पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४४

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पाहियों ने गोलो से बुजं उड दिए । ३° लिपि । जैरी, उडिया भी जिमम १२ प्रोर १० के उरी उड़ाना वाले जो ये को भगाना या हटाना । जैसे-चिड़ियो को खेत में उडिगन--सज्ञा १० स० उगन ] ३० उगए' । उ०---चौद से उड़ा दो । ४ झटके के साथ अलग करना । चटे से पृथ मुरुज नहि तह नाहि उfगा की जाति ।--० करना । काटना । गिराकर दूर फेंकना । जैसे—(क) उस दरिया, पृ० १।। उडिया'.--० [ f३० उडता | इस देश का रहनेवा।। चाकू से अपनी अंगुली उडा दी । (ख) मारते मारते खाल उडा देंगे। (क) सिपाहियों ने गोली से बुजं उड़ा दिए । उ० उडिया-राजा श्री० [उत्कल मडिया] उड़ीसा को मापा यौर उमकी ---असि रन घारत जदपि तदपि बहू सिर न उड़ावत ।--- उडियाना--मज्ञा पुं० [देश॰] एक मात्रिक छ। निमम १२ र १० के गोल (शब्द॰) । ५ हुयना । दूर करना । गायन करना। उ विश्राम में २२ मात्राएँ होती हैं और प्रत में एक सुरु होता है। जैसे,-बाजोगर ने देखते देखते रूमाल उॐा दिया। ६ चुरान।। हजम करना । जैसे,—-चोर ने यात्री की गठरी उड़ाई। १२ मात्राएँ इस हम से हो कि या तो मा त्रिन या फिर ७ दूर करना मिटाना। नष्ट करना । पारिज करना । जैसे, हो अथवा दो गिल के पी तीन दिन प्रयवा वन (क) गुरु ने लड़के का नाम रजिस्टर से उड़ा दिया । (ख) द्वि फल के पोछे दो नि है। जैसे----2मुकि चाहे राम वद्र उसने सव अक्षर उड़ा दिए । ८ पचं करना। बरपाद करना । बाजत पैजनिया | धाय मा। गोद नैति दरिय र्फी रनियो । जैसे—उसने अपना धन थोड़े ही दिनों में उड़ा दिया । है. तुलसी (शब्द॰) । खाने पीने की चीज को खूब खाना पीना । चट करना । जैसे, उडियनrt---सज्ञा औ• [fइ० उद्ध + इपनी (प्रत्य॰)] उडान । –ोग शराब कवाव उड़ा रहे हैं । १० किसी भोग्य वस्तु को कल्पना | विचार । उ०-17 मुभा यापर याई, मीरे मन भोगना । जैसे,—स्त्रीसभोग करना । ११ अमोद प्रमोद की। उडियनी माई -गोर, पृ० १०४। वस्त का व्यवहार करना । जैसे,—लोग वहीं ताश या पातरज उडिल----सा पु० से ० कर्ण + इलु (प्रत्य॰)] वह भेउ विका उद्धात है । (ख) डी देर रह उसने तान उडाई । १२ हाथ वान मूडा न गया है। भूडिन उ १८।। मा हलके हथियार से प्रहार करना ! लगाना । मारना । जैसे- चपत उडाना 1 वेंत उङ्गाना, जूते उड़ाना, डडे उडाना इत्यादि। उडी--सजा ० [हिं० उड़ से ] १ मापन की एक प्रकार की १३ मुलावा देना । वात काटना ! वाव टालना। प्रसंग फरारत जिससे शरीर में फुरती माती है । इमके तीन भेद हैं- बदलना । जैसे,—हमें वावो ही में मत उडोि , ला कुछ दो। सशस्त्र, सूचक और साधारण । २ क य | कायाजी । उडकना-क्रि० स० [स० उद्योक्षण] बाट जोहुना। राह देना। (च) हम उसी के मुंह से कहलाना चाहते थे, पर उसने वात उड़ा दी । ११ झूठ मूठ दोप लगाना । झूठी अपकीति फैलाना । प्रतीक्षा करना । उ०—-( क ) प्रमी । थारी वीट उक जैसे,—-व्यर्थ क्यों किसी को उड़ाते हो। १५. किसी विद्या याँ बिन विरहा अधिक नावे !