पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३८५

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६६१ कानूनी हुज्जत करना। काना-मुद्धा पु०[ सं० फणं ] 'ब्रा' को मात्रा जो किसी अक्षर के मुहा०-कानी कौड़ी न होना= विलकुल निर्धन या फटेहाल होना। अागे लगाई जाती है और जिसका रूप (1) है जैसे,—वाला कानी- वि० स्त्री० [सं० कनीनी सबसे छोटी उँग नी । जैसे,— में की (1), ।। कानी उँगली ।। काना--वि० [सं० कर्ण ] जिसका कोई ना या भाग निकला हो। यौ०---कानी उँगली सबसे छोटी उग 1 । छिगुनी । तिरछा । टेढ़ा । जैसे,—-कड़े मे से टुकड़ा काटकर तमने उसे कानीन'--वि० [सं०] क्वारी कन्या से उत्पन्न । कन्या में ति ! कान कर दिया । कानीन-सज्ञा पुं॰ [सं॰] वह पुत्र जो किसी कन्या को कुमारी अवस्था काना'- सुझा पु० [हिं० काना] पासे में की विदी पौ । जैसे,— में पैदा हुम्रा हो । | वन काने । विशेष-ऐसा पुत्र उस पुरुप की कनीन पुत्र कहलाता है, जिसको कानाकानी--सझा बी० [सं० कर्णाकणिक] कानाफूसी । चर्चा। उ० | वह कन्या व्याही जाय । व्यास और कणं ऐसे ही पुत्र थे । जवे जाना कि लोगो में यही बाते कानोकानी हो रही है - कानीहाउस-सज्ञा पुं॰ [ अं० फाइन वा कॅनिन +हाउस ] वह स्थान सदल मिश्र (शब्द॰) । जहाँ इधर उधर घूमनेवाले चौपाए पकड़कर वद कर दिए जाते कानाकुतरा-[वि० [हिं० काना+कुतरना ] कुतरा हुआ । काटा हुयी । हैं। कांजी हाउस । | खडित । कानीहौद-सबा पुं० [हिं० कानिहाउस ] दे॰ 'कानीहाउम” । कानागोसी(@f-सज्ञा स्त्री० [हिं० काना+फा० गोश (कान) हि० ई कानू गोय -सज्ञा पुं॰ [ अ० कानून + फा० गो ]दे० 'कानूनगो' । (प्रत्य॰)] कान मे बात कहने 1 कानाफूसी। उ०—कानू गोय लोभ के खोटे छल वल पाही झूठे। चरण० कानाटीटो-सच्चा स्त्री॰ [ देश॰] एक प्रकार की घाम । बानी, भा॰ २, पृ० १२४ ।। कानाफुसकी—सज्ञा स्त्री० [हिं० कानाफूसी ] दे० 'कानाफूसी'। कानून----संज्ञा पुं० [अ० कानून ] [ वि० कानूनी ] १. राज्य में कानाफूसी- सच्चा स्त्री० [हिं० फाना + अनु० 'फुस फुस' ]। वह वात शाति रखने का नियम । जनियम । अाईन । विधि । जो कान के पास जाकर धीरे से कहीं जाय । चुपके चुपके की यौ०-कानूनदाँ --- कानूनगो। वातचीत । मुहा०--कानून छाँटना = कानूनी वहस करना । कुतर्क करना । क्रि०प्र०-- करना ।—होना । कानावाती--सज्ञा पुं० हिं० [ कान+वात ] १. चुपके चुपके कान में २. एक रूमी बाजा जी पटरियों पर तार लगाकर बनाया जाता है। चात कहना ! कानाफूसी । कनूनगो-संज्ञा पुं० [अ० कानून+फी० गो] माल का एक कर्मचारी क्रि०प्र०—करना । —होना । जो पटवारियो के उन कागजों की जाँच करता है जिनमे खेतों ३ बच्चो को हँसाने का एक ढंग, जिसमें उनके कान मे 'काना और उनके लगान आदि का हिसाव किताव रहता हैं। बात कानावाती कू' कहकर 'क' शव्द पर जोर देते हैं। जिसपर विशेष—कानूनगो दो प्रकार के होते हैं, गिरदावर अरि रजि-- बच्चा हँस पड़ता है। स्ट्रार । गिरदावर कानूगनो का काम है घुमघूमकर पटवारियो कानवेज- संज्ञा पुं० [अ० कैनवस ] गवरून या सरकिया की वरह की के कागजो की जांच करना, और रजिस्ट्रार कानूनगा के एक कपडा ।। दफ्तर में पटवारियों के एक साल से अधिक पुराने कागज कानि-सा जी० [ देश० ] १. लोकलज्जा । मर्यादा का ध्यान । दाखिले होते और रखे जाते है । उ०- (क ) तेरे सुभाव सुशील अली कुलनारिने को कुनकानि कानुगौ--सच्चा पुं० [ हि० कानूनगोय ] ३० ‘कानूनगो' । उ०—सिखाई –मतिराम ( शब्द॰) । (ख) में मरजीवी समुद का राजरूप कानूग लाएँ । रसमथी मिलिया राजा रा (००, पैठा सुप्त पताल । लाज कानि कुल मैटिक गहि ले निकला पृ० ३२५।। लाल |--कवीर (शब्द०)। २ लिहाज । दवाव । संकोच । काननद---सबा पुं० [अ० कानून +फ० वा ] १. कानून जाननेउ०—(क) खौरि पनच भृकुटी धनुप, सुरकि भाल भरि तानि । वाला। विधिज्ञ । २. कानून छोटनेवाला । हुज्जत करनेवाला । -विहारी (शब्द॰) । (ख) अव काहू की कानि न करिहौं । कुतर्की । आज प्राण केपटी के हरिहौं ।—लल्लू (शब्द०) । | कानूननू --क्रि० वि० [अ० फानूनन् ] कानून को रू छ । कानून के कीनिद-सम्रा पुं० 1देश०]स की कमचे। जिससे खाद पर चढ़ाते । अनुसार । जैसे,—-कानूनन् तुम्हारा उस मकान पर कोई हुक | समय हीरे पन्ने अदि रत्नो को दवाते हैं । नहीं हैं। कानिष्ठिक'- सज्ञा पुं० [सं०] सबसे छोटी उंगली । छिगुनी को०]। कानूनिया-वि० [अ० कानून + हि० इयः (प्रत्य॰) । १.नन कानिष्ठिक-वि० उन्न में सबसे छोटा (को॰] । जाननेवाला । २, तकरार करनेवाल। । हुनती। झानी'---चिं० जी० [हिं० छाना 1 एक पबिवाली। जिस (स्त्री) की कानूनी--वि० [अ० कानून + हि० ई (प्रत्य॰)] १ जो कानून जाने । एक पद फूट गई हो । २. कानून सबंधी। अदालती । ३. कानून के मुताबिक हु।। पौ-कानी कौ= फूटी कौड़ी। छेदवाली कोठी । झैझी कौड़ी। नियमानुकुल । ४, १९ करनेवाला । हुन तकरार। १°