पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४२८

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foते fठनाती | त्ति - क्रि० वि ० [हिं० कित] ६० 'ति' । उ०---मुहमद चारिज किन-ग० [हिं०] 'कम, T। बहुवन । ३०----ग्रक्रूर कहावत' मत मिल, नए जो एकै चित्त । एहि जग साय जो निवा, क्रमति बात मारत पनि साधु अति । किन नाम कीन्ह नुव दान ओहि जग बिछुरन कित्त ।--जायसी ग्र०, पृ० ६ । पति है नितही नादान पति ।--गोपाल (टद॰) । कित्ता--वि० [हिं० कितना का संक्षिप्त रूप] दे० कितना' । । किन कि० वि० [सं० फिम्+न] क्यों न । उ०—(क) दिनु कित्ति - सज्ञा स्त्री० दे० [सं० फीति] ‘कीति' । उ-किशि लद्ध सूर हरि भनित मुक्ति नहि होई । कोहि उपाय करा किन कोई ।- सुगम, धम्म परे अणु हिप, विप काम नह दीन जपई । सूर (शब्द०)। (ख) विगी वात वने नही लव को किन ---कीनि०, पृ० छ । (ख) सत्ता को सपूत भावसिंह भूमिपाल कोय। रहिमन गिरे दूध की मथ न माखन होय !-रहीम जाकी कित्ति जौन्ह 'त जगत चि चाव वै ।--मजि० ग्र०, (शब्द०)। १० ३६६ । किन --सा पुं० [सं० किया किसी वस्तु के लगने चुने वा रगड यौ-किपिल =: यश की रद करनेवाला 1 किरिवल्लि पहुंचने का चिह्ने । दाग। घटठल । उ०—ध्वज कुसि अकुश । = कौतिवल्ली । पति रूपी लता ।—तिहुअन खेतहि कनयुत बन फिरत कटक किन लहै ।—तुलसी (शब्द॰) । काबि तस, कित्तिवलिनी पसरेइ ।--कीर्तिः पृ० ४। किनकी-सज्ञा पुं॰ [सं० फणिका) [स्त्री० अल्पा० किनकी १ कित्तिम -वि० [सं० कृत्रिम, प्रा किंतिम] कृत्रिम् । उ०—काजरे छोटा दाना । अन्न का टूटा हुमा दाना । २ चावन अादि * ; चाई कलङ । लज्ज कित्तिम रुपट तान्न |-कीति०, पृ०३४ ।। दान का महीन कडा जो फुटने से गलत हो जाता है । युद्द । कित्तौ–वि० [हिं० कितो] दे० 'कितना' । उ० --किनौ गढ़ रण उ०—जो कोई होइ सत्य का किनका वोहम को पति माई - घम राव जिस पंह गए ।–दुम्भी र०, पु० ५६ ।। कबीर वाण, भा० ३ १० । कित्तौक–वि० [हिं० फितौ+ फ] दे० 'कितेक', 'किक' । उ०-- किननोट -सज्ञा पुं० [अनु०] fन्नाट । मावाज। 10वषु ।। सुमु द किती गरुमत अप्प भुज जोर हिलोरिय । किक सर्वन नपत पुरिय किनन किन नाट कुर गिय । गगन गगन तो रग मेरु गिरि कमठ होइ पिट्ठह वेलिप ।-पू००, ११७८० । छन छविय उर गिय [--१० रा०, १०।६३ । । कित्य- वि० [हिं०] कही। किस स्थान पर। उ०—इत्या किनमिन-सञ्ज्ञा स्त्री॰ [देश[ १. धीमा, अव्य रत शब्द । अनुष्वनि । उत्था जित्या किया, हे जीवा तो नाल वे । मीया भेडा अव २ आनाकानी । ननुनचे। उ०-दीवारों से लगे खड़े होंगे असाडे, ते लाल सिर लालवे ।--दादू०, १० ५१३ । चुप छान और छप्पर । झरती होगी खामोशी से यौलात भी | क्रिय(५)–सच्चा सौ० [सं० कोवि या कृत्य] कीति । यो । उ०—पट्टी किन मिन कर।-मिट्टी०, पृ० ६४। सहसे अरि पर्वंग कवी चदह कह कियो ।—१० शु० ४१८ ! क्रि० प्र०—करना । किथ –क्रि० वि० [हिं० तु १० १० कित्ये] १ कैसे । क्यो। किसी किनर -सी धी० [हिं० फिरिरी] दे० 'कगिरी । उ०—मुरली वेनु । प्रकार । २ कही। उ०--है अनि वारीकु पोजु नहि दरसे किनर एह वाजे गोपिन्ह रग मनाया --सं० दरिया, पृ० १०३ । नदरि किथौं ।—सुदर० प्र०, भी० १ पृ० २७६ । किनर मिनर--सा स्त्री॰ [देश०] बहाना । अाना कानी । किदारा–सच्चा पुं० [हिं० केदारा दे० 'केदारा' । किनरिया--सा जी० [हिं०] दे॰ 'किनारी' उ0-केची अटरिया किधन--कि० वि० [देश॰, तुल० हि० किघर] तरफे। उ०—लु जरद किनरिया, लगी नाम की डोरी ।-कवीर शे०, पृ० ५५। लाजती आई मैना किंधन, कही यू' जो ऐ तु है शोरी जव । किनवानी-संज्ञा स्त्री॰ [देश०] छोटो छोटी बुदो की वर्षा । । -दक्खिनी॰, पृ० ८४ । फुहार । झड़ी। किधर-क्रि० वि० [हिं०] किस ओर। विस तरफ । जैसे,—तुम अाज किना–वि० [सं० किर्ण (घुन या कीड़ा), हि० नि (प्रत्य०) ] किधर गए थे। (फल) जिसमें कीड़े पड़े हो । a_किघर छाया किधर गुमा=किसी के आने जाने की कुछ किनf/ -यव्य) [देशol या । अथवा । उ०—कहि सूवा झिम भी खबर नही । जैसे- हम तो चारपाई पर बेसुध पड़े थे, भावियउ, बिहीक कारण ३५ । तू मालवणी गेल्हियउ किन? जानते ही नही कौन किधर माया गया। किधर फा | अम्हणई मुथ्थ । ढोला--- दू० ४०१ । चांव निकला ? = यह कैसी अनहोनी वति हुई 'यह कैसी लि कधी किना--सदा पुं० [सं० कण, हि० फन] दे० 'कुन', कण । उ०—- . बात हुई जिसकी कोई अशा न थी। विशेष---जय किसी से कोई ऐसी बात बन पड़ती है जिसकी उससे यह मन चंचल चोर अन्याई भक्ति न मावत ए किना -- अशा नही थी, या कोई मित्र अचानक लिये जाता है, तब इस गुलाल० पू० १२६ । वाक्य का प्रयोग होता है। किनाअत--सम्रा पुं० [अ० कनसत] सतोष । उ०-६ किनाते घिर जाऊ, क्या फ” = कौन सा उपाय करू ? कोई उपाय नहीं। सुख घना अनिद अशाधा -१२०' बानी, पृ० ११२ ।। | सूझता । | किनात –समा पुं० [अ० फायत] सूतोष । वासवा का याग ।उ०= किधी---अम्प० [हिं॰] अथवा । वा । या खो। न जाने । उ०— काका जिकर हिनावे दे तीनो बावे जमीर !-- प० पू० १४। अव है यह पण कुटी किंधौ भोर यह वक्ष्मण होय किनाती--सा अ० [देश॰] पल चिड़िा । नवी १ven-घर (अम्द)। श्रेिष—इ वाजो के खि/ हवी है पो की बोचरी ।