पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४०६

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कार्यगौरव ૨૨૨ कापि कार्यगौरव- सज्ञा पुं० [सं०] १ काम का महत्व या वैशिष्टय । २. कारण या व्यवधान के दूर करने के प्रयत्न को कारणत्व कार्य की पूर्ति के प्रति प्रदिर [को॰] । नही होता ।। कार्यचितक१- सवा पुं० [सं० कार्य चिन्तफ] १ पासक । २ स्थानीय कार्याकार्य—सपा पुं० [सं०] करने योग्य और न करने योग्य काम । प्रबंध कर्ता (स्मृति०) । सत् अौर असत् कम् । कार्यचितक-वि० सावधान । अवहितचित्त । विचार कर काम । कार्याधिकारो-- सज्ञा पुं० [सं० कार्याधिकारिन] वह जिसके सुपुर्द करनेवाला [को॰] ।। किसी कार्य का प्रवध मादि हो। अफसर । कार्यच्युत-वि० [सं०] १ कार्य में चूका हुआ । २. कमि से निकला कार्याध्यक्ष--सज्ञा पुं० [सं०] अफसर । मुख्य कार्यकर्ता। हुआ [को०] ।। कार्यान्वय--सा पुं० [सं०] कार्य रूप में परिवर्तन ! कार्यजात-- संज्ञा पुं० [सं०]। दे० 'कार्यदर्शन' [को०] । कार्यान्वित--वि० [सं०] लागू । सायं रूप में परिन । प्रयुक्त। कार्यदर्शन-सा पु० [सं०] १ किमी के किए हुए काम को अलोचनार्थ उ०---इसलिये हमारा पहला लक्ष्य रचनात्मक जनतंत्र को देखना । काम की देखभाल । २ अपने काम की फिर से जांच । अपने देश में ही कार्यान्विन करना है ।-नया०, पृ० २६ । | ३ सार्वजनिक कार्य की जाँच (को॰) । कायभिमुख-वि० [सं०] काम को ओर मुड़ने वाली । काम का कार्यदर्शी--संज्ञा पुं० सं० फायदशन् ] काम को देखने भालनेवाला। प्रारंभ करने जानेवाला (को॰) । निरीक्षक । कायंभिमुखत्व--सज्ञा स्त्री० [सं०] कार्य की मोर उन्मुख होने का भाव। कार्यपचक--संज्ञा पुं० [सं० कार्यपञ्चक]ईवर के पांच विशेष काम, कार्याधं-- सझा पुं० [सं०] १ किसी कार्य का लक्ष्य या उद्देश्य । २ । अर्थात् अनुग्रह, तिरोभाव, अादान, स्थित और उद्भव । । काम पाने का आवेदन पत्र । ३ उद्देश्य ! अभिप्राय (को॰] । कार्यपदवी-सी स्त्री० [सं०]काम का ढ। कार्य की पद्धति [को०] । कार्यार्थी-वि० [सं० कार्यायिन) १ कार्य की सिद्धि चाहनेवाला । कार्यपद्धति-सच्चा स्त्री॰ [सं०] काम करने का ढग । | कोई गरज रखने वाला। काम चाहने वाला व्यक्ति (को०)। कार्यपूट--सुज्ञा पुं० [सं०] १ अडवड काम करनेवाला । उन्मत्त २ उन्म २ कायर्थीि-३-सुझा पुं० किसी मुकदमे की पैरवी करने वाला। का -२.स क्षपणक । वौद्ध क्षुिक । ३ काहिल । अलसी (को०)। कार्यालय-- सभा पुं० [सं०] वह स्थान जहाँ कोई कार्य होता हो । कार्य प्रद्वेष- सच्ची पुं० [सं०] १ कार्य से अरुचि । १ अालस्य ।। दफ्तर । कारखाना । शिथिलता [को०) । काय -- वि० [सं० कायिन् | १ परिश्रमी । कार्यशील । २ कार्य कार्यभ्र शकारी---वि० [सं० फार्यन्न शकारिन] काम बिगाड़नेवाला । | चाहनेवाला । ३ सोद्दश्य । ४ मुकदमेबाज [वै] । उ०-~-अत अर्थागम से हृष्ट 'स्वकार्य साधयेत्' के अनुवादी कार्यक्षण- सज्ञा पुं० [सं०] 1 काम की देखभान । दूसरों के द्वारा किए का . काशी के ज्योतिषी और कर्मकांडी, कानपुर के बनिये और | हुए काम का निरीक्षण (को०)। दलाल, कचहरियो के अमल मोर मुख्तार, ऐमो को कार्यभ्रंशः कार्रवाई- सच्चा स्त्री० [हिं० काररवाई] दे॰ 'काररवाई' । कारी मूखं, निरे नि ठल्ले या खब्त उल हुवास समझ सकते हैं। कार्ल माक्र्स--सज्ञा पुं० [जर्मन १६ वी पाती के महान राजनीति ---रस० पृ० २२ ।। शास्त्रप्रणता का नाम जिसने साम्यवाद के सिद्धांत को जन्म कार्यवस्तु--संज्ञा स्त्री॰ [सं०] १ उद्दश्य । २ विषय (को०)। दिया । कार्यवाही--सज्ञा स्त्री० [हिं० कायवाई] कारवाई । कार्यानव-वि० [सं०] अग्निमय । उष्ण (को॰] । कार्यं बाही--वि० [सं० कार्यवाहिन्] काम करने वाला। काश्य-स। पुं० [सं०] १ कृशता । दुबलापन । दुर्वलता २ साल कार्यशेष--संज्ञा पुं॰ [सं०] काम का वह भाग जो काम करने से बाकी का पेड । वडहर का पेड़ । ४ कचूर । | रह गया हो । बचा हुआ काम । कार्ष, कार्पक--सा पुं० [सं०] कृपिकर्म करनेवे ला। खेतिहर कृषक । कार्य सम–सच्चा पुं० [सं०] न्याय मे २४ जातियो मे से एक। किसान [ये । विशेष—इसमें प्रतिवादी वादी के इस कथन पर कि प्रयत्न से कषिपण, कापपिएक-सज्ञा पुं० [सं०] एक प्राचीन सिक्का । उत्पन्न कार्य अनित्य हैं, प्रमत्न द्वारा उत्पन्न कार्यों की अनेक विशेष—यह यदि तौबे का होता था तो अस्सी रत्ती का, यदि रूपता की दलील देता है जो वादी का पक्ष खडन करने सोने का होता था तो १६ माशे का और यदि चोदी का होता में असमर्थ होती है । जैसे नैयायिक कहता है कि प्रयत्न से था तो १६ पण या १२८० कौडियो का (किसी किसी के उत्पन्न कार्य होने के कारण शब्द अनित्य है । इसपर प्रतिवादी या मीमासक कहता है कि प्रयत्न से उत्पन्न कार्य कथनानुसार एक पण का या अस्सी कौडियो का ) होता था। अनेक प्रकार के होते हैं, जैसे कुम खोदने से जन निकलता कार्षापणिक-वि० सं० [वि० ओ० कोर्षापणि की] एक कपपण मूल्य है, तो क्या जल कूअ खोदने के पहले नहीं था ? इसी को कार्य सम या कार्य विशेष कहते हैं । इसपर वादी कहना है | का (को०] । कि व्यवधान के हटने से अभिव्यक्ति होती है, उत्पत्ति नहीं काष–वि० [सं०] १ अ क ण करने वाला । २ कृषि कर नेहोती, शब्द की उत्पत्ति होती है, अभिव्यक्ति नहीं । अनुपलब्धि वाला [को॰] ।