पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/४०

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उठाना उठल्लू ५५४ अक या चिह्न का स्पष्ट होना । उभड़ना । जैसे—-इस पृष्ठ के वार और दस बीम उल्लू के चूल्है, कोई खडा है, कोई वैठी अक्षर अच्छी तरह उठे नहीं हैं। ११ पाँस बनना। खमीर है ।--भारतेंदु ग्र०, मा० ३, पू० ८१४ । अना। सड़कर उफनाना । जैसे,—(क) ताडी घूप में रखने उठवाना--क्रि० स० [हिं० उठना फी प्रे० रूप ] उठाने के लिये किसी को तत्पर करना । से उठने लगती है। (ख) ईख का रस जब धूप खाकर उठता । उठवैया--वि० [हिं० प्रे० उठवा+ऐया (प्रत्य०)] १ उठवानेवाला। है तव छानकर सिरका बनाने के लिये रख लिया जाता है। २ उठानेवाचा । ३ उठनेवाला । १२ किसी दुकान या समा समाज का वद होना । किसी। उठाँगन--सच्चा पुं० [हिं० उठ+ ऋगिन 1 वडा अाँगन । लवी चौड़ा दुकान या कार्यालय के कार्य का समय पूरा होना । जैसे,— सहन । अगर लेना है तो जल्दी जाग्रो, नही तो दुकानें उठ जयगी । उठाईगीर, उठाईगीरा--वि० [हिं० उठाना+फा० गीर] 1 अख उ०—दसि तुलसी परत धरनि घर घकनि घुक हाटसी उठत बचाकर छोटी मोटी चीज को चुरा लेनेवाला । उचक्का । जवुकनि लुट्यो । तुलसी (शब्द॰) । १३ किसी दुकान या जैवकतरा । चाई। ३ बदमाश । लुच्चा। उ०-ऐमे उठाई- कारखाने का काम वद होउ । किसी कार्यालय का चलना व गीरो के मुह क्यों लगते हो । मान०, भा० १, पृ० ३१० । हो जाना। उ०--यहाँ बहुत से चीनी के कारखाने में, सब उठ उठान--सद्या स्त्री० [सं० उत्थान, उट्ठान प्रा० उठाण ]१ उठना । गए। १४ हटना। अलग होना । दूर होना। स्यान त्याग करना। उठने की क्रिया। २ ऊँचाई । ३ रोह। बाढ़ । बढ़ने का प्रस्यान करना । जैसे,—(क) यहाँ से उठो। (ख) वारात उठ ढंग । वृद्धिक्रम | जमै--इस लडके की उठान अच्छी है। चुकी । १५ वि सी प्रथा का दूर होना। किसी रीति का बद ३ गति की प्रारंभिक अवस्या। प्रारम । जैसे, इस ग्रंथ का होना । जैसे---सती होने की गति अव हिंदुस्तान से उठ गई । उठान तो अच्छा है। इसी तरह पूरा उतर जाय तो कहे । १६ खर्च होना । काम में लगना । जैम,—(क) अाज सवेरे से ३०--सरस सुमिलि चित तुरन की करि करि अमित उठान । इस समय तक १० रुपए उठ चुके । (ख) तुम्हारे यहाँ कितने गोइ निबाहें जीतिए प्रेम खेल चौगान ।—विहारी (शब्द०)। | का घी रोज उटता होगा । ४ खर्च । व्यय । खपत । जैसे--गल्ले को उठान यह बहुत सयो० क्रि०-जाना । नही होती है। ७ बिकना । माडे पर जाना । लगान पर जाना । जैसे,—(क) उठाना--क्रि० स० [ हि० उठना का सक० रूप ] १ नीची स्थिति --ऐसा सौदा दुकान पर क्यों रखते हो जो उठता नही । से ऊँची स्थिति में करना । जैसे, लेटे हुए प्राणी को वैठाना या (ख) उनको घर कितने महीने पर उठा है ? १८ याद माना। बैठे हुए