पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४२

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एड्न ५५६ रण जो तरी तश्तरी विशेष-रह उडता ह उड़न-सज्ञा स्त्री० [हिं० उडना 1 उडने की क्रिया 1 उडान । यौ०—उड़नखटोला । उडन्छ । उनी । उड़नखटोला--संज्ञा पुं० [हिं० उडन +खटोला] उडनेवाला खटोला । विमान ।। उड़नगोला-संज्ञा पुं० [हिं० उडन्+गोला 1 व दूक की गोली जो विना निशाना ताके चलाई जाय । उडनघाई----सज्ञा स्त्री॰ [ हि उड़ना+हि० घाई = घात] धोखा । जुल चालाकी । चकमा । उ०-~-मगर जिस हो को साफ साफ अपनी आँखो देखा, उसमे तुम क्या उडनघाइयों वताओगे । सेर कु०, पृ० २० । विशेप--यह शब्द जुरियो का है, वि० दे० 'उडानधाई । उडनछु–वि० [हिं० उडना ] चपत । गायव । क्रि० प्र०—होना । उडनझाँई-सज्ञा स्त्री० [हिं० उडन +झाँई ] चकमा। वुत्ता । बहाली। क्रि० प्र०—बतानी । उड़नतश्तरो-संज्ञा स्त्री० [हिं० उड़न+तश्तरी] तश्तरी के तरीके का ज्योतिर्मय यात्रिक उपकरण जो कभी कभी आकाश में यान की तरह उड़ता हुआ दिखाई देता है ।। विशेष—ऐसा कहा जाता है कि ये वैज्ञानिक उपकरण अन्य ग्रहवासियो के हैं, जिसमे वैठकर वे पृथ्वी की ग्रोर आते हैं। और फिर अपने ग्रहो को चले जाते हैं । उडनफल-संज्ञा पुं० [हिं० उड्न +फल } वह फल जिसके खाने से । उहने की शक्ति उत्पन्न हो । • उडनफाखता-वि० [हिं० उड़न + फा० फाखतह] सीघ सादा। मूखं । उड़ना-क्रि० अ० [सं० उड्डीयन ! १ चिडियों का प्रकाश या हवा में होकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना । जैसे--- चिहियो उहती हैं। उ०-सुआ जो उतर देत रह पूछा। उडिगा पिजर न वोले छूछा ।—जायसी ( शब्द० ) १ आकाश- मागे से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना । इवा मे होकर जाना । निराधार हवा में ऊपर फिरना । जैसे,—गर्दै उहना, पत्ती उड़ना। उ०—अधकूप भी अबइ उडत अाब तस थार। ताल तालाब को पोखरा धूरि भरी ज्योनार ।—जायसी ( शब्द०)। ३ हवा में ऊपर उठना । जैसे—गुड्डी उड़ रही है । उ०---लहर झकोर उडहि जल भीजा तौहू रूप रग नहि छीजा । जायसी ( शब्द० }। हुवा में फैलना। जैसे-- छोटा चडना, सुगध उडना, खवर उखना । ५ वायु से चीजो का इधर उधर हो जाना । छितराना । फैलना । जैसे,- एक ऐसा झोंका अाया कि सब कागज कमरे भर में उड गए । ६ किसी ऐसी वस्तु का हुवा में इधर उधर हिलना जिसका कोई भाग किसी आधार से लगा हो । फहराना। फरफराना । जैसे-पताका उड़ रही है । ७ वेज चलना । वेग से चलना । भगिना । जैसे—(क) चलो उडो, अब देर मत करो। ( ख ) घोडा सवार को लेकर उ ।। ३०--कोई वोहित जग पवन अडाही । कोई चमकि बीच पर जाही ।—जयिसी (शब्द०)। ६. झटके के साथ अलग होना । कटना । गिरकर दूर जा पड़ना । जैसे,—(क) एक हाथ मे बकरे का सिर उड गया। (ख) सँभालकर चाक पकडो नहीं तो उँगली उड़ जायगी। ३०-~-फूटा कोट फूट जनु सीसा ) उड़हि बुर्ज जाहि सत्र पीसा ।