पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३९१

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काम कामकृ1 प्रयोजन निकलना । मतलब गैठना । उद्देश्य सिद्धे होना ।। मुहा०—कामखुलना= कारबार चलना । नया कारखाना जारी मामला ठीक होना। बात बनना । जैसे, वइ.. इस समय हो । नया कारवार प्रारंभ होता । काम चमकना = बहुत यही मा जाये तो हमारा काम बन जाय । काम बनाना अच्छी तरह कारवार चलना । व्यवसाय में वृद्धि होना । किली अर्थ का साधन करना। किसी का मतलव निका रोजगार में फायदा होना । जैसे,—योडे ही दिनों में उर्मका बना। काम लगना=काम पडना । आवश्यकता होना। काम खुव चमक गया और वह लाखों रुपए की आदमी हो दरकार होना । जैसे, जव रुपए का कम लगे, तब ले गया । काम पर जाना कार्यालय में जाना। अपने रोजगार लेना । काम सँवारना= काम वनाना । किसी का अर्थ की जगह जाना। जहाँपर कोई काम हो रहा हो, वहाँ जाना । साधन करना । काम सघना= काम सिद्ध होना। प्रपोजन काम बढ़ाना = काम वद करना। नित्य के नियमित समय पर मिद्ध होना । काम सरना= काम निकलना । काम पूरा कोई कामकाज बंद करना । जैसे,---सुव्या को कारीगर काम होना। उ०—इससे अापकी ख्याति होगी वा अापके राज्य वकिर अपने अपने घर जाते हैं। काम बिगड़ना = कारवार का काम सरेगा !-प्रमघन॰, भा० २, पृ० ४२ । काम बिगडना । व्यवसाय नष्ट होना । वैयापार मे घाटा प्राना। साधना काम पूरा कना । प्रयोजन सिद्ध करना । काम काम सीखना= कार्यक्रम की शिक्षा होना । व्यवसाय या घम्रा साथ देना= उफन करना । सिद्ध करना । पूरा कर देना । सीखना । कला सीखना। जैसे,—वह तारकेशी का काम उ०-चैनघा काम साध देती है । वात सीधी हुई सादी --- सीख रहा है । चोखे०, पृ॰ ३१ । काम होना = प्रयोजन सिद्ध होना। अर्थ ७ कारीगरी । धनावट । रचना। दस्तकारी । ६ वेलबुटा पा निकलना । अावश्यकता पूरी होनी । । नक्काशी जो कारीगरी से तैयार हो । जैसे—(क) इस टोपी ४. गरज । वास्ता । सरोकार । लगाव । जैसे—(क) हमे अपने पर बहुत धना काम है । (ख) दीवार पर का काम उखड़ | काम से काम । (ख) तुम्हें इन झगडे से क्या काम ? रहा है । मुहा०—किसी से कान डालना=(कामे पड़ना' का प्र० रूप) यौ०-कामदानी । कामदार । १नी डालना । जैसे, ईश्वर ऐसों से काम न डाले हैं. किसी-से । मुहा०—काम उतारना-किसी दस्तकारों के काम को पूरा काम पडेना। किसी से पाला पड़ना । किसी से वास्ता पड़ना। करना । कोई कारीगरी की चीज तैयार करना । काम चढ़ना= किसी प्रकार का व्यवहार या सबंध होना । उ॰--- चंदन पढ़ा तैयारी के ये किसी चीज का खरीद करघे, कालिव, कल चमार घर नित उकिं कर्ट चाम । चंदन वपुरा का करे, पडे। आदि पर रखा जाना । काम चढ़ाना= किसी चीज की तैयारी नीच मे काम -(शब्द०)। काम रखना= वास्ता रखना । के लिये खरद, करघे, कालिब कल ग्रादि पर रखना या सरोकार रवन । लगाव रखना । जैसे—बाकी और किसी लगाना । जैसे,—कई दिनो से काम चढ़ाया हैं पर, अभी तक बात से उन्हें काम नहीं, खाने पीने से मतलव रखते हैं । काम से नहीं उतरा ! काम बनना= किसी वस्तु को तैयार होना । काम रखना=अपने कार्य से प्रयोजन रखना। अपने प्रयोजन रचना या निर्माण होना। ही की ओर ध्यान रखना, व्यर्थ की बातों में न पड़ना । कामअध)---वि० [सं० कामान्य] दे० 'कमाध' । उ०---कामअध ५ उपयोग । व्यवहार । इस्तेमाल । जव भयौ तव तिंय ही तय सव ठौर । अब विवेक अज़त किया मुहा०—काम आना=(१) काम में अना। व्यवहार में थाना । लख्यौं अलख सिरमौर |-व्रज ग्र०, पृ० १२१। उपयोगी होना । जैसे-- (क) यह पत्ती दवा के काम पाती कामकला--संज्ञा स्त्री० [सं०] १ मैथुन । रति । २ कामदेव की स्त्री । है। (ख) इसे फेको मत, रहने दो, किसी के काम मा रति । ३. एक तोक विद्या।। जायगा। २ सय देन' 1 सहारा देना। सहायक होना | माडे अना। जैसे–विपत्ति में मित्र ही काम आते हैं। काम का विशेप-इसमें शिव और शक्ति की दो सफे” और लाले विदियों काम में आने लायक । व्यवहार योग्य । उपयोगी (वस्तु)। | मानी गई हैं, जिनके सयोग को काम कला कहते हैं। इसी संयोग मम देना = व्यवहार में माना। उपयोगी होना । जैसे से सृष्टि की उत्पत्ति मानी जाती है । यह चीज वक्त पर काम देगी, रख छ । (किसी वस्तु से) ४ कामदेव का कौगल । उ०—कामकली कछु मुनिहिं न काम लेना = ८वहार में लाना। उपयोग करना। वर्तना । व्यापी ।—मानस, १। १२६ } इग्तेमाल करना । जैसे-वाह ! ग्राप हमारी टोपी से कामकाज-संज्ञा पुं० [हिं० काम+काज] कारबार । कामधंधा । अच्छा काम ले रहे हैं। काम मे अना= व्यवहार में माना । कामकाजी--वि० [हिं० काम+काज] काम करनेवाली ।उद्योगव्यवहृत होना । देत जाना । जैसे,—इसे रख छोडो, किसी घधे में रहनेवालो ! के काम में आ जायगी। काम में लान = बतंना । यवहार करना । उपयोग करना । कामकूट-सुंक्षा पुं० [सं०] १. वेश्यागामी । लंपट । २ वेश्यामों का, ६ कारवार । व्यवसाय । रोजगार । जैसे—उन्हें कोई काम छल छ । ३. कामराज नामक श्रीविद्या का मंत्र जो तीन मिल जात! तो अच्छा था। प्रकार का है----कामकृत, कामकेलि अौर कामक्रीडा । क्रि०प्र०—करना । कामकृत्-वि० [सं०] १.इच्छानुसार करनेवाला । स्वेच्छाकारी। २. काम या इच्छा पूर्ण करनेवाला (को॰] ।