पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४०७

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- इनके १२३ काय? - कापसमा पुं० १ अाकर्पण । २ कृषि कर्म [को॰] । महा-काल काटना=नमय विताना । कालक्षेप करना= समये ५ कापिक -- संज्ञा पुं॰ [सं०] दे० 'कर्पापण' (को०] । काटना । दिन विताना । काल पाकर =(१) कुछ दिनों के कावण-संज्ञा पुं० [सं०] चरवाहा (को०] । पीछे । कुछ काल बीतने पर । जैसे,—काल पाकर उसका रम काष्र्ण–वि० [सं०] [वि०बी० काष्णीं] १. कृष्ण सुवधी । २. कृष्ण बदल जायगा । (२) मरकर । मरने के बाद । उ०---काल द्वैपायन सवधी । ३ कृष्ण मृग सवधी । पाई मुनि सुनु सोइराजा । भएउ निसाचर सहित समाजा। कृष्णान- सज्ञा पुं० [सं०] १. व्यासवदीय ब्राह्मण १२ वसिष्ठ —मानस, १1१७६ ! | गोत्र का ब्राह्मण ।। ३ अतिम काल' । नाश को समय । अत । मृत्यु । काष्णि-संवा पुं० [सं०] १. कृष्ण के पुत्र, प्रद्युम्न । २. कामदेव । क्रि० प्र०---माना। | ३ कृष्ण द्वैायन व्यास के पुत्र, शुकदेव । ४. एक गंधर्व ३ यमराज । यमदूत । उ०—प्र प्रताप ते काहि खाई ।-- का नाम । तुलसी (शब्द०) 1४ नियत ऋतु । नियत समय । जैसे,—ये काष्र्णी-सच्चा स्त्री॰ [स०] सतावर ।। पेड अपने काल पर फुलेंगे । ४ उपयुक्त समय । अवसर। काष्ण्यं संज्ञा पुं० [सं०] कृष्णता । कालान । मौका । ६ अकाल । महँगी ! दुर्भिक्ष । कहत । कालंकृत-संज्ञा पुं० [सं० कालडूत] १ के.समर्द । वडा का पेड़ जिसकी क्रि०प्र०—पड़ना । | छाल के सेवन से खसी का रोग दूर हो जाता है । २ खाँसी ७ ज्योतिप के अनुसार एक योग जो दिन के अनुसार घूमता की एक तरल दवा को । है और यात्री में अशुभ माना जाता है। ८ कमजः । ६. कालकनी--संज्ञा स्त्री० [सं० कालकर्णी अलक्ष्मी] पराजय । हार। काला साँप । १०.लोहा । ११ शनि । १२ [स्त्री॰ काली] अभाग्य । उ०--अवतार लियौ प्रिथिराज पहु ता दिन दान अनत शिव का नाम । महाकाल । १३ काला या गहरा नीला रग दिय । कनवज्जुदेस गज्जन पदन । किलकिलत कालैकनिय । (को०)। १४ प्रारब्ध (को०) । १५ अाँख का काला हिस्सा पृ० रा०, १६८८ । (को०) । १६ को यल (को०)। १७, एक सुगंधयुक्त पदार्थ । कालजर--सूझा पुं० [सं० कालञ्जर] १ दे० 'कालिजर' । २ एक अगुरु (को०)। १= क नवार । मद्यविक्रेता (को०) '१६. पहाड जिसकी स्थिति कालिजर के पास है (को०)। ३ धावक मौसम । ऋतु (को०) ! २० भाग्य। नियति (को०) । २१ ।। -भिक्षु को का समूह या सभा (को०)। ४ शिव (को०)।

  1. T । विभाग (को०)। २२. शिव का एक शबू (को०) । २३. कालजरा, कालजरी--सा जी० [सं० कालरा, कालजरी] दुर्गा । 'म' अक्षर की गुह्य संज्ञा (को॰) । , पार्वती [को॰] ।

काल-वि० कानी। कानै रग की। काल-संज्ञा पुं० [सं०] १ समय । वक्त । वह संबंधमत्ता जिसके | यौ०--कालकोठरी ।। काल(३____कि वि० [. द्वारा भूत, भविष्य, वर्तमान अादि की प्रतीति होती है और एक घटना दुसरी से आगे, पीछे आदि समझी जाती है । कालकजसा पु० [सु० कालक] १ दैत्य । उ० -दैत्य काय विशेप---वैशेपिक में काल एक नित्य द्रव्य माना गया है और कालकेय तथा कालकंज कहे गए हैं ।—प्रा० भ० ए० -पृ० 'गे', पीछे', 'साथ', 'धीरे', 'जल्दी' आदी उसके लिंग बतलाए ८६ । २ नील कमल (को॰) । गए हैं । सुब्यो, परिमाण, पृथक्त्व, सयोग और विभाग उसके कालकंटक–सझा न० कातकण्टक! शिव 1 महादेव ।। गुण कहे गए हैं। 'पर', 'अपर' अादि प्रत्ययों का भान सर्वत्र कालकठ-सज्ञा पुं० [सं० कालदण्ड] १ शिव । महादेव। २. मोर। सेव प्राणियों में समान होता है, और इस परत्व, अपरत्व की " मयूर । नीलकंठ पक्षी । ४. गौरा पक्षी । ५ खजन । उत्पत्ति में असमवायि कारण से काल का संयोग होता है । खिड़रिने । इससे काल सुधका कारण तथा व्यापक सौर एक माना गया कालकंठक-सा पुं० । सु० फालेकण्ठक] १ वनकौग्रा । २ Tोध । है। उसकी अनेकता की प्रतीति केवल' उपाधि से होती है । ३ चील । ४. सुग्गा [कौ । कोई कोई नैयायिक काल के 'खडकील' और 'महाकाल' दो कालकठी-संज्ञा स्त्री० [सं० फालकण्ठ] पार्वती । उमर [ो०] । भेद करते हैं। पदार्थों (अहो आदि) की गति आदि से क्षण कालकंडक--सा पुं० [स० कालकण्डेक] पानी की सप । डैडहवा [को०] । दड, मास, वर्षे अादि का जिसमें व्यवहार होता है, वह खडकाल का चुकदक -- सज्ञा पुं० [सं० कालफ़न्दक] पानी का साँप । डैडहवा । है। और उसी का दूसरा नमि कालोपाधि हैं। जैन शास्त्रकार कालकघ सझा पु० [सं० कालफन्ध] तमाल वृक्ष । काल को एक अरूपी द्रव्य मानते हैं और उसकी उत्सपिणी और अवसुपिणी दो गतियाँ कहते हैं । पाश्चात्य दार्शनिको में कालक–सा पुं० [सं०] १. तैतीस प्रकार के केतुप्रो में से एक केतु लेवनीज काल को संवंधो की अव्यक्त भावना कहता है । काट का नाम । २ अखि की पुती । ३ वीजगणित में द्वितीय का मत है कि काल कोई स्वतंत्र वाह्य पदार्थ नहीं है, वह अव्यक्त राशि ।४ अजगर्द नमक पानी का साँन । ५ एक चित्तप्रयुक्त अवस्था है जो चित्त के अधीन है, वस्तु के अधीन देशविप ।। नहीं। देश और कालु वास्तव में मानसिक अवस्याएँ हैं जिनसे विशेप-यह महामाप्यकार पतंजलि के समय में आयवर्तक सबद्ध सव कुछ देख पढता है । = एवं सोमा माना जाता था।