्नकार कन्हार । उ० --अल दुरित हारी भनु) रविवार तार न