पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३९७

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कामेही काय कामेही संज्ञा सौ अ कॉमेड] वई नाटक त्रिसका अतु प्रानद या कामोदी--सच्चा जौ० [स० कामोवा एक रागिनी जो मालको न के सुखमय हो । सुखात नाटक । सयोगात नाटक । मिननात नाटक। पुत्र कामोद की स्त्री हैं। कोई कोई इसे दीपक की चौयी कामेश्वरी- सवा डी० [स०] १ तत्र के अनुसार एक भैरखी। २. मनी भी मानते हैं । | कानाढ्य की पाँच मूतियों में में एक । विशेष—यह संपूर्ण जाति की रागिनी है और रात के दूसरे पहर • कार्मत--सज्ञा पुं० [हिं० फुन्नैत] कुमेत में से एक । की दूसरी घड़ी में गाई जाती है। कोई दोई इसे संकर रागिनी कामेती –सच्चा पुं० [हिं० काम ] मजदूर। काम करनेवाला श्रमिक ।। कहते हैं और सुधाई ग्रौर सोर के योग से उम्रकी उत्पत्ति ३०-दूवादार कामैट समेत बाधि ली नां। वेड़ो घालि मानते हैं। इसका सरगम यह है -घ नि सा रे ग म प ध । दिल्ली को मतापी भेज दीन 1-शिखर ०, पृ० २५ । कामोद्दीपक–वि० [स०] काम को उद्दीपन करनेवाला । जिनसे कामोत्याप्य–वि० [त०] वह नौकर निकी नौकरी स्थाई न हो । मनुष्य को सहवास की इच्छा ग्रधि के हो ? अस्यावी मृत्य। उ० -शुद्र को कहा है कामोत्या अर्थात् जब कामोद्दीपन संज्ञा पुं॰ [ म० ] नत्रास की इच्छा का उत्त जन । चाहे निकाल दिया जानेवाला ।-हिंदु० सभ्यता, पृ० २५ । कामोन्माद-सज्ञा पुं० [सं०] १ क;ग का वेग । वासना की प्रबलता । कामोद-संवा पुं० [सं०] सुपु गं जाति का एक राग जो मालकोस २ वह उन्माद जो काम के वैग से होता है कि०] । का पुत्र माना जाता है। काम्य'–वि० [सं०] १ जिसकी इच्छा हो । २ जिससे कामना की विशेष—इममें वैवन बद्दी सौर पंचम सवादी है । इनके गाने का सिद्धि हो । जैसे, -कम्य कर्म । समय रात का एहू प्राधा पड़ा है। करुणा और हास्य में काम्य- संज्ञा पुं० [म०] वह यक्ष या कर्म जौ किमी कामना की सिद्धि इसका उपयोग होता है। कोई कोई इसे विलावली अौर गौड के लिये किया जाय । जैसे -पुत्रेष्टि, कारीरी । के सयोग से बनी मुंकर राग मानते हैं । कई रागों के मेल से । विशेप-यह अर्थ कर्म के तीन भेदों में से है । कम्य कर्म भी तीन कई प्रकार के सकरकामोद बनतें है। यह चौतान पर बजाया जाता प्रकार का कहा गया है--ऐहिक वह है जिसक फर इस लोक है। इसका म्वरग्राम इस प्रकार है-8 नि सा रे ग म प । मे मिले, जैसे- पुत्रेष्टि गौर कारीरी। मामुदिमक–वह है कामौदक-संज्ञा पुं० [सं०] बह जलजल वो इच्छानुसार उस मृत जिसका फल परलोक में मिले, जैस अग्निहोत्र । ऐहिकामुष्मिक प्राणी को दी जाती है जो चूडाकर्म के चले मरा हो र का फैन कुछ इस लोक मे और कुछ परलोक में मिलता है। जिसके यैि उदकक्रि की विधि नै हो । काम्धक--सया पुं० [सं०] १ क वन का नाम । २ एक सरोवर कामोदकल्याण-सया पुं० [सं० कामोद + कल्याण] एक सुकर राग का नाम ]ि । वो कामोद यौर कल्याण के योग से बनता है। काम्यकर्म--सज्ञा पुं० [स] वह कर्म जो किसी फल या कामना की विशेष—यह संपूर्ण जाति का हैं। इसमें सेव शुद्ध स्बर लगते प्राप्ति के लिये किया जाय । हैं। सका सरगम इस प्रकार है--ग म प ध नि सा रे ।। काम्दान-सज्ञा पुं० [सं०] १ रत्न अादि अच्छी वस्तुओं का दान ।२. कामोद तिलह-सम्रा पुं० [स०] एक संकर राग जो कामोद मौर | वह दान जो पुत्र या ऐश्वर्य प्रादि के कामना से किया जाय। तिलक के योग से बनता है और वाइव जाति का है। क्राम्यमरण- सज्ञा पुं० [सं०] १ इच्छानुसार मृत्यु । २ मुक्ति । पशुप-इन में घेवत वजित है । यह रात के पहले पहर में गःया काम्या--स! स्त्री० [सं०] १ इच्छा | अलापा | कामना । २ जाता है। इसका सरगम इस प्रकार है --५ नि सा रे म प । प्रार्थना 1 ३, गाय । गो (को०] । कामदिनट--सज्ञा पुं० [सं०] एक संकर राग जो कामोंद और नट के काम्येष्टि-सच्चा स्त्री० [सं०] वह यज्ञ जो कामना की सिद्धि के लिये मिलाने से बनता है। किया जाये । जैसे,—पुत्रेष्टि । विशेष-यह सप जाति का है और इससे सव इद वर खराने काभ्रेड संज्ञा पुं० [अ०] सहयोगी । सायौ । हैं। इसे कुछ लोग नेटनारायण का पुत्र भी मानते हैं । इसके विशेप-कम्युनिस्ट या साम्यवादी अपने दावालो और अपने से गाने का समय रात का पहला पहर है। कोई कोई इसे दिन सहानुभूति रखनेवालो को 'काम्रड' शब्द में सवोधित करते हैं । के दूवरे पहर में भी गाते हैं। इसका सरगम यह है—-ध नि जैसे,—काम्रड सकलातवाला ।। सा रे ग म प प ध नि सा । कार्यं कार्य-सा पुं० [ अनु० ] १ कौवे की वाली। २ स्यार की मादसामंत-सच्चा पुं० [सं०] एक सुकर राग जो कामोद और बोली । ३०-मियारो की भौति कार्ये कार्य कर खोपडी खाली सामत के योग ये बनता है। कर डालेंगे --प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० २०२। विशप-यह वाइव जाति का है। इसमें धैवत वजित है। इसके काय'-वि० [स०] प्रजापति सवघी, जैसे, कयतीर्य, कायज्ञवि इत्यादि। | गाने का समय रात का तीसरा पहर है। इनका सरगम इस काय’- सझा मी० [सं०] [वि० फायिक] १ शरीर । देह । बदन । प्रकार हैं-- ग म पनि मा रे ग । जिस्म । उ०-कछु हवं न अाइ गयो जन्म जय । अति दुर्लभ मादा-सच्चा लो० [न०] १ ० 'कामोद ।२ एक पौधे का नाम तन पाई कपट तजि भजे न राम मन बचने काप । —तुलसी (को०)। (शब्द॰) ।