प्राणी को खड़ा करना । किसी वस्तु को ऐसी स्थिति इयान पर चढ़ना । स्मरण माना । जैसे,—बह घनोक मुझे मे लाना जिसमे उसका विस्तार पहले की अपेक्षा अधिक उठता नहीं है । १९ किसी वस्तु का क्रमश जुड जुडकर पूरी ऊँचाई तक पहुचे । ऊँचा या खडा करना । जैसे--(क) दुहने ऊँचाई पर पहूचना । मकान या दीवार अदि को तैयार होना। के लिये---गाय को उठा। (ख) कुरसी गिर पड़ी है, उसे जैसे (क) तुम्हारा घर अभी उठी या नहीं। (ख) नदी के किनारे उठा दो । २ नीचे से ऊपर ले जाना । निम्न आघार से उच्च घाँध उठ जाय तो अच्छा है। उ०— उठा वाँध तस सर्व जग आधार पर पहुचना । ऊपर ले जाना । जैसे,—( क ) कलम बघा ।—जायसी (शब्द॰) । गिर पडी है, जरा उठा दो 1 (ख) वह पत्थर को उठाकर विशेप-इस अर्थ में उठना का प्रयोग उन्ही वस्तुप्रो के सवध ऊपर ले गया । ३ धारण करना। कुछ काल तक ऊार लिए में होता है जो वरावर इंटे मिट्टी आदि सामग्रियों को नीचे रहना। जैसे,—(क) उतना ही लादो जितना उठा सको। ऊपर रखते हुए कुछ ऊँचाई तक पहुंचाकर तैयार की जाती (ख) ये कडियां पत्र का वोझ नहीं उठा सकती । ४ स्थान हैं । जैसे—मकान, दीवार, बाँध, भीटा इत्यादि । त्याग करना । इटाना । दूर करना । जैसे,—(क) इसको यही २ गाय, मैस या घोडी श्रादि का मस्ताना या अलग पर ग्राना । से उठा दो । (ख) यहां से अपना डेरा डडा उठायो । ५ विशेष-उठना उन कई क्रियाप्रो में से है जो और क्रियाओं के जगाना । ६ निकालना । उत्पन्न करना । सहसा प्रारंभ पीछे सयोज्य क्रियाप्रो की तरह लगती हैं। यह अकर्मक क्रिया करना । एकबारगी शुरू करना। अचानक उमाडना । छेडना घातु के पीछे पाय लगता है। केवल कहना, बोलना आदि जैसे---वात उठाना, झगड़ा उठाना । उ०—–जय से हमने यह दो एक सकर्मक क्रियाएँ हैं जिनकी धातु के साथ भी यह देखा कीम उठाया है, तभी से विध्न हो रहे हैं । ७ तैयार करना । जाता है । जिस क्रिया के पो३ इमका सयोग होता है, उसमे उद्यत करना। सन्नद्ध करना । जैसे, इन्हे इस काम के लिये आकस्मिक का भाव आ जाता है। जैसे, रो उठना, चिल्ला उठाओ तो ठीक हो । ६ मकान या दीवार अादि तैयार उठना, बोन उठना । करना । जैसे, घर उठाना, दीवार उठाना । १०. नित्य उठल्लू-वि० [ स ० उत् +हि० ठल्लू या हि० उठ+लु (प्रत्य॰)] नियमित समय के अनुसार किसी दूकान या कारखाने को १. एक स्थान पर न रहनेवाला । असनदगधी । आसनकोपी । वेद करना । ११ किसी प्रया का बद करना । जैसे-अग्रेजो २ श्रावारा। वेठिकाने का। ने यहाँ से सती की रीति उठा दी। १२ खर्च करना । लगाना । | मुहा० -उठन्लू का चुन्हा या उठन्लू चून्हा = बेकाम इधर उधर व्यय करना । जैसे,—रोज इतना रुपया उठायोगे तो कैसे काम फिरनेवा ना 1 निकम्मा । प्राकारागदं । न०--दो तीन उम्मेद- चलेगा ? १३ किसी वस्तु को भाड़े या किराए पर देना ।