--धननद, पृ॰ ३३४ । (च) या कला कौपाल को इस प्रकार चुपचाप सोख लेना कि उसके रही उडी द्वार पर मै हूँ प्रत घे। जीरन की, पूर्ण करो है। अाचार्य या धारणकर्ता को खवर न हो । जैसे,—जय कि उसने नाथ ! शेप है एक साध दर्शन की ।---पथिक, पृ० ५२। तुम्हें सिखाने से इनकार किया है उसने यह विद्या के उडीशुसंज्ञा पुं॰ [ देश ] एक प्रकार की देवर जिसचे बोझ चश्तेि उड़ाई । १६ दीडना । वेग से भगाना । जैसे,—उसने अपना | हैं और झूले का पुल और टोकरा बनाते हैं। हे प्रारं भूल का पुन मार दें। घोडी उडाया और चलता हुआ। उड़ीसा--सज्ञा पुं॰ [ सु० मोड़+देदा ] भारतवर्ष का एक समुद्रतटस्प उड़ाना-क्रि० स० [हिं० उढ़ाना] दे० 'अोढाना] । उ०-कई दिन प्रदेश जो छोटा नागपुर के दक्षिण १४ा है। उकल प्रदेन । | सर पर छतर उड़ावे । दक्खिनी॰, पृ० ६४ | उडु बर–सुज्ञा पुं॰ [ से० ] ५० ‘उद्धर' । उडायक--वि० संज्ञा पुं० [ स उड्डयक ] ६० 'उहाइक' । उडु-संज्ञा पुं० [ से० ] १. नक्षत्र । तरि । उडाल—संज्ञा पुं० [ १० ] १ कचनार की छाल । २ कचनार की यो०---उडपति । उडुराज ।। छल की बटी हुई रस्सी जिसमें पंजाब में छप्पर छाते हैं । ३ पक्ष । चिहिय । ३ केवट । मल्लाह J१ पानी । जल । उडावनी---सुज्ञा झी० [हिं० उडाना ] मीमाई । साने का कार्य । उडुप'-सुज्ञा पुं० [सं० [१ चंद्रमा । उ०--फन स्वेद भयो सु बिराजते उडीस--सज्ञा स्त्री॰ [ स उद्वाह ! रहने का स्थान । वासस्थान । यौं उडुगी न में तीरनि सग भयौं ।-घनानंद, पृ० १४४ । ३. महल । ४०---(क) सात खंड धौराहुर तासू । सो रानी कई नाव । ३ पड़नई या पड़ई। ४ fभाव । ५ बडा गरु। दोन्ह उडासे ।----जायसी (शब्द॰) । (ख) और नखत वहि के ६ चर्म से हा हु प्रा एक प्रकार का पानपात्र (को०)। चहूपासा। सब रनिन की अहं उड़ासा ।-जायसी (शब्द०)। उडुप-सज्ञा पुं० [ हि० उड़ना ] एक प्रकार का नृत्य । उ०— उडासना-क्रि० प्र० [सं० उल्लासन] १ विछौने को समेटना । बिस्तर वहु वर्ण विविधि पालाप काति। मुखचालि चा अरु शब्द- उठाना । जैम,–विस्तर उडम दो। ७२ किसी चीज को चालि । बहू उडुप, वियगति, पति, अडाल । अरु लाग, घाउ तहस नहस करना । उजाड II ।उ०--भने रघुराज राज सिंहन । रापउराँगाले ।-केशव (शब्द॰) । की बासिनी है प्रारमिनी अधिन की यमपुर की उड़ा सिनी-- उडुपति-सज्ञा पुं० [सं०] १. चद्रमा । १ सोमलता। रघुराज (शब्द॰) । ३ किसी के वैठने या सोने में विघ्न उडुपथ-सज्ञा पुं० [सं०] आकाश । डालना । किसी को स्थान से हटाना । जैसे,—चिडियो ने यहाँ उडुराज-सज्ञा पुं० [सं०] चद्रमा ३०-ताही छिन उडुराज उदित रस- बसेरा लिया है, उन्हें मत उडासो।। रास सहायक नद० ५ ०, पृ० ५।