पृष्ठ:हिंदी शब्दसागर (भाग 2).pdf/३७

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उज्जैगैरी झकनी हार काजु नहिं आवै जैसे उज्ज्वल ग्रोरे ।-नंद० ग्र०, पृ० । बेलना । ३ स्वच्छ करने का कार्य । ४ अग्नि । (को०)। २०५।। ५ स्वर्ण । सोना (को॰) । उज्जागरीG- वि० सी० [हिं० उजागर ] उजागर करनेवाली । उज्ज्वला-संज्ञा स्त्री० [सं० ] बारह अक्षरों का एक वृत्त जिसमे दो प्रकाशित करनेवा। उ०—मध्य व्रजनागरी, रूप रस अागरी, नगण, एक भगण और एक रगण होते हैं । उ०--न नम घोप उज्जागरी, स्याम प्यारी ।—सूर० १०५१७५.१ । रघुवरा कहु मुसुरा । लसत तरणि तेज भनौं फु। ।। घर नि उज्जारना - क्रि० स० [मु० उज्बालन, प्रा० उज्जाल] जलाना । तन' जुबै मिन ना यला । गगन भरति कीरति उज्ज्वता । ध्वस्त करना । उजाडना । उ०---जागीरं भोपति किय जारिय, (शब्द०)। २ काति । प्रकाश । ज्योति । चमक (को०) 1 ३. तनुज मारि बरती उज्जारिय} —० रा०, पृ० १२३ । स्वच्छता । सफाई (को॰) । उज्ज्रासन--सुवा पु० [सं० ] मारण । वध ।। उज्ज्वलित-वि० [ स० ] १ प्रकाशित किया हुआ । प्रदीप्न ३ उज्जित--वि० [ स० ] विजित 1 जीता हुआ। पराजित किो॰] । स्वच्छ किया हुआ । साफ किया हुआ । झलकाया हुआ । उज्जित--चङ्गा स्त्री० [सं०] विजय } जीत [को॰] । उज्झ--वि० [सं०] त्यक्त } छोड़ा हुआ [को॰] । उज्जिहान-वज्ञा पुं॰ [ स०] बाल्मीकीय रामायण में वर्णित एक उज्झक—सा पुं० [ स० ] १ बादल । मेघ । भक्त (को॰] । देश का नाम । उज्झटित–वि० [ सं० ] घडया हुआ। उलझन में पड़ा हुआ। उज्जीवन-सज्ञा पुं० [सं०] फिर से या दुवारा प्राप्त होनेवाला जीवन। परेशान को ।। | नष्ट होने पर फिर से अस्तित्व में आने का भाव ।। उज्झड–वि० [सं० उद्](= बहुत) + जइ(= मूर्ख)]भक्की। झक्कई । पुनर्जीवन [को॰] । उज्जीवित -वि० [सं०] पुन जीवनव्राप्त ! फिर से अस्तित्व में मनमौजी । अगा पोछा न सोचनेवाला । वृद्धत । भूखे । उज्झन--प्रज्ञा पुं॰ [ स० } छोडना । हटाना । परित्याग (को॰) । अाया हुया [को॰] । उज्जोवो--वि० [ स० उज्जीविन् ]फिर से जीवन प्राप्त । जिसे फिर उज्झित-वि० [सं० ] छोडा या त्याग हुआ । परित्यक्त [को॰] । से जीवन प्राप्त हो सकती हो । कि०] । उज्यारा-सज्ञा पुं० [ हि० उजियारा ] दे॰ 'उजाला' । उज्जू--सा पुं० [अ० ‘वजू' हि० उजू ] दे॰ 'बनू उ०-वया उज्जू उ०—मृदु मुसकानि मुखचंद चार चाँदनी सौं राक्ष्य के उज्यारो पाक किया मुह धोया क्या मलति सिर लाया ।