—जायसी ( शब्द०) ६ पृयक् होना । उधडना। छितराना । जैसे—किताब को जिल्द उॐ गई । उ०-वहिके गुण सँवरत भइ माला । अवहून बहुरा उडिगा छाला -- जायसी (शब्द०) १०. जाता रहना । गायन होना 1 लापता होना । दूर होना। मिटना । नष्ट होना। उ०—(क) घर बद का वद और सारा माल उड गयो । ( ख ) अभी तो वह स्त्री यही वैठी थी, कहाँ जड गई। (ग) देखते देखते दर्द उड गया । (घ) इस पुरानी पुस्तक के अक्षर उड गए हैं, पढ़े नहीं जाते । (ङ) रजिस्टर से लडके का नाम उड गया । १ ।। खाने पीने की चीज का खर्च होना । अनदे के साथ वाया पीया जाना । जैसे,—कल तो खुब मिठाई उडी । १२ किमी योग्य वस्तु का मोगा जाना । जैसे, स्त्री म भौग होना । १३ आमोद प्रमोद की वस्तु का व्यवहार होना । जैसे—(क) वहाँ तो ताश उड़ रहा है । (ख) यहाँ दिन रात तान उड़ा करती है। १४, रग आदि का फीका पड़ना। धीमा पड़ना । जैसे--(क) इस कपड़े का रंग उड गया। (ख) इस वरतन की कलई उड़ गई । १४ किसी पर मार पडे । लगना । जैसे—उसपर स्कूल में खुव वेंत उडे । १६ वातों में वहलाना । भुलावा देना । चकमा देना। घोखा देना । जैसे-- भाइ उडते क्यों हो, साफ साफ बवाग्रो। १७ घोडे का चौफाल कूदना । घोडे का चारो पैर उठाकर एक स्थान से दूसरे स्थान पर वही शान से रखना 1 जुमन । १६ फल ग मारना । फलागना। कूदना । ( कुश्ती )। उडना- क्रि० स० फर्ला ग मारकर किसी वस्तु को लाँघना । कूदकर पार करना । जैसे--(क) वह घोडा खाई उडता है । (ख) अच्छे सिखाए हुए घोडे सात सात टट्टियाँ उडते हैं । (ग) वह घोडा वात की बात में खदक उड़ गया। मुहा०—उछ अाना-( १ ) किसी स्थान से वेग से अाना । झटपट आना। माग ग्राना। जैसे—-इतने जल्द तुम वहाँ से उड अाए। उ०—बहुत व्यास करू शकुर काहीं ! उडि अइहै ठाकुर व्रज माँही ।—रघुराज ( शब्द०)। (२) इतनी जल्दी ग्राना कि किसी को खबर न हो। चुपके से भाग आना। उ०—(क) करी खेचरी सिद्ध जनु उडि सी आई ग्वारि । वाहिर जनु मदमा विधु दियो अमी सव डारि ।-व्यास ( शब्द०)। उड़े चलना—( १) तेज दौड़ना । सरपट भागना । (२) शोभित होना। 'मला लगना । अच्छा लगना । फवना । जैसे,——ोपी देने से वह उड़ चलता है । ( ३ ) मजेदार होना । स्वादिष्ट बनना । जैसे—-1रकारी मसाले से उड चलती है । (४) कुमार्ग स्वीकार करना। वदहि वनना। जैसे,---प्रव तो वह भी उडे चला। (५) इतराना । मर्यादा को छोड़ चलना । वढ़ कर चलना । घमंड करना । जैसे,--नीच आदमी थोडे ही में उड़ चुलते हैं। उडता होना या बनना= भाग जाना। चलता होना। चल देना। जैसे-वह सारा माल लेकर उडता हुमा। उड़ती खबर= वह् खबर जिसकी सचाई का निश्चय नहो । बाजारू खवर। किंवदती । उड़ती चिड़िया पहन स्थान से दूसरे स्थ । जमना ग। कूदना