पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३८४

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कान' जाना । (किसी को किसी के) कान लगना = चुपके चुपके वात सोचे । दारू पियै मस्त नहि होवे । जर्वं वालका कान में लागै । कहना । गुप्त रीति से मंत्रणा देना । जैसे-जब से बुरे लोग जोगी छोड मढ़ी को भोगे ।-(पहेली) । कान लगने लगे, तभी से उनकी यह दशा हुई है। उ०--- कान, सच्चा स्त्री० [हिं० कानि] १ लोकलज्जा । २ मर्यादा । आजहि कालि सुनी हम तो, वह कूवरिया अब कान लगी हैं । इज्जत । १० कानि' । उ॰---भीख के दिन दूने दान, कमल -~-नट०, पृ० ४१ । कान लगानी= ध्यान देना । कान न जले कुल को कान के 1-वेला, १० १८ । हिलाना = विना विरोध किए कोई बात मान लेना। चू न कान--सज्ञा पुं० [सं० कर्ण] नाव की पतवार जिसका प्रकार प्राय करना । दम न मारना । कान होना=चेत होना । खबर । कान सा होता है । उ०—कान समुद घेसि लीन्हेंसि भी पाछे होना । ख्याल होना । जैसे,—जबतक उन्होंने हानि म उठाई सव कोइ ।--जयसी (शब्द०)। तवतक उन्हें कान न हुए। कानाफूसी करना=(१) चुपके चुपके कान --संज्ञा पुं० [सं० कृष्ण, प्रा० कण्ह ) कान्ह] कोन्हि। काने में बात कहना । कानावती करना=चुपके चुपके कृष्ण । उ०—तुम कहा करो कान, काम वें अदकि रहे, तुमको कान में बात कहना । (२) बच्चों को हँसाने का एक ढग, न दोष सो तो अपनोई माग है ।मति० ग्र०, पृ० २२० । जिसमें बच्चे के कान में 'कानावात कानावाती के कान’–सझा भी० [फा० तुलनीप मे० खनि] खान । खनि । कहकर 'कू' शब्द को अधिक जोर से कहते हैं जिससे कानक'-वि० [सं०]कनक सवधी । सोने का । सोने ये सवधित(को०] । बच्चा हँस देता है। कानो पर हाथ धरना या रखना। कनिक सज्ञा पुं॰ जमालगोड । (१) विलकुल इन्कार करना । किसी बात से अपनी । नि कानकी-सच्चा पुं० [देश०] कोकण देश का एक बड। पेड । अनभिज्ञता प्रकट करना । किसी बात से अपना लगाव विशेष—इसकी लकडी मकान में लगती है । इसके बीजो से एक अस्वीकार करना । जैसे,—उनसे इस विषय में कई बार पूछा प्रकार का पीला तेल निकाला जाता है जो दबा तथा जनने गया, पर वे कानो पर हाथ रखते हैं। (२) किसी वात के के काम में आता है। इसके फन जायफल के समान होते हैं। करने से एक वारगी इन्कार करना । जैसे,—हमने उनसे कई मानः स, हमने उनसे कई कानकुब्ज- सज्ञा पुं॰ [सं० कान्यकुब्ज] दे० 'कान्यकुब्ज' ।। बार ऐसा करने को कहा, पर वे कानो पर हाथ रखते हैं। कानहावि र हाथ रखते हैं। कानडा–वि० [सं० काण] १. एक अाँख का काना । २ साते , ria का ] १. na I कानो मे उंगली देना= किसी बात से विरक्त या उदासीन समुदर के खेल का वई घर जो चम्मो रानी के बाद आता है । होकर उसकी चर्चा बचाना । किसी बात को न सुनने का प्रयत्न । न सुनने का प्रयत्न कानन--सच्चा पुं० [सं०] १ जगल । वन । २. घर । ३ वाटिका । का करना । उ०—कुल कानि जो अपनी राखी चहौ दे रही अँगुरी बाग (को०) । ४ ब्रह्मा का मुख (को॰) । दो कानन भे |--प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ० ३६७ । कानों मे यौ---काननाग्नि = दावानल 1 ज। प्राग जो डाल अादि की रगड ठठिया १बी होना= कान बंद होना। न सुनना। ३०--- से लग जाती है। फाननौका = (१)जगलवासी । (२) वदर । लाडो, ए लाडो, बी मुह से जरी अावाज दो । सुनती काननारि- सज्ञा पुं० [सं०] शमी वृक्ष (को०] । दो और वोलती नहीं । जैसे, कानों में ठेठियाँ पडी हैं ।- कानफरेंस--सज्ञा स्त्री०अ० कानफरेंस]१ सभो । समिति [ २० जन” सैर०, पृ० ३१ । कानों सुनना न घाँखों देखना=पूर्णत समूह जो किसी बड़ी आवश्यक वात के निश्चय के लिये अज्ञात । जिसके विषय मे लेशमात्र जानकारी न हो। उ०— एकत्र हो। कानी सुनी न अखिों देखी ।-कवीर सा०, पृ० ५४५ ।। कानोंकान खबर न होना = जरा भी खबर न होना । कुछ - कानवेंटसच्चा पुं० [अ०]१ ईसाई सन्यासियों का सघ । २ ईसाइयों भी सुनने में न आना । जैसे,—देखो, इस काम को ऐसे ढंग का मठ या धर्मशाला । ३ ईसाइयो अथवा पादरियों द्वारा से करना कि किसी को कानोकान खवर न होने पावे। उ०— संचालित शिक्षासस्या । ४ ईसाइयों द्वारा स्वचालित ऐसी बाल मज़ों को कानोकान खवर न थी ?--गोदान, पु० २७४ । पाठशाला जहाँ अग्रेजी भाषा पढ़ने वोलने मादि पर सर्वाधिक विशे; ---जव 'कान' शब्द से यौगिक शब्द बनाए जाते हैं, त। ध्यान दिया जाता है । इका रूप 'कन' हो जाती है । जैसे,—कनखजूरा, कनखोदनी, | कानस्टेबिल---संज्ञा पुं० [अ० कास्टेब्ल पू•िस का सिपाही । कनवेदन, कन मैलिया, कनसलाई । काना--वि० [सं० कण ] [स्वा० कानी। जिसमें एक अखि फूट गई २ सुनने की शक्ति । श्रवणशक्ति । ३ लकड़ी का वह दुका हो । जि में एक ग्राँव न हो। एकाक्ष । एक अखि का। उ०— जो हल के अगले भाग में बांध दिया जाता है और जिससे काने खोरे कवरे कुटिन कुचा जः नि ।—मानस, २।१४।। जोती हुई कूड कुछ अधिक चौडी होती है। महा---फाने के यागे पडना या फाने का मिलना = किसी के विशेप-गेहू या चना बोते समय यह टुकडा वाधा जाता है । इसे । रास्ते में काने अदिमी को दिख जारी या दिखाई पडना । क न १ कहते हैं । विशेप-- यह अपशकुन माना जाता है । ४ सोने का एक गहना जो कान में पहना जाता है । ५ चारपाई करने की कोना कहना = बुरे को बुरा कहना।। ३०--वात सच है। का टेन:पन । कनेछ । ६ किसी वस्तु का ऐसा निकाला है। जल मरे वह मगर, लोग काना को अगर फन कहे । कोना जो मद्दा जैन हे । ७ तराजू का पसगा। ८ तोप या चोखे, पृ० २७ । वैदूक का वह स्यान जहाँ रजक रखी जाती है धौर वत्ती दी काना--वि० [सं० फर्ण है। (फन सादि) fन ने FT कुछ भाग छ। न जाती है। पियाली। रजकदोनो। उ०—जोगी एक मढ़ी में । खा जिमा हो । कन्ना । जैसे,—काना मटा ।