—कबीर ग्र० अभिराम द्वार भौन को --मति० प्र०, पृ० ३४५ । पृ० ६२३ 1 उज्यारो)--सज्ञा नी• [ हि० उजियारी ] ३५ ‘उजाली' । उ०--- उज्जूभ-१ संज्ञा पुं० [से उज्जृम्भ] १ उवामी । जै भाई लेना । २ भूपन सुद्ध सुधन के सौधनि संघति सी धरि अोप उज्यारी । | फैलना । प्रसरित होना। ३. खिलना । विकसित होना । -भूपण ग्र०, पृ० २८ । ४ टूटना । अलग होना [को०] । उज्यास -सा पु० [ हि० उजास ] दे॰ 'उजास' । उज्ज़ भ–वि० १. खिला हुआ । स्फुटित । २ खुला हुअा। [को०]। उ सका पुं० [अ० उत्र] १ बाधा। विरोध ! आपत्ति । उज्ज़ भण—संज्ञा पुं० [सं० उज्जृम्भरण ] दे॰ 'उज्जू भ' ।। २ वक्तत्व ! जैसे--(क) हमको इस काम को करने में कोई उज्जैन—सया पुं० [सं० उज्जयिनी]मालवा देश की प्राचीन राजधानी ।। | उच्च नहीं है।( ख ) जिसे जो उन्न हो, वह अभी पेश करे। उज्जनि--सच्चा स्त्री॰ [ सू० उज्जयिनी ! दे० 'उज्जयिनी' । उ०—ता ३. वहाना (को०) । २ कारण । हेतु (को॰) । सबै उज्जैन के वोहोत वैष्णव नाम पाइवे को आए हुते । क्रि० प्र०~रना I--पेश करना -लाना । दो सौ बावन०, भ० १, पृ० ३१४ । ५. विवशता ! लाचारी(को०) । ६. बहाना । हेतु । कारण (को॰) । उज्ज्चैल'--वि० [सं०]१ दीप्तिमान् । प्रकाशमान्। ३ शुभ्र । विराद। उन्नख्वाही-सज्ञा स्त्री० [अ० उच्च +फा० स्वाह + ई० (प्रत्य॰)] स्वच्छ । निर्मल । उ०—नव उज्ज्वल जलधार हार क्षमाप्रार्थना । क्षमायाचना को ।। हीरक सी सोहति ।—मारतेंदु ग्र०, मा० १, पृ० २८२ । उन्नत-मद्या स्त्री॰ [ अ० ] दे० 'उजरत' । ३ वेदाग 1४ श्वेत । सफेद ।५ शानदार । भव्य । वैभव- उन्नदारी-सच्चा स्त्री॰ [ अ० उत्र+फा० दार] किसी ऐसे मामले पूर्ण । उ०--उज्ज्वल गाया कैसे गाऊँ मधुर चाँदनी रातो में उच्च पेश करना जिसके विपय ने अदालत से किसी ने कोई की !--लहर, पृ० ५। ६ पवित्र । शुचि। उ०—तुम्हारी अाज्ञा प्राप्त की हो या प्राप्त करने की दरखास्त दी हो । जैसे, कुटिया में चुपचाप, चल रहा था उज्ज्वल व्यापार --लहर दाखिल खारिज, बँटवारा, नीलाम ग्रादि के विषय में । पृ० ७ । ६ सु दर । सौंदर्यपूरिन (को०)। ६ खिला हुआ । उझटेना--क्रि० स० [सं० उम्झ] छोडना । उछात्रना 1 भटकना । विकसित (को॰) । उ०--भयो जग में जग अावे न वटै, उभे सीस ईस दुग्यारे उज्ज्वल–सा पुं० १. प्रीति । अनुराग । प्यार। २. स्वर्ण की। झटै ।—पृ० रा०, ६१:२२०३ । उज्ज्वलता--सी जी० स०] १. नाति । दीप्ति । चमक । भा। उझकना -क्रि० अ० [हिं० उचना ]१ उचकना | उछलना। अव । २. स्वच्छता । निर्मलता । उ०-क्या होगी इतनी कूदना । उ०-चरज्यौ नाहि मानत उभकत फिरत हो कान्ह उज्ज्वल इतना वदन अभिनदन –अपरा, पृ०७४ ३. सफेदी। घर घर नूर (शब्द॰) । उज्ज्वलन-सा पुं० [सं०] १. प्रकाश। दीप्ति । १. जनना । यौ9-वृद्मकना चिनुरुना= उछ जना कूदना । उलना पड़कन।