पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४२२

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कास कास्ट । 3 ।। यक दम न । रूख तरे, पर सुदरदास सहै दुख भरी। डासन छा िके सन कपाल । खोपड़ी फासलेस =(१) प्याला चाटनेवाला । ऊपर, ग्रासन मारि १ श्रास ने मारी ।—स दर ग्र०, भा॰ २, । (२) लतिची । लोभी । (३) चाटफार । खुशामदी । पृ० १२३ । फासार–सा पुं० [सं०] १ छौटा तलाव । ताल । पोखरा । चु०- कास–सद्या स्त्री॰ [देश०] कौडी। उ०—जला इश्क यी यात मे लबि कपास फो नासरी विलधि न धर हृदि धार । विसनी मालो धन का । रखी कासे ना पास हुरगिज कफन के ! मज पलाम हैं सवि सूखे सार - प्रक, पु० ३७४। दक्खिनी॰, पृ० २५७ । २ २० रगण का एक दंडक वृत्त । ३ एक प्रकार की कासहृत्-वि० [सं०] खांसी दूर करनेवाला । पकवान ! ४ झीर । हद । (को०)। कासकद-मज्ञा पुं॰ [स० कासकन्द] कसेरू कासालु-सा पुं० [३०] एक प्रकार का फदे या प्रानू। कासकु ३१-वि० [स० कासकुण्ठ) खाँसी का रोगी (को०) कासिका'–स फी० [मु० फाशिफा ६० 'काशिका' । उ०—-परम कासकु ठ-सज्ञा पुं० यम । यमराज (को०] । रम्प सुखरानि कासिका पुरी सुहावनि 1--रत्नाकर भा० १ कासघ्र-वि० [स ० सी का निवारक । खीमी दूर करनेवाला [को०] कासघ्र-सञ्ज्ञा पुं॰ वहेडा ) ।। | कासिक -सा त्री० [सुं०] मुरी (ले०] । कासनी-सज्ञा दी० [फा०] १ पौधा जो हाथ में हाय ऊँचा होता कासिद'–समा पुं० [अ० फसिद} सदेमा ३ जानेवाला । हुरका । | है और देखने में बहुन हरा भरा जान पडar है । । दूत । पयवाहक । उ०—-य अश्फ प्रयो कासिद झिन वरह विशेष-इसवी पनियाँ पानकी की छोटी पत्तियों की तरह होती |यक दम नही थम 1 दिले वैताव को शायद लिये मकतूर्व हैं, डऊलो में तीन तीन चार चार अगुल पर गएँ होती हैं, जाता है ।कविता कौ०, भा० ४, पृ० २१ । ६ जिसमे नीले फूलों के गुच्छे लगते हैं। फूलों के झड़ जाने पर कासिद-वि० इच्छा या ममिलाषा रजनेचान ।।। उनके नीचे मटमैने रग के छोटे छोटे वीज पड़ते हैं। इस पौधे कासिप -सा पुं० [सं० कश्यप दे० 'करमप' । उ०—-मन तेल की जड़, इठल और धीज सव दवा के फार्म में प्राते हैं । हकीमो थियौ मारीच मुनि उणयो कसिप ऊनौ । धर नूर प्रकासी के मुत मे कासनी का वीज द्रावक शीतल और भेदक है तथा प्रीत घर मुर ते घर से एनौ ।--० १२, पृ० ७ ।। उसकी जड गर्म, ज्वरनाशक और बलवर्धक है । डाक्टरों के कासी -संज्ञा स्वी० [सं० फाशी दे० 'फाशी' । उ०महामेष जोई अनुसार इसका वीज रज स्रावक, बलकारक और पतन तथा जपत गहेन । फासी मुरुति हेतु उपदेसू !-मानस १। १६ । इस का चूर्ण ज्वरनाशक है। शासन यगीचो में बोई जाती है। कासी-वि० [५० घसि, राज फासा, वाता] अधिक । वास । हिंदुस्तान में अच्छी का बनी पजाव के उत्तरी भागों में तथा ३०-सीगण कोइ न सिरजिया प्रीतम हाय करत । कोदो कश्मीर में होती है । प्र यूरोप और साइवेरिया आदि की सात मूठ माँ को कासी सत ।-डीला०, दु० ४१६ ।। कासनी पध के लिये बहुत उत्तम समझी जाती है। यूरोप में कासी-वि० [सं० फासिन्] कास या घोसी के रोग से पीडित [२] लोग कासनी का साग जाते हैं और उसको जड़ को कहवे के कासीनाथ -सज्ञा पुं० [सं० फाशीनाथ काशीनाथ । विश्वनाथ। साथ मिलाकर पीते हैं । जहू से कही कही एक प्रकार की तेज महादेव । ३०-फासीनाय विसेस्चर देता, तुम सब जा के शराव भी निकालते हैं । विधाता |--घनानंद, पृ० ५८१ । २ कासनी बा वीज । ३. एक प्रकार का नीला रंग जो कासनी कासास -सा पुं० [म० काशीबास] काजीपुरी में निवास । के फूल के रग के समान होता है। काशी में रहना । उ०—-राम से काशीबात करो।--रगभूमि, विशेष-सह रग चढ़ाने के लिये कपडे को पहले शराब में फिर भा॰ २, पृ॰ ४६४।। नील में और फिर खटाई में डूवाते हैं । मुहा०----कासीबाप्त हो जाना या होना = (१) काशी में रहते हुए ४ नीले रंग का कबूतर ।। मृत्यु प्राप्त करना। काशी में मरना । गगालाभ होना । कासमर्द–सच्चा पुं० [स०] कसौंदा । (२) मौत होना । स्वर्गवास होना। कासीस--सुझा पुं० [सं०] हीरा फसस [को०] । कासर-सज्ञा पुं० [सं०] [स्त्री० फासरी] 'भसा ३ महिए। कासुदा-सा पुं० [सं० कासमदं, प्रा फासमद्द [ली• कासुद] पुं० कासर--सच्चा स्त्री॰ [देश॰] वह काली भेड जिसके पेट के रोएँ । 'कसौदी । लाल रंग के होते हों ।। कासा-सच्चा स्क्री० [सं०] १ खाँसी । २ छींक [को॰] । काकृति--सझा स्त्री० सं०] १ पगडंडी । २.पतला रास्ता (गृह्यसूत्र)। २. गुप्न मागं (को॰) । कासा-सच्चा पुं० [फा० फासहू] १ प्याला । कटोरा । उ०—हाथ कासेय्यक--वि० [सं० काशिक पयवा काशेय] काशी में बना हुमा मे लिया कासा, तवे भीख का क्या साँसो ?—(शब्द०)।२। । (रेशमी वस्त्र) । उ०--कापणी का चदन और काशी के सूक्ष्म अाहार । 'भोजन । उ०—-कासा दीजिए वासा न दीजिए । २. का सेरमक वस्त्र --हिदु० सम्यता, पृ० २३८ । दरियाई नारियल का वह भिक्षापात्र जो प्राय मसलमान कास्केट--सच्चा पुं० [अ० फस्फेट पेदी । सुदूकडी । डिम्बा । जैसे,-- दरियाई नारियल का वृह भिक्षापात्र जो प्राय मुसलमान अभिनवनपत्र चाँदी के एक सुंदर कास्केट में रखकर उनके यौ०–कासाए गवाई = भीख मांगने का पाश् । कासासर= अर्पण किया